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स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

हिन्दी के हरकारे

 हिन्दी के हरकारे

हिन्दी दिवस 2021 



"निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति के मूल "

                                              - भारतेन्दु हरिश्चंद्र


जब भारतेन्दु जी ने  जब यह बात कही तब तत्कालीन परिस्थितियों को ध्यान में रखकर कही थी | परन्तु परिस्थितियां बेहतर की जगह बदतर हुई हैं | न हमने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को वह सम्मान दिलाया और न ही अपने राष्ट्र में राष्ट्र भाषा का दर्जा |
महात्मा गांधी ने कहा था - हिन्दी जनमानस की भाषा है |
आइये उन हिन्दी के हरकारों ( दूत,संदेश वाहक, डाकिया)के बारे में जो युगों - युगों तक हमें हिन्दी से सिंचित करते रहेंगे |

मुंशी प्रेमचंद



मुंशी जी ब्रिटिश शासन में देशवासियों के हृदय में  अपनी लेखनी से देश प्रेम की जो लौ जलाई वह धधकती रही
सोजे वतन, कलम का सिपाही

फणीश्वरनाथ रेणु 



फणीश्वरनाथ नाथ रेणु की भी रचनाएँ (मैला आँचल) स्वतंत्रता सेनानियों के लिए  तथा आंचलिक समस्याओं के लिए मील का पत्थर साबित हुयी 

रामधारी सिंह दिनकर 

रामधारी सिंह दिनकर उन हिन्दी के बेटों में से थे जो स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात नेहरू सरकार में राज्य सभा में मनोनयन के पश्चात नेहरू के खिलाफ सदन में कविता पढ़ने का साहस रखते थे |
 

पं अटल बिहारी वाजपेयी

पंडित अटल बिहारी वाजपेयी नेता विपक्ष रहते हुए भी भारत की महीयसी प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के द्वारा भेजे जाने पर संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण दे कर हिन्दी को उचित सम्मान दिलाया |

डॉ कुमार विश्वास

      डॉ कुमार विश्वास ने हिन्दी कविता को गूगल हेडक्वार्टर और कैलिफ़ोर्निया तक पहुंचाया |हिन्दी कविता को ऊंचा आयाम दिया |

हिन्दी को  भारत में स्वतंत्रता पूर्व से लेकर अब तक जो गौरव मिलना चाहिए था वो प्राप्त न हो सका  उसका मूल कारण है हमारी अपरिपक्व सोच व उधार का दर्शन | 
हम आज भी अपने राष्ट्र, मातृभूमि और मातृभाषा के सम्बन्ध में अपनी स्वतंत्र सोच न विकसित कर सके | उधार के भाषायी दर्शन को ढोते रहे | आज भी हम हिन्दी को एक दोयम दर्जा ही प्रदान करते हैं | स्कूल में बच्चा जब पढ़ने जाता है तो शिक्षक से लेकर अभिभावक तक बच्चे की विदेशी भाषा ज्ञान को ठीक करने में लगे रहते हैं | परिणाम यह निकलता है कि हम " ब्याज के चक्कर में मूलधन खो बैठते हैं "  हम अंग्रेजी सीखने - सीखाने के चक्कर में  हिन्दी भी चौपट कर देते हैं |

हिन्दी दिवस कब, क्यों और कैसे

हिन्दी दिवस १४ सितम्बर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है, 
अब प्रश्न यह उठता है कि १४ सितम्बर को ही क्यों-
क्योंकि १४ सितम्बर १९४९ को संविधान सभा ने हिन्दी भाषा, लिपि देवनागरी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया तब से हिन्दी भारत की राज भाषा के रूप में प्रतिष्ठित है |

राज भाषा हिन्दी ही क्यों? 

भारत विविधताओं का से भरा है विभिन्न भाषाएँ तथा बोलियाँ है ं , परन्तु संविधान सभा के सदस्यों ने हिन्दी को जन सामान्य की भाषा होने के कारण व  सबसे अधिक बोली जाने के कारण चुनी गयी |

हिन्दी की विज्ञानिकता- 

      जब हम हिन्दी को व्यवहार में लाते हैं तो इसकी विज्ञानिकता समझ में आती है आइए एक तुलनात्मक चर्चा कर ही लेते हैं हिन्दी में अभिवादन, प्रणाम, नमस्कार, नमस्ते, अलग -अलग  आयु वर्ग के लिए नियत है( आप, तुम के लिए अंग्रेजी में यू)परन्तु अन्य भाषाओं में ऐसा कम ही मिलता है|
सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत के सबसे नजदीक की भाषा है|

विश्व में हिन्दी भाषा

विश्व में हिन्दी सम्पर्क भाषा के रूप में सम्मानित है |
क्योंकि १० जनवरी विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जना इस बात का पर्याप्त साक्ष्य है |
वैसे तो भारतीय लोग विश्व में जहाँ भी हैं हिन्दी बोलते- समझते हैं परन्तु कुछ देशों-

सूरीनाम में सूरीनामी हिन्दी
मारीशस में क्रियोल हिन्दी
फिजी में फिजिकल हिन्दी
नेटाल (दक्षिण अफ्रीका) नेटाली हिन्दी
त्रिनिदाद में त्रिनिदादी हिन्दी
नेपाल में नेपाली हिन्दी
तथा  भारत के  अन्य पड़ोसी देशों में हिन्दी संचार की भाषा है |

वर्तमान और हिन्दी दिवस 

वर्तमान में हिन्दी दिवस केवल औपचारिकता न होकर हमें संकल्पित होना चाहिए कि हम हिन्दी संवर्धन और उन्नयन हेतु हिन्दी का अनुशीलन और व्यवहृत करेंगे |
अन्य भाषाओं का ज्ञान हमें अवश्य होना चाहिए परन्तु हिन्दी मातृभाषा है इसे इसके स्थान से पदच्युत नहीं किया जाना चाहिए |
  


Comments

  1. हिंदी को उतुंग शिखर पर पहुंचने में एक कदम धन्यवाद , हिंदी दिवस की बधाई

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  2. हिंदी है हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा

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  3. Sahas hi kahiye ,badatamiji to nahin hai

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