डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
अहीर की बुद्धि एक किंवदंति
श्री कृष्ण जन्म जब बारह बजे रात्रि को भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ जिसे जन्माष्टमी कहा गया, जन्माष्टमी को चारो तरफ घटाटोप अंधेरा था ,एक हाथ को दूसरे हाथ की नहीं सूझ रही थी ... कंस जैसे आसुरी प्रवृत्तियों की प्रबलता थी ,तभी प्रभु यदुकुल श्रेष्ठ श्रीकृष्ण का जन्म हुआ. ..
कंस और जरासंध जैसे अत्याचारियों ने सबकी बुद्धि बंद कर दी थी , वसुदेव और देवकी को कारागार में डाल दिया था , चहुओर भय व्याप्त था तभी जन्म हुआ श्याम सलोने कृष्ण का और बुद्धि खुल गयी सभी नगर जनों (मथुरा यादवों /गोपालकों की नगरी थी) की अब लग रहा था कि मुक्ति का समय आ गया है, क्योंकि भविष्यवाणी के अनुसार कृष्ण देवकी की आठवीं संतान थे... सम्भवतः उक्त पंक्ति तभी कही गयी कि "यादव की बुद्धि बारह बजे से काम करती है " पर समाज के मूर्ख लोगों ने उसे अपने सुविधा अनुसार प्रयोग और परिभाषित किया |
एक त्वरित रचना.......
( कन्हैया जनम भयो )
जनम समझ लो सफल भयो ,
बारह बजे जो बुद्धि खुली तो ,
कृष्ण - कन्हैया जनम भयो |
जेल का ताला टूट गया औ ,
वसुदेव जी सफल भयो ||
खुली बुद्धि जो बारह बजे तो ,
नाग नथैया सफल भयो |
कंस ,जरासंध , दुर्योधन संग,
शिशुपाल जस दुष्ट दहन कर,
यदुकुल लल्ला सफल भयो |
खुली बुद्धि जो बारह बजे तो,
रास रचैया सफल भयो ,
गाय चराकर वृंदावन में ,
मुरली के बजैया सफल भयो |
खुली बुद्धि जो बारह बजे तो ,
यारी करी उन वन गामी संग,
महासमर रच,
गीता के रचैया सफल भयो ,
तू बबुरा माटी का धेला ,
अहीर संगतिया ना समझा जो,
बारह बजे का मर्म जो समझे ,
जनम समझ लो सफल भयो |
कृष्ण जैसी मित्रता -
कृष्ण जब ज्ञानार्जन के लिए गुरु के आश्रम गये तो वहां मित्र मिले सुदामा..
कृष्ण जब राजा हुए तब सारे वैभव उनके पास थे परन्तु यार सुदामा भिक्षाटन करके अपना जीवन यापन करते , पत्नी के बार -बार कहने पर जब वे कृष्ण के पास पहुंचे तो द्वारपाल द्वारा संदेश में हुलिया और नाम सुनते ही तीनो लोक के स्वामी बिना चरण पादुका ही दौड़ पड़े अपने मित्र सुदामा के स्वागत में और आंसुओं से पैर पखारने लगे और अपने मित्र को बराबर की सम्पदा का मालिक बना दिए...
एक प्रासंगिक मित्रता और आती है जब कृष्ण की मित्रता हस्तिनापुर के रिश्तेदार राजघराने से जिसमें उनकी बुआ कुंती का विवाह हुआ था |
वहां की संपत्ति और संपदा का विवाद इतना बढ़ा की "महाभारत " जैसे महासमर की रचना हुई और उस महासंग्राम में कृष्ण वंचितों, कमजोर पक्ष वालों का साथ देते हैं और उनकी जीत सुनिश्चित हो जाती है |
तभी से यह उक्ति प्रसिद्ध होती है कि जीवन में मित्र हो तो यादव श्रेष्ठ कृष्ण जैसा. .जो साथ उसके रहे जिसकी हार निश्चय दिखे ,परन्तु साथ रहे तो जीत निश्चित कर दे ||
Janmashtami 2023 शुभ मुहूर्त
Shree krishna Janmashtami 2023 के लिए शुभ मुहूर्त के लिए आम जनमानस में भ्रांति और मतभेद है परन्तु पांचांग के अनुसार Janmashtami की तिथि 6 सितम्बर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से प्रारम्भ होकर अगले दिन 7 सितम्बर को सायं 4 बजकर 14 मिनट पर समापन होगा |shrikrishana Janmashtami पर shrikrishana janmotsav के लिए अष्टमी तिथि के साथ ही रोहिणी नक्षत्र का होना आवश्यक माना जाता है | अपितु इस -बार रोहिणी नक्षत्र 6 सितम्बर को प्रात:9.20 से 7 सितम्बर को प्रात:10.25 तक रहेगा | चूकि श्रीकृष्ण जन्म रात्रि 12 बजे हुआ अत: shrikrishana janmastmi 6 september को मनाई जाएगी | यहां क्लिक करें अब मैं अपराध मुक्त हूं
Shree krishna Janmashtami की पूजन विधि व जन्म मुहूर्त
Janmastmi की सज्जा (Decoration )
Shree krishna Janmashtami पर साज -सज्जा का विशेष महत्त्व है, श्रीकृष्ण के बाल रूप (लड्डू गोपाल ) की तस्वीरों अथवा प्रतिमा को ग्राम्यांचल में साड़ियों ,बांस की डंडियों केले के पत्तों ,अशोक व आम के पत्तों तथा बंदनवार से सजाया जाता है |
अब तो विद्युत झालरों व रंग बिरंगी बत्तियों से साज सज्जा Decoration का काम आसान हुआ है |
Krishna image At janmastmi
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Krishna kanya in mahabharat
Jai shree krishna
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