Skip to main content

Posts

Showing posts with the label साहित्य

शिक्षकों स्थिति और मुर्गे की कहानी

 शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल  शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं,  शिक्षक |  अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं।  परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें |  उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और  पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी |         सरकारी शिक्षकों का दायित्व  एक सरकारी शिक्षक को  , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण,  बी एलओ,  सफाई , एमडीएमए ,चुनाव  और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक  जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल  पैर और वजनदार शरीर  अर्...

जालियां वाला बाग हत्याकांड

  विश्व के मानवीय इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना  13 अप्रैल 1919 पंजाब का जालियां वाला बाग हत्याकांड | इस नृशंस हत्या का नेतृत्व कर रहा था | अंग्रेज जनरल डायर | इस  हत्याकांड में शहीद होने वाले भारतीयों में सिक्खों और हिन्दुओ की  संख्या अधिक थी |अवसर था रौलेट एक्ट का विरोध | हत्याकांड का कारण भारतीयों पर होते अत्याचार व बर्बर कानूनों के बढ़ते दबाव से भारतीयों का धैर्य जबाब दे चुका था | अब सभी भारतीय एकजुट होकर जगह - जगह विरोध कर रहे थे |  समय था 13 अप्रैल 1919 का, उस समय सम्पूर्ण देश में रौलेट एक्ट का विरोध चरम पर था |  परन्तु इसे  दुर्भाग्य ही कहा जाए तो ठीक होगा | रविवार का दिन था पंजाब की एक बेहद ही खूबसूरत जगह जालियां वाला बाग में बैसाखी  का मेला लगा था |  सभी स्थानीय भारतीय उस मेले में सम्मिलित हुए | जालियां वाला बाग चहारदीवारी से घिरा एक शानदार बाग था, जो लगभग 26000 स्क्वायर फिट में फैला है | उस बाग  में एक ही प्रवेश और निकास द्वार था |  भारतीयों के रौलेट एक्ट के विरोध को देखकर अंग्रेजी शासन की चूलें हिल गई थी | इसलिए उस उत्सव मे...

हिन्दी के हरकारे

 हिन्दी के हरकारे हिन्दी दिवस 2021  "निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति के मूल "                                               - भारतेन्दु हरिश्चंद्र जब भारतेन्दु जी ने  जब यह बात कही तब तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कही थी | परन्तु परिस्थितियां बेहतर की जगह बदतर हुई हैं | न हमने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को वह सम्मान दिलाया और न ही अपने राष्ट्र में राष्ट्र भाषा का दर्जा | महात्मा गांधी ने कहा था - हिन्दी जनमानस की भाषा है | आइये उन हिन्दी के हरकारों ( दूत,संदेश वाहक, डाकिया)के बारे में जो युगों - युगों तक हमें हिन्दी से सिंचित करते रहेंगे | मुंशी प्रेमचंद मुंशी जी ब्रिटिश शासन में देशवासियों के हृदय में  अपनी लेखनी से देश प्रेम की जो लौ जलाई वह धधकती रही सोजे वतन, कलम का सिपाही फणीश्वरनाथ रेणु  फणीश्वरनाथ नाथ रेणु की भी रचनाएँ (मैला आँचल) स्वतंत्रता सेनानियों के लिए  तथा आंचलिक समस्याओं के लिए मील का पत्थर साबित हुयी  रामधारी सि...