डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
आइएमएस बीएचयू का सीसीआई लैब बेचने की तैयारी
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित सर सुन्दरलाल चिकित्सालय में हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. डॉ ओमशंकर ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर कर आईएमएस बीएचयू के अधिकारियों पर सेंटर फॉर क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन (सीसीआई) लैब को बेचने की तैयारी करने का आरोप लगाया है।
डॉ शंकर का कहना है कि सीसीआई लैब(CCI LAB) आइएमएस बीएचयू (IMS BHU)का एकीकृत परीक्षण केन्द्र है जो लम्बे समय से क्लिनिकल इन्वेस्टिगेशन का काम कर रहा था |
बीएचयू में प्रदेश तथा अन्य प्रदेशों के मरीज यहाँ उपचार के लिए आते हैं परन्तु संसाधनों की कमी के कारण लम्बी -लम्बी कतारों से परेशान होकर बीएचयू (BHU)आना ही नहीं चाहते |
प्रो. ओमशंकर ने लिखा कि " रोज इलाज को आने वाले हजारों मरीजों की सबसे बड़ी समस्या लंबी-लंबी लाइन और जांच में पूरे दिन भटकने में गुजर जाना है। कई लोग इसी डर से बीएचयू में चाहते हुए भी इलाज करवाने नहीं आते हैं। इन्हीं सबके बीच एक विभाग तेजी से विकसित हो रहा है, जिसे लैब मेडिसिन कहा जाता है। इसी तरह स्मार्ट लैब भी आ गई है। जिसमें पलक झपकते ही, एक ही जगह एक ही संकलित सैंपल से सैकड़ों टेस्ट कर डालते हैं"
डॉ साहब ने जो कहा सही कहा आज नित नए - नए शोध हो रहे हैं जिससे यह सम्भव हो सका है कि स्मार्ट लैब बनाई जाए उच्च तकनीकी की मशीनें लगें जहाँ अधिक से अधिक नमूनों का संग्रह कर कम समय में सटीक निदान किया जा सके |
उन्होंने अपनी पोस्ट में कहा है कि एक तकनीकी तेजी से विकसित हो रही है" लैब मेडिसिन" जो स्मार्ट लैब है|
लैब को अपडेट करने के बजाय आइएमएस बीएचयू के अधिकारी इसको बेचने की तैयारी कर लिए हैं |
डॉ ओमशंकर(Dr Omshankar) के इस सोशलमीडिया पोस्ट को खूब शेयर किया जा रहा है |
विभिन्न समाचार पत्रों ने भी इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया तथा समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों ने आइएमएस के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह से इस बाबत बात की तो उन्होंने लैब को बेचने का आरोप गलत बताया उन्होंने कहा कि लैब को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप शि )माडल पर संचालित करने की तैयारी है |
पीपीपी माडल का सच यह है कि मकान आपका और आप किरायेदार रख लें और किराया वसूलें | सरकारी संस्थान के किसी विंग को किराए पर देना वर्तमान सरकार की प्रबंधन विफलता का नमूना है | डॉ राजेश सिंह ने कहा की जिस तरह से एमआरआई केन्द्र पीपीपी माडल पर संचालित हो रहा उसी तरह यह भी संचालित होगा एम आर आई सेंटर का सच यह है कि फिर शुल्क लगभग प्राइवेट के बराबर व आपकी बारी एक माह बाद आएगी | रेलवे को बेचने के बाद प्लेटफार्म टिकट 10 से सीधे 50 @₹ | अब आप स्वयं बताइये की डॉ ० ओम शंकर के आरोप बेबुनियाद है?
अभी तक गरीब से गरीब व्यक्ति सस्ते, सरल व सुलभ इलाज के लिए बीएचयू आता था |
अब निजीकरण के बाद क्या इलाज के लिए सोच पाएगा |
जब तक लोग जानेंगे देर हो गई रहेगी
ReplyDeleteThik nahin hai
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