डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
Hello everyone,
My name is Viranjay Singh . I am an Motivational Teacher and independent journalist from India.
Because I love blogging so I am doing blogging from past 2 years. In this period I motivate a lot person.
If you have any question for me. Then contact me please at- viranjay.guru@gmail.com
Or You can whatsapp me at +91 9455307301
Thank You
Hii sir I am beginner please guide me
ReplyDeleteI want to meet you and know about you
ReplyDeleteYou are grate sir
ReplyDeleteYour all blog is meaning full .
ReplyDeletejarurt padne pr samprtk kr liya jayega
ReplyDeletei am really inspired from you.
ReplyDeleteAchieve your goals
Deleteसभी लेखों से सार्थकता झलकती है,
ReplyDeleteअच्छा है |
Achha prayas hai
ReplyDelete