डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
!!उ कहाँ गइल!!
रारा रैया कहाँ गइल,
हउ देशी गैया कहाँ गइल,
चकवा - चकइया कहाँ गइल,
ओका - बोका कहाँ गइल,
उ तीन तड़ोका कहाँ गइल
चिक्का , खोखो कहाँ गइल,
हउ गुल्ली डण्डा कहाँ गइल,
उ नरकट- कण्डा कहाँ गइल,
गुच्ची- गच्चा कहाँ गइल,
छुपा - छुपाई कहाँ गइल,
मइया- माई कहाँ गइल,
धुधुका , गुल्लक कहाँ गइल,
मिलल, भेंटाइल कहाँ गइल,
कान्ह - भेड़इया कहाँ गइल,
ओल्हापाती कहाँ गइल,
घुघुआ माना कहाँ गइल,
उ चंदा मामा कहाँ गइल,
पटरी क चुमउवल कहाँ गइल,
दुधिया क बोलउल
कहाँ गइल,
गदहा चढ़वइया कहाँ गइल,
उ घोड़ कुदइया कहाँ गइल!!
Copy@viranjy
Sahi baat. Wo sab yaad ate hai.
ReplyDeleteयाद- याद बस याद रह जाती है, वह सांस्कृतिक विरासत, भौतिकता में हम सब कुछ भूल गए..
ReplyDeleteबचपन 55 मे भी नही भूलेगा ☺️
ReplyDeleteवाह
Deleteटेक्नोलॉजी आईल सबके ले के चल गईल।
ReplyDeleteसही कहला इस मुइ सब लिल ग इल
Deleteआइस पाईस कैसे आई,
ReplyDeleteक तिरि सत्ताईस कैसे आई...
Sahi सहिए बात बे ,सब भुला गइल
ReplyDeleteसुंदर रचना❤️
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ReplyDeleteन तो इसे साहस कहा जा सकता है और न ही बदतमीजी क्योंकि आप के सीखने की ललक आप को ऐसा करने के लिए मजबूर कर रही थी ।
अब प्रश्र उठता है सर के दोहरी मानसिकता पर ,देर से आने पर किसी और के लिए "आ जाओ" और आप के लिए "गेट आऊट" । शायद घर से लड़कर आए थे ।
Shandar rachana
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