हिन्दी दिवस पर भाषण
आज हिन्दी दिवस है और इस अवसर पर इस सभा में उपस्थित गुरुजनों को प्रणाम तथा सभी भाई -बहनों को यथोचित अभिवादन समर्पित करती हूं |
हिन्दी दिवस पर मुझसे पूर्व सभी वक्ताओं द्वारा कही गयी बातों से सहमति जताते हुए मैं भाषण नहीं दूंगी बस अपनी बात कहूंगी | मैं यह समूचे राष्ट्र से यह पूछना चाहती हूं कि स्वतंत्रता के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी हमारी मातृ भाषा हिन्दी को वो सम्मान क्यों न हासिल हो सका जो अन्य भाषाओं को प्राप्त है | क्या यह भाषण और वाद विवाद प्रतियोगिता महज एक आयोजन हैं ?
मैं पापा के मोबाइल में एक वीडियो देख रही थी जिसमें मेरे जैसे एक बेटी अंग्रेजी में अन्य भाषाओं की अपेक्षा कम अंक प्राप्त कर पायी थी | घर पहुंचने पर मां द्वारा पूछे जाने पर , कि बिटिया क्या हुआ ,इतना उदास क्यों हो , आज तो परीक्षा का परिणाम आया है- आप को खुश होना चाहिए, कहते हुए मां - बिटिया के हाथ से अंक पत्र ले कर देखने लगी और पूछ बैठी बिटिया ये क्या ? अंग्रेजी में इतने कम अंक क्यों बाकी विषयों में तो ठीक है ?
इस प्रश्न का जबाब देते हुए बिटिया ने कहा मां .. अंग्रेजी के प्रश्नपत्र में, प्रश्न था अपने सपनों को संक्षिप्त में लिखिए. .. अब आप ही बताओ मां अब मैं अपने सपनों को अपनी मातृभाषा के अलावा किसी दूसरी भाषा में केसे लिख पाती |
मुझे उस छोटी बहन का प्रश्न बहुत झकझोर गया |
क्या हम हिंदी को सीमित करते जा रहे हैँ, क्या हम हिन्दी को हिंदी पखवाड़े और हिन्दी दिवस तक ही समेट देंगे ?
नहीं हम हिन्दी को आकाश देंगे समृद्ध करेंगे |
निज भाषा उन्नति अहै , सब उन्नति के मूल ||
बिनु निज भाषा ज्ञान के ,मिटे न हिय के शूल ||
इन्ही बातों के साथ अपनी वाणी को विराम देती हूं |
" जय हिन्दी जय हिन्दुस्तान "
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