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Showing posts with the label Hindi story True story Motivational and inspirational stories

डा० भीमराव अंबेडकर और वर्तमान

 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज  बाबा साहब  समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...

सब को ईद मुबारक़

 तुम्हे ईद मुबारक़          खाक -ए वतन की यह अनूठी रीत कामयाब रहेगी , अमन - चैन , मुहब्बत की मिशाल नायाब रहेगी , काशी का नज़ारा , जम जम का वो पानी , आबाद थी , आबाद है,  आबाद कहानी , रहमत के तलबगा़र को उम्मीद मुबारक़ , मुझे चांद की दीद , तुम्हें  ईद मुबारक़ ||               सर्वाधिकार सुरक्षित                 विरंजय सिंह                 31मार्च 2025

पुरुष हूँ मैं

         पुरुष हूँ मैं  कैसे कहूं की हो कर भी नहीं होता हूं मैं, उसे तसल्ली भी देता हूँ,   वहाँ नहीं होकर भी वहीं होता हूं मैं,     आ खों मे दरिया दफ्न है मेरे भी , फफक कर भी नहीं रोता हूं मैं |  वो चैन की नींद सोते रहें ,इसी शौक से , मुझे पता है सो कर भी नहीं सोता हूँ मैं,  दिन भर , रात भर, जीवन भर चलता हूं , पर कैसे कहूं की थक गया हूँ मैं,  न जाने कितनों का हौसला हूँ मैं ||          सर्वाधिकार सुरक्षित                      विरंजय  २१ मार्च २०२५  मीरजापुर

औचक निरीक्षण या अनौपचारिक अथवा पर्यवेक्षण

  खण्ड शिक्षा अधिकारी ने जब दौरा किया  आज अचानक कहूं की औचक कहूं या अनौपचारिक (informal ) कहूं निरीक्षण (inspection ) हुआ हमारे विद्यालय का , नहीं निरीक्षण कहना न्यायसंगत न होगा | हमारे विद्यालय का आज पर्यवेक्षण (Supervision ) हुआ  | हमारे विद्यालय के मुख्य द्वार में ताला बंद करने की परम्परा नहीं  , विद्यालय में अनुशासन और  सजगता के कारण बच्चों का अनचाहा पलायन भी नहीं होता सो विद्यालय का द्वार सामाजिक अंतर्क्रिया हेतु हमेशा खुला रहता है  , आज एक बाईक विद्यालय परिसर  के ठीक मध्य में ठहर गई | * * विकास खण्ड जमालपुर के विद्वान  खण्ड शिक्षा अधिकारी  श्रीमान देवमणि पाण्डेय जी अपनी दैनन्दिनी मुझे हस्तगत करते हुए कक्षा-कक्ष  की ओर बढ़े और सीधे बच्चों से अन्तर्क्रिया (Interaction ) आरम्भ कर दिए  -  सर्वप्रथम दर्जा जानने के बाद,  कक्षा का  न्यूनतम अधिगम स्तर * * आकलन करने लगे , फिर  यादृच्छिक रुप से विद्यार्थी का न्यूनतम अधिगम स्तर आकलित करते और  फिर यथोचित पुनर्बलन प्रदान करते हुए , बच्चों के प्रदर्शन व उपस्थिति स...

को लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र में ऐसे बने लर्निंग कार्नर

 को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र में कैसे खर्च करें Learning  Corner - भारत सरकार (central government ) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु जो कार्ययोजना प्रस्तुत की उसमें  पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष बल दिया गया  और  देश के को -लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र चिन्हीत कर उनमें लर्निंग  कॉर्नर स्थापना की स्वर्णिम योजना तैयार की गई | को-लोकेटेड आंगनबाड़ी (Co located  Pre PRIMARY ) देश में ऐसे पूर्व प्राथमिक शिक्षा के केंद्र चाहे उन्हें जिस नाम से पुकारा जाता हो , प्री -प्राईमरी, पूर्व प्राथमिक,  बालवाड़ी , आंगनबाड़ी  प्रथमिक विद्यालय से सम्बद्ध हों , प्री प्राइमरी (आंगनबाड़ी )व प्राथमिक विद्यालय एक ही परिसर में अवस्थित अथवा संचालित हो रहे हों | लर्निंग कार्नर - Learning Corner  बच्चों के अधिगम हेतु गतिविधि व बालविकास आधारित शिक्षण प्रविधि अपनाते हुए 4 लर्निंग कार्नर विकसित करने हैं, जो पूर्व प्राथमिक शिक्षा के आयु वर्ग के बालकों की मनोशारीरिक, संवेगात्मक ,संज्ञानात्मक सामाजिक व मांसपेशियों के सूक्ष्म विकास में  सहायक सामग्री धारि...

हिन्दी दिवस पर उत्कृष्ट भाषण

 हिन्दी दिवस पर भाषण  आज हिन्दी दिवस है और  इस अवसर पर इस सभा में उपस्थित गुरुजनों को प्रणाम तथा सभी भाई -बहनों को यथोचित अभिवादन समर्पित करती हूं  |        हिन्दी दिवस पर मुझसे पूर्व  सभी वक्ताओं द्वारा कही गयी बातों से सहमति जताते हुए मैं  भाषण नहीं दूंगी बस अपनी बात कहूंगी |  मैं  यह समूचे राष्ट्र से यह पूछना चाहती हूं कि स्वतंत्रता के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारी मातृ भाषा हिन्दी को वो सम्मान क्यों न हासिल हो सका जो अन्य भाषाओं को प्राप्त है | क्या यह भाषण और वाद विवाद प्रतियोगिता महज एक आयोजन हैं ?  मैं  पापा के मोबाइल में एक वीडियो देख रही थी जिसमें मेरे जैसे एक बेटी अंग्रेजी  में  अन्य भाषाओं की अपेक्षा कम अंक प्राप्त कर पायी थी  | घर पहुंचने पर मां द्वारा पूछे जाने पर , कि बिटिया क्या हुआ  ,इतना उदास क्यों हो , आज तो परीक्षा का परिणाम आया है- आप को खुश होना चाहिए,  कहते हुए मां - बिटिया के हाथ से अंक पत्र ले कर देखने लगी और  पूछ बैठी बिटिया ये क्या  ? अंग्रेजी में इतने कम...

रक्षा बंधन किसके रक्षा का पर्व

 रक्षाबंधन किसके रक्षा का पर्व    'रक्षा बंधन ' एक ऐसा पर्व जिसमें बहन भाई की रक्षा हेतु एक मांगलिक संकल्प सूत्र बांधती है और स्वयं की रक्षा हेतु वचन लेती है , यह रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति और सभ्यता का वह पावन व चिरस्थाई पर्व है जिसमें बांधने की इच्छा बहन रखती है और भाई बरबस तैयार रहता है | कोई ऐसी मानसिक स्थिति नहीं हो सकती जिसमें कोई बंधन में रहना चाहे,  परन्तु रक्षा बन्धन ऐसा पर्व जिसमें भाई बंधता है |  बहन जो स्वयं शक्ति (दुर्गा, लक्ष्मी )का स्वरुप है वह अपने सारी सुरक्षा(सिक्योरिटी) पर अविश्वास करते हुए अपने भाई  से रक्षा की कामना रखती है , भाई के स्वास्थ्य और मंगल के रक्षा की कामना करती है क्योंकि भाई के स्वास्थ्य और दीर्घायु से माता -पिता के स्वास्थ्य व सुरक्षा के हेतु स्वयं सिद्ध हो जाते हैं  , ये कार्य बहन सिद्ध करती है रक्षा बन्धन से | प्रसंग वश प्रासंगिक  एक प्रसंग है रामायण का - त्रैलोक्य जननी माँ सीता अशोक वाटिका में बैठी होती हैं और अपने स्वामी, जगत स्वामी प्रभु राम का स्मरण करती रहती हैं उसी समय रावण का आगमन होता है, रावण तो रोज आत...

आज कलम फिर से जय बोल

 आज कलम फिर से जय बोल आजादी किसे कहें -   एहसासों की आजादी का नाम शायरी हैं, भावनाओं की मुक्ति का नाम कविता है और यह तो उत्सव ही आजादी का हैं| यह तो जश्न ही स्वतंत्रता का है 1947 की आजादी केवल 150 बरस की आजादी के कशमकश और जद्दो-जहद का परिणाम नहीं है यह हमारी बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद का वह पल है जब इस पुण्य भूमि  भारत में ऋषियों की तपस्वियों की महनीय लोगों के इस देश ने यह अनुभव किया कि उनका पुरुषार्थ अब स्वतंत्र है ,जब देश की माताओं  ने अनुभव किया कि उनकी सोच की चुनर /आंचलअब स्वतंत्र है | जब इस देश की बेटियों ने अनुभव किया ....बज़ाज के लफ्जों में कि 'तेरे माथे का यह अंचल बहुत ही खूब है लेकिन तो इस अंचल को जो परचम बना लेती तो अच्छा था' ,  इस देश के बच्चों ने इस देश के खुदीराम बोसो ने इस देश की बेटियों ने इस देश की माताओं  ने सब ने मिलकर एक साथ कोशिश की और 15 अगस्त 1947 को जब सूरज निकला तो इस देश की तरफ मुस्कुरा कर देख रहा था और  अपने नौनिहालों से अपने बच्चों से कह रहा था कि , आजादी मुबारक हो आजादी आई तो कविता अपने आप को आजादी के साथ अनुनादित करने ...

ख्यातिलब्ध चिकित्सक के पिता और एक शिक्षक का परिनिर्वाण

।                       स्व०कुमर किशोर जी  कुशल शिक्षक व कबीर विचार सेवी का परिनिर्वाण  बिहार मधेपुरा के एक छोटे से गांव में जन्मे पले -बढ़े "कुमर किशोर "जी शिक्षक बने और  ऐसे शिक्षक जो मन ,कर्म और वचन से शिक्षक और केवल शिक्षक थे  परन्तु अपने पारिवारिक रिश्तों को उन्होंने बहुत महत्व दिया दो बेटों और दो बेटियों के लिए एक अच्छे पिता भी थे कुमर किशोर जी , सभी सामाजिक तानेबानों को मजबूती से पकड़े | परिवार बड़ा और समृद्ध था ,संयुक्त परिवार अपने आप में  समृद्धि का परिचायक है ,परन्तु ऐसा परिचय अधिक समय तक न रहा परिवार में बिखराव हुआ, सबके हिस्से अपने -अपने  संघर्ष आए और कुमर किशोर जी के हिस्से में सामाजिक न्याय का मजबूत इरादा , सामाजिक, आर्थिक संघर्ष और बेटे -बेटियों के परवरिश की जिम्मेदारी,  इस दायित्व  में बराबरी का संघर्ष था उनकी पत्नी का भी |  कुमर किशोर जी ने शिक्षक होने के साथ -साथ  एक आदर्शवादी पिता  की भूमिका भी बखूबी  निभाई | अपने बच्चों को संस्कार और पढाई में कोई ढी...

भोजपुरी शब्द समझ और रोग निदान

 भोजपुरी शब्द संसार  भोजपुरी अपने आप में समृद्ध साहित्य और विभेदित शब्द चयन की विधा समेटे हुए  है , अन्य भाषाओं की तुलना में भोजपुरी का शब्द संसार प्रयोग की दृष्टि से विशाल और व्यापक है , हर शब्द का अलग भाव और  बोलते समय विभेदित भावभंगिमा भी होती है , जिसका प्रयोग चिकित्सा क्षेत्र में शब्द समझ रखने वाले चिकित्सक से साझा कर रोग निदान में कर सकते हैं।  जैसे अंग्रेजी के  Pain (दर्द )की भोजपुरी व्याख्या और शब्द प्रयोग | अंग्रेजी के पेन (pain) दर्द का भोजपुरी शब्द विभेद - शरीर में कही पीड़ा हो तो अंग्रेजी में उसे पेन (pain )कह कर  हम उसे व्यक्त करते हैं, परन्तु भोजपुरी भाषी लोगों की हर पीड़ा का अलग भाव प्रदर्शन है ...  जैसे ... दरद बा  बथत बा बेधत बा छेदत बा गड़त बा चुभत बा टभकत बा तलफत बा  बेधत बा    भभात बा  छर छरात बा  परपरात बा झिन झिनात बा अंगरत बा  चनकत बा बनबनात बा इन शब्दों का प्रयोग अलग -अलग प्रकार की पीड़ा के लिए  होता है | यह भोजपुरी की समृद्ध परम्परा के लिए शब्द प्रयोग है ||

डा०ओमशंकर के मुद्दे पर बहस क्यों

एक तर्क पूर्ण बहस      मे रे सोशल मीडिया के एक समूह सदस्य ने मेरे एक लेख पर कहा डा०ओमशंकर विपक्ष के साथ  हैं  तो मुझे कहना हुआ आप भी सुनें -- अनशन स्थान से तस्वीर  भगवान न करें किसी को हॉस्पिटल जाना हो , परन्तु आप अगर पूर्वांचल के होते तो यह पक्ष - विपक्ष ,जाति -वर्ग से ऊपर इस इहलौकिक भगवान (डा० ओमशंकर, चिकित्सक को धरती का भगवान कहा गया है ) की बातें प्राण से प्यारी लगती ,मुझे डॉ ओमशंकर नहीं जानते लेकिन मैं उन्हें अच्छी तरह से जानता हूं  वे लीक से हट कर काम करते हैं  ,जहाँ लगभग हर चिकित्सक बेजा दवा , कमीशन की दवा ,कमीशन की जांच लिखते हैं, वहीं इनकी जांच बीएचयू के भीतर होगी , दवा कहीं भी और  सस्ती मिलेगी  , जब तक डा०ओमशंकर विभागाध्यक्ष नहीं थे तब तक * 2 डी ई को * की जांच के लिए  20 दिन के अन्तराल पर डेट मिलती थी अब 2डी ईको  की अधिकतम 4 घण्टे में  सत्यापित रिपोर्ट आपके हाथ में  होगी | शंकर की मशाल भगवाधारी के हाथ --क्लिक करें         आज वे बीएचयू में  हृदय रोग विभाग में  ब...

ओमशंकर की मशाल भगवाधारी के हाथ

        १ हस्ताक्षर अभियान की तस्वीर  डा०ओमशंकर की मशाल भगवाधारी के हाथ काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU ) के हृदय रोग विभागाध्यक्ष  डा० ओमशंकर स्वास्थ्य और शिक्षा के अधिकार (#Right2health & #Right2Education ) BHU को भ्रष्टाचार मुक्त करने   के लिए 11 मई से आमरण अनशन पर बैठे हैं | आज 14वां दिन है परन्तु  बीएचयू  प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगा |            2-  बिना अनुमति की ली गई  तस्वीर  उनके समर्थन में अयोध्या से आए एक भगवाधारी बाबा जी सबके कौतूहल का विषय बने हुए हैं |  डॉ० शंकर  के समर्थन में एक मशाल जूलूस कल सांयकालीन सत्र में  निकला बाबा पूरी जिम्मेदारी के साथ  एक 60 वर्षीय युवा की भूमिका में कभी क्रांति मसाल लेकर अगली पंक्ति में  तो कभी , अभिभावक की भूमिका में विनय के भाव से सबको कतारबद्ध करते तो कभी पीछे छूट गये लोगों को दौड़ कर  समेटते पहुंच गये  कुलपति आवास के सामने | छात्र उत्तेजित थे, नारे गगन भेद रहे थे , सड़क भीड़ से अटी पड़ी थी तभी एक सुरक...

बीएचयू के शंकर का संकल्प

    भूखे शंकर का संकल्प आज कलम चिल्ला उठी ,  बीएचयू की खामोशी पर, युवा नसो में फफक  दौड़ रहे , ठण्डे पड़े चटख - लाल-लहू पर , पूछ रही है महामना की , लहराती  सुंदर बगिया , शंकर को मिले हरे जख्म का , कब हिसाब अब होगा, भगत सिंह के सपनो वाला , इंकलाब कब होगा  | कब गूंजेगा कण-कण मेरा , भूखे शंकर के संकल्पों से | भ्रष्टाचार से जकड़े मुझको , कब बेड़ी काटोगे  , कब अधिकार दिला पाओगे , शंकर के दिए विकल्पों सा , वीटी हो या सिंह द्वार हो , या रसेश्वर शंकर ,भोला , पूछ रहे सब प्रतिदिन तुम से , कब गूंजेगा  ,मेरा रंग दे बसंती चोला | लील रहे मिल राहु -केतु , भीख मिली राजधानी को | मौन बने झूठलाते हो तुम , पुरखों से मिली कहानी को | क्यों अपमानित करते हो , महामना से भिक्षु को , क्यों आपमानित करते हो , काशी के अवढ़र दानी को | कब खोलोगे  नयन तीसरा , युवाओं के निर्देशों का , शंकर अब पर्चे वो दे दो , भगत सिंह संदेशों का | उगेगा नया सबेरा अब तो , रात यहां न होगी  , केवल अब पद चांप सुनेंगे | बात यहां न होगी | डा०ओमशंकर का अनशन क्यों...

बीएचयू का चिकित्सक आमरण अनशन पर

  B BHU के विश्वख्यात चिकित्सक प्रोफेसर   Dr Omshankar आमरण अनशन पर -   डा०ओमशंकर हृदय रोग व विभाग अध्यक्ष (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ) ज ब वाराणसी ,काशी या बनारस की बात आती है तो बाबा विश्वनाथ , मां गंगा का पतित पावन तट और  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) एक साथ  हृदय में  अंकित हो जाते हैं  | वैसे तो वाराणसी, बनारस और  काशी पर्याय जैसे प्रयुक्त होते थे परन्तु कुछ समय पूर्व से अगर आप को बनारस जाना है तो पूर्व के मंडुआडीह जाना होगा ,काशी भी एक रेलस्थानक (Railway station ) है | परन्तु आज हम बात करेंगे  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की जहां हृदय रोग विभागाध्यक्ष डा० ओमशंकर आमजन के हित के लिए खुद का जीवन दाव पर लगाकर 11 मई 2024 से  आमरण अनशन पर हैं |  हालाकि वह अभी भी अपने मरीजों को अनशन स्थल से ही देख रहे हैं |अब  ओपीडी का संचालन कमरा न०19 से कर रहे हैं  | चिकित्सक प्रोफेसर डा० ओमशंकर के आरोप- डा०ओमशंकर हृदय रोग विभागाध्यक्ष हैं और  ख्यातिलब्ध चिकित्सक इनको राष्ट्रीय ,अन्तर्राष्ट्रीय  स्तर के सेवा  सम्म...

ईद मुबारक़

        ईद मुबारक़   प्रकृति का ये नया कलेवर ,  नवसंवत्सर में  सूरज- चंदा दीद  मुबारक़ , गंगा का ये पावन पानी , जिसपर तरते स्वर रसखानी, बिस्मिल्लाही  धुन पर, बचपन को वो नींद मुबारक़   | रहे मुबारक भारत माटी ,   सबको -सबकी ईद मुबारक़ ||  

गांव छोड़ के आइल बानी

गांव छोड़ के आइल बानी   बरिस दिन के दिन  रहे ई ,  सगरो से अच्छा सीन रहे ई , नोकरी, रोटी, स्वारथ में एतना हम अंझुराइल बानी , सोन चिरइया गांव आपन हम अहकत छोड़ के आइल बानी  | छान्ही की एक ओरियानी चोंचा घर बनावत ई, एक ओरियानी घात लगा के कबूतर खर जुटावत ई , बीच बड़ेरा ठोरे -ठोरे फुर्गुदी क खोंता तर सझुराइल बानी , सोन चिरइया गांव आपन हम अहकत छोड़ के आइल बानी  | फगुआ में फाग बिसर गईल ,  चैति में उ चैता  , कजरी के उ राग रहे का , सब कुछ हम भुलाइल बानी  , सोन चिरइया गांव आपन हम अहकत छोड़ के आइल बानी | मसूरी रहे कटत अभी त , गेंहूं बस गदराइल बा , उम्ही ,गदरा , होरहा ,कचरस पाके बस अगराइल बानी,  सोन चिरइया गांव आपन हम अहकत छोड़ के  आइल बानी  | सगरो सिवान हरियरे बाटे , आम मउर अब लागत बाटे,  सूखल देख के हरदी के गावा , हमहूं अब झुराईल बानी, सोन चिरइया गांव आपन हम अहकत छोड़ के आइल बानी  | गांव से होरहा (भूना चना) गांव के गेंहूं के खेत बुतरु और गोलू ,निखिल कैंची साइकिल चलाते  Holi song गांव के होली गीत  फगुआ 

अभिनन्दन पत्र

 अभिनन्दन पत्र     किसी अधिकारी कर्मचारी के स्थानान्तरण /सेवानिवृत्ति  पर एक उपलब्थि पत्र के रुप स्मृति चिन्ह के रुप में  एक आख्यान..       प्रयोजन -  एक शिक्षक विरंजय सिंह यादव ने  विकास खण्ड के समस्त शिक्षकों की तरफ से अपने महबूब (प्रिय ) विद्वान खण्ड शिक्षा अधिकारी डा० अरूण कुमार सिंह  के स्थानान्तरण पर यह पत्र लिखा है | अभिनन्दन पत्र की विशेषता -         अपने अनुशासनिक खण्ड शिक्षा अधिकारी के जनपद मीरजापुर विकास खंड-जमालपुर  , से कौशाम्बी जनपद स्थानान्तरण पर लिखे अभिनन्दन पत्र में  ,अपने विद्यालय के प्रधानाध्यापक श्री प्रभाकर सिंह के आग्रह पर अभिनन्दन पत्र की पंक्तियां  प्र भा क र अक्षर से शुरु होती है ं-- सम्पूर्ण पत्र -     श्रीमान्  डा० अरुण कुमार सिंह   *खण्ड शिक्षा अधिकारी, जमालपुर ,मीरजापुर* सेवारम्भ तिथि 7 जून 2021  प्रथम पदस्थापन- सौभाग्यशाली  ब्लॉक संसाधन केंद्र, जमालपुर मीरजापुर | स्थानान्तरण आदेश- 18 फरवरी  2024    प्रगति प्रेमी ,...

सुच्चा बनारसी

 सुच्चा बनारसी  कुछ दिन बनारस क्या रहे ,खुद को बनारसी समझने लगे,  जहां तहां आत्म विश्वास से लबरेज , घूमने टहलने लगे , मंदिर  ,घाट हो सड़क हर जगह  बनारसी होने का दम्भ भरने लगे , न वो सरदार रहे न सरदारी ,पर जहां खुला देखे लंगोटा कस दंड मारने लगे , प्रणाम -नमस्ते  औ राम -राम तज, अभिवादन श्रेष्ठ महादेव कहने लगे , गंगा में  डुबकी लगाकर हर हर गंगे कह दूर तक  तरने लगे , लस्सी ,मलाई ,ठंडई  ,मलईयो छके  और  मुंह में  पान  धरने लगे , बोली -आचार , व्यवहार  और आहर  में बनारसी वरण करने लगे  , महाश्मशान की भभूत और   माथे  पर तिलक का श्रृंगार करने लगा , हमारा बनारस और  खुद  को घनीभूत बनारसी  समझने लगे,  पर एक  दिन संयोग हुआ घनघोर बनारसी से , जल ढारने में वाद करने लगा , मैं भी खुद को बनारसी बता आगे बढ़ने लगा ,  उसने बात की और बात - बात में बात पकड़ने लगा , मैं बनावटी बनारसीपने से अकड़ने लगा , उसने मेरी सारी अकड़ निकाल दी और  महादेव पर पहला अपना अधिकार कहने लगा , मुझे ज्ञान मि...