स्कूल" स्कूलों का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...
। स्व०कुमर किशोर जी कुशल शिक्षक व कबीर विचार सेवी का परिनिर्वाण बिहार मधेपुरा के एक छोटे से गांव में जन्मे पले -बढ़े "कुमर किशोर "जी शिक्षक बने और ऐसे शिक्षक जो मन ,कर्म और वचन से शिक्षक और केवल शिक्षक थे परन्तु अपने पारिवारिक रिश्तों को उन्होंने बहुत महत्व दिया दो बेटों और दो बेटियों के लिए एक अच्छे पिता भी थे कुमर किशोर जी , सभी सामाजिक तानेबानों को मजबूती से पकड़े | परिवार बड़ा और समृद्ध था ,संयुक्त परिवार अपने आप में समृद्धि का परिचायक है ,परन्तु ऐसा परिचय अधिक समय तक न रहा परिवार में बिखराव हुआ, सबके हिस्से अपने -अपने संघर्ष आए और कुमर किशोर जी के हिस्से में सामाजिक न्याय का मजबूत इरादा , सामाजिक, आर्थिक संघर्ष और बेटे -बेटियों के परवरिश की जिम्मेदारी, इस दायित्व में बराबरी का संघर्ष था उनकी पत्नी का भी | कुमर किशोर जी ने शिक्षक होने के साथ -साथ एक आदर्शवादी पिता की भूमिका भी बखूबी निभाई | अपने बच्चों को संस्कार और पढाई में कोई ढी...