डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान राजनीति बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर समता के प्रतीक थे , बाबा साहब को भारत रत्न से नवाजा गया |बाबा साहब ने संविधान निर्माताओं की टीम में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया |बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पत्नी रमा बाई का नाम भी सम्मान से लिया जाता है | बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर अपने बचपन में बहुत ही यातनाओं से गुजरे, हर जगह अपमानित हुए, क्योंकि इनका जन्म एक महार परिवार में हुआ था | जिसे अछूत माना जाता था|परन्तु डा० भीमराव अम्बेडकर बाबा साहब ने उन विषम परिस्थितियों में घुटने नही टेके लड़ते रहे मजबूर, मजदूर, शोषित, अप वंचित, महिला पिछड़ा व दलित वर्ग के लिए | अप वंचित वर्गों शिक्षा व समता के लिए बाबा साहब का जीवन समर्पित रहा | बाबा साहब की देन है कि आज अप वंचित वर्ग विभिन्न संवैधानिक अधिकारों से लाभान्वित हो रहा है परंतु अभिजात्य वर्ग आज भी बाबा साहब के नाम से खुश नहीं रहता | परंतु जिन्होंने बाबा साहब के योगदान को समझा आज भी उन्हें सम्मान देते और पूजा करते हैं | परंतु क्या बाबा साहब 14 अप्रैल को जयंती मनाने तक सीमित...