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डा० भीमराव अंबेडकर और वर्तमान

 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज  बाबा साहब  समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...

प्रधानाध्यापक ने मुख्यमंत्री से मांगा सोलर पैनल

  प्रधानाध्यापक ने मुख्यमंत्री से मांगा सोलर पैनल एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक की स्कूल के प्रति दिवानगी कुछ ऐसी है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी को पत्र लिखकर मांग लिया सोलर पैनल |  एक स्कूल ऐसा भी उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद के जमालपुर विकास खण्ड अन्तर्गत डोमरी ग्रामसभा  में स्थित सरकारी स्कूल प्राथमिक विद्यालय डोमरी के प्रधानाध्यापक प्रभाकर सिंह पटेल ने गर्मी में सूख रहे पौधों व बिजली की स्थिति को देखकर मुख्यमंत्री पोर्टल पर लिखा पत्र और मांगा समुचित क्षमता का सोलर पैनल |        आज जब लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के बारे में सोच रहे हैं तब इस प्रधानाध्यापक ने एक नजीर पेश की है |       अब गेंद अधिकारियों के पाले में है || मुख्यमंत्री को लिखा पत्र   सम्बोधन में लिखा बच्चों और पौधों को सूखने से बचाने के लिए मांग लिया सोलर एनर्जी प्लांट

प्रबोधनी एकादशी या देव उठायनी एकादशी

प्रबोधनी एकादशी या देव उठायनी  एकादशी              कार्तिक शुक्ल एकादशी को पद्मपुराण में देवप्रबोधिनी एकादशी कहा गया है। इस एकादशी को देवउठनी और देवउठानी और हरिप्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी के सभी नाम का अर्थ एक ही है भगवान का नींद से जगना। भगवान विष्णु इस दिन चार महीने के शयन के बाद योगनिद्रा से जगते हैं। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का देवी तुलसी के साथ विवाह हुआ था। इसलिए इस एकादशी का साल के सभी 24 एकादशी में विशेष महत्व है। ऐसा कहा जाता है अथवा शास्त्रों में उल्लेख है कि एकादशी के व्रत से मिलती है पाप कर्मों से छूट इस दिन देवी-देवता भी एकादशी का व्रत रखते हैं। पद्मपुराण में बताया गया है कि इस एकादशी के व्रत से मनुष्य पाप कर्मों से छूट जाता है और मुक्ति पा जाता है। लेकिन इस साल देवप्रबोधिनी एकादशी की तिथि को लेकर उलझन की स्थिति है क्योंकि 25 और 26 नवंबर दोनों ही दिन एकादशी तिथि है। आइए जानें किस दिन एकादशी व्रत करना होगा आपके लिए सही। इस वर्ष  देवशयनी एकादशी पर उलझन की स्थिति की वजह यह ...

किसान का धान आपदा नहीं विपदा में

किसान का धान आपदा नहीं विपदा में किसान धान की फसल लगाया पूरी लागत के साथ, खाद, मजदूरी, दवा, निराई -गुड़ाई, सब बेहतर ढंग से की गई, ऊपर से इन्द्रदेव मेहरबान थे समय - समय पर जल आपूर्ति सही रखे जिससे सिंचाई की जरूरत कम पड़ी  | धान की फसल बहुत बढ़िया उतर आयी  |धान की बढ़वार बढिया हुयी,बालियां सुनहरी हो चली परन्तु प्रकृति जनित आपदा नहीं अपितु मानव जनित विपदा ने धान की फसल को रसातल को भेज दिया | गाँव को विकास के पर लगाने, मनरेगा की राशि खपाने की औपचारिकता ने   अनियोजित चक रोड  खूब बनाए, जिससे पूरा जोत व बसावट छोटे -छोटे अनचाहे सेक्टरों में बंट गया| नतीजा यह निकाला की बारिश का पानी जहाँ का तहाँ जमा रहा  |क्योंकि उन लालची और गैर किसान ठीकेदार नीचों द्वारा चक रोड में जलनिकासी हेतु कोई व्यवस्था नहीं बनायी, पुलिया अथवा नाली नहीं बनवायी | बची कोर कसर नाले (बहा) के जाम रहने ने पूरा कर दिया जिसको विकास खण्ड तथा जिला पंचायत ने मई-जून के माह में साफ -सफाई के नाम पर धन आहरित कर बांट लिया था | अब पूरी फसल जलमग्न है,  धान गिरा हुआ है अब सरकार को भी राहत है, पर...

उ कहाँ गइल

!!उ कहाँ गइल!!  रारा रैया कहाँ गइल,  हउ देशी गैया कहाँ गइल,  चकवा - चकइया कहाँ गइल,         ओका - बोका कहाँ गइल,        उ तीन तड़ोका कहाँ गइल चिक्का  , खोखो कहाँ गइल,   हउ गुल्ली डण्डा कहाँ गइल,  उ नरकट- कण्डा कहाँ गइल,           गुच्ची- गच्चा कहाँ गइल,           छुपा - छुपाई कहाँ गइल,   मइया- माई  कहाँ गइल,  धुधुका , गुल्लक कहाँ गइल,  मिलल, भेंटाइल  कहाँ गइल,       कान्ह - भेड़इया कहाँ गइल,       ओल्हापाती कहाँ गइल,  घुघुआ माना कहाँ  गइल,  उ चंदा मामा कहाँ  गइल,      पटरी क चुमउवल कहाँ गइल,      दुधिया क बोलउल कहाँ गइल,   गदहा चढ़वइया कहाँ गइल,   उ घोड़ कुदइया कहाँ गइल!!                  Copy@viranjy

जब लोहिया जी ने पांच में से तीन रुपए लौटाया..

जब लोहिया जी ने पांच  में से तीन रुपए लौटाया..     समाजवादी विचारक जिन्होंने कहा, " क्रांति टुकड़े में नहीं लाई जा सकती " उनके कहने का आशय था कि  गलत के विरोध में सबको एक साथ खड़ा होना होगा, अलग -अलग विरोध करने से क्रांति नहीं लायी जा सकती,    वे स्वयं बहुत मितव्ययी थे तथा दूसरों को भी संयमित खर्च की सलाह देते थे!  एक बार की घट्ना है जब डा० राममनोहर लोहिया को सोशलिस्टों ने बलिया में एक सभा को संबोधित करने हेतु बुलाया था!  वह ऐसा दौर था जब डा०लोहिया का पूरे वर्ष का कार्यक्रम नियोजित रहता था आज यहाँ तो कल कहाँ , आवागमन का खर्च तथा भोजन व ठहराव का खर्च वहन  संगठन अथवा आयोजक को करना होता था!                  डा०लोहिया बलिया समय से पहुँच गए तथा सभा को संबोधित करने के उपरांत उन्होंने अपने अगले कार्यक्रम के लिए पटना प्रस्थान की इच्छा जाहिर की, इस बाबत उन्हें ट्रेन पकड़ने बक्सर जाना था!  डा० लोहिया जी को बक्सर पहुंचाने,अब छोटे लोहिया के नाम से ख्याति प्राप्त जन...

उसके उन्नयन से प्रस्थान तक

#उसके उन्नयन से प्रस्थान तक #    अब रितेश की शिकायतें धक्का - मुक्की तक तथा छीना -  छपटी  तक ही सीमित रह गईं थीं, परन्तु अभी भी पूरे विद्यालय में किसी की पेन, पेंसिल अथवा कापी - किताब भूल जाती तो रितेश के बस्ते के निरीक्षण की अपील जोर पकड़ लेती और यह जानते हुए भी की उसके पास अमुक वस्तु नहीं है उसकी तलाशी लेनी होती और उसके पास वह सामान नहीं मिलता लेकिन पूर्व की आदत से वह बदनाम था  !  तबतक संस्था के प्रधानाध्यापक भी आ चुके थे और उनका भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा था! प्रधानाध्यापक महोदय के साथ अब पूरे स्टाफ के लोगों को रितेश में सब बच्चों के समान प्रतिभा दिखने लगी थी!  अब धीरे - धीरे रितेश अपने कक्षा के स्तर व पाठ्यक्रम की सभी समस्याओं को हल कर लेता और  हिन्दी के साथ अंग्रेजी भी सही से पढ़ लेता, परन्तु कला में अब भी वह रुचि नहीं ले रहा था , लेकिन लिखावट में अपेक्षित सुधार हो गया था! वह खेल में तथा वाह्य  क्रियाओं में चढ -बढ कर हिस्सा लेता परन्तु शारीरिक क्षमता अनुरूप पिछड़ जाता परन्तु हारता नहीं!  खाना खाते समय उदण्डता अवश्य करता,...

प्रयोग की शुरुआत जब "डमरू"रितेश हो गया..

#प्रयोग की शुरुआत जब डमरू "रितेश" हो गया# वैसे तो मेरा प्रयोग "डमरू" से मिलते ही शुरू हो गया था लेकिन अब औपचारिक रूप से  "डमरू " से मुखातिब था प्रयोग के लिए!  संयोग से मैं कक्षा तीन का कक्षाध्यापक था अब मैं डमरू में रुचि तथा कक्षाध्यापक होने के नाते अपेक्षाकृत अधिक समय दे सकता था!  सबसे पहले मैंने सार्वजनिक रूप से "डमरू " रितेश जो उसका नामांकित नाम था उससे बुलाना प्रारंभ किया तथा और लोगों को भी डमरू "रितेश "  पुकारने हेतु कड़ा निर्देश दिया  ! अब जो "रितेश " को डमरू पुकारता तो रितेश उनकी शिकायत हमसे करता अथवा अपने स्वभावानुकूल खुद सलटाने का प्रयास करता!  खुद सलटाने में तो वह शुरू से माहिर था, कक्षा पांच तक के बच्चे -बच्चियों से भी उलझ जाता बाद में भले उसे मुंह की खानी पड़ती ये उसकी विशेषता थी और उपर्युक्त विशेषताओं में मुझे उसका भविष्य और मेरे लिए चुनौती नज़र आ रही थी!  मुझे गुरु जी का मार्गांतिकरण दृष्टांत ध्यान आ रहा था  !  अब मैं रितेश को कांपी और कलम रखने का अभ्यास कराने लगा, सबके साथ सीखने -सीखाने के उपरांत रित...

माता- पिता बेटियों को संस्कार दें "रेप" जैसी घटनाएं रुक जाएंगी..

हाथरस में हुई घटना पर भारतीय जनता पार्टी के  बलिया बैरिया से विधायक सुरेन्द्र सिंह ने एक पत्रकार वार्ता में कहा "देखिए पत्रकार जी  मैं एम एल ए के साथ - साथ शिक्षक भी हूँ ,मुझे जो करना है मैं करुंगा, सरकार को जो करना है सरकार करेगी, लेकिन माता - पिता को भी चाहिए कि अपनी जवान बेटियों को सुसंस्कारित करें " इस विधायक जैसे लोग लगभग हर पार्टी में मिल जाएंगे और इनके मन में यह चलता रहता है कि माता -पिता ने बेटियों को संस्कारित नहीं किया इस लिए बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं, और इन सनकी नेताओं के बयानों को जस्टिफाई करने उतरे हैं, उनके अंधभक्त चिंटू  अथवा चंडाल चौकड़ी और वे भूल जाते हैं कि हमारे घर भी बहन -बेटियां हैं, किसी पार्टी का कोई भी नेता अगर ऐसा नीच बयान दे तो हमें उसका विरोध करना चाहिए, संस्कार की कमी समाज की सोच और सरकार में तथा सरकार के बाहर बैठकर अपनी बहन- बेटियों के बारी की प्रतीक्षा कर रहे जस्टिफाई करने वाले चण्डालचौकड़ियों, चमचो- चिंटूओं के विचारों में है विधायक जी, भगवा चोला पहनकर बयान बाजी मत कीजिये ....  #hathras

सावधान! पांच अक्टूबर से प्रदेश के सभी इकाइयों के बिजलीकर्मी हड़ताल पर..

सरकार के निरंकुश और निजीकरण के रवैये के खिलाफ उत्तर प्रदेश के समस्त विद्युत कर्मचारी पांच अक्टूबर से जाएंगे हड़ताल पर, विद्युत कर्मचारी संघ के नेतृत्व ने अपनी जायज मांगो को लेकर सरकार को लिखित ज्ञापन सौंपा कर निराकार चाहा, लेकिन सरकार अपने तानाशाही रवैये से मानने को तैयार नहीं है,  जिसके कारण संघ ने सांकेतिक विरोध का मशाल जूलूस निकाला तथा सरकार को लिखित हड़ताल की चेतावनी दी, पांच अक्टूबर को प्रदेश के सभी विद्युत कर्मचारी, उत्पादन, वितरण, संग्रह इत्यादि के सभी कार्यों से विरत रहेंगे,  इस चेतावनी से सहमी सरकार ने अन्दर खाने तैयारी शुरू कर दी है, पुलिस, पीएसी, लेखपाल, तथा निजी विद्युत कम्पनी के कर्मचारियों को लिखित जिम्मेदारी दे रखी है, तथा इधर उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संघ तथा सदस्यों को धमकाना शुरू किया है, जिससे वे हड़ताल पर न जाएं, जबकि सच्चाई यह है कि इन कर्र्चारियों के अभाव में विद्युत विभाग चलना सम्भव नहीं है... 

हाथरस कांड के आरोपितों के पक्ष में सवर्ण जाति के लोगों ने की महापंचायत.. सवर्ण समाज हुआ लामबंद

 उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की की मौत के मामले में अब आरोपितों   को बचाने की कवायद शुरू हो गई है। युवती की मेडिकल रिपोर्ट आने के बाद शुक्रवार को इस मामले में आरोपियों को न्याय दिलाने के लिए सवर्ण समाज के लोग की पंचायत बैठक हुई है। गांव बघना में हुई इस पंचायत में 12 गांवों के लोग जुटे। इस पंचायत में लोगों ने आरोपियों के पक्ष से मांग उठाई है कि पूरे प्रकरण की सीबीआई जांच की जाए। हाथरस में पीड़िता के गांव बुलगड़ी से करीब 5 किलोमीटर दूर गांव बघना में सवर्ण समाज के लोगों की आज पंचायत बैठी। आरोपियों के समर्थन में सवर्ण समाज के लोग ने मांग की कि, आरोपी पक्ष और लड़की पक्ष के लोगों का नारको टेस्ट कराया जाए, जिससे हकीकत सामने आ सके और निर्दोषों को न्याय मिल सके। बैठक के बाद धरने पर बैठे लोगों का कहना है कि एसआईटी जांच निष्पक्ष रूप से हो। यदि हमारे बच्चे दोषी हैं तो उन्हें सजा जरूर दी जाए। प्रदर्शनकारियों का यह भी कहना है कि मामले में कोई निर्दोष न फंसे और दोषी बचने ना पाए। उनका कहना है कि मामले को कुछ राजनीतिक पार्टियां अपने स्वार्थ के लिए तूल दे रही हैं। लो...

कम्पोजिट ग्रांट से बायोमेट्रिक मशीन लगाने का आदेश

उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में विद्यालय के संवर्धन विकास के लिए आवंटित कम्पोजिट ग्रांट से शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने हेतु बायोमेट्रिक मशीन लगाने का आदेश जारी किया... 

रीढ़ विहीन समाज कैसे बोले कटी जीभ से.. बेटी के लिए हैशटैग... #

रीढ़ विहीन समाज कैसे बोले कटी जीभ से.. बेटी के लिए हैशटैग " रोके न रुके  चलो अश्रु बहाया जाए,  हम गुस्से में हैं, उन्हें कैसे बताया जाए,  बिना रीढ़ और कटी जीभ से मन नहीं भरा,  कैसे कहे, चलो उसे जल्दी से जलाया जाए,  कैसा नशा करते हो सरकार, बेहोश हो,  आओ उन्हें अपने तरीके से होश में लाया जाए.."         विरंजय..  साथियों सरकारें आती हैं चली जाती हैं,  समीकरण बनते हैं,बिगड़ते हैं,  लेकिन ये देश है, था और रहेगा, मैं पूछता हूँ कि आप किस दल के दलदल के दलाल हैं, उनसे पूछिए उनको जस्टिफाई करने का प्रयास मत किजिए, अगर उस बेटी में दलित नज़र आता है, उन हवसी जानवरों में अपनी जाति नजर आती हो तो एकबार सुबह उठ करअपनी बेटी,बहन,अथवा पत्नी का  मुंह देख लेना,  और प्रश्न करना उनसे जिन्हें आप ने वोट देकर न्याय व्यवस्था व शासन के लिए चुना था,चाहे  सत्ता में हों या रहे हों उनसे प्रश्न पूछिए कि बेटी का बलात्कार क्यों हुआ?  और उसके उपचार विलम्ब क्यों हुआ?  उसके शव को राम - राज में पुलिस बिना सनात...

EDUTAINMENT (एजुटेन्मेण्ट) एक शिक्षण सम्प्रत्यय

EDUTAINMENT (एजुटेन्मेण्ट) एक शिक्षण सम्प्रत्यय Edutainment  जैसा की शब्द के उच्चारण से ही समझ में आ रहा है कि यह शब्द दो शब्दों का सामासिक रूप है,  Education+ Intertainment,   अर्थात शिक्षा + मनोरंजन, इसका आशय हुआ की बच्चों को उनकी नीरस स्कूली दुनिया से, सरस सीखने की गतिविधियों के साथ वाले स्कूल में पहुंचाना,   यह मनोरंजन कक्षा- कक्ष में भी हो सकता है और कक्षा- कक्ष से बाहर भी जैसे कक्षा में दृश्य -श्रव्य सामग्री का प्रयोग, पहेलियाँ, गतिविधियां, इनडोर खेल, सीखने -सीखाने से सम्बन्धित फिल्में इत्यादि           कक्षा -कक्ष से बाहर के बहुत से खेल कबड्डी, खोखो, फुटबॉल, बालीबाल, क्रिकेट, योग तथा और भी बहुत से स्थानीय खेल, बागवानी इत्यादि से बच्चों का मनोरंजन तथा अधिगम साथ -साथ हो जाता है,             इस सम्प्रत्यय से सीखने की गति बढ़ जाती है तथा छात्र उपस्थिति तथा ठहराव पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है,  धन्यवाद  अपनी प्रतिक्रिया बाक्स में भजे ं  ...

प्रशांत भूषण की सोलह आने की सजा

प्रशांत भूषण के सवाल नाजायज तो नहीं थे पर सजा तो बनती है, सजा भी सोलह आने की, अब सवाल उठता है कि सजा तो सजा होती है लेकिन सोलह आने की क्यों, मज़ाक या हकीकत  पर सजा तो सोलह आने की है...  प्रशांत भूषण ने जो सवाल उठाए थे, उनपर तो अब भी चर्चा बाकी है! भले ही यह मामला एक व्यक्ति पर अवमानना का मुकदमा बन गया हो, लेकिन असल में तो ये सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता का मामला था। क्योंकि कहानी की शुरुआत ही हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता और भूमिका पर सवाल के ट्वीट से हुई थी। प्रशांत भूषण शुरू से कह रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट चाहे जो सज़ा दे वो सहर्ष स्वीकार करेंगे, लेकिन अपने कहे पर माफी नहीं मानेंगे। माफी न मांगने का कारण ये था कि उन्हें अपने ट्वीट में कही बात गलत नहीं लगती है। जो बातें उन्होंने कहीं वो तो आज के इस दौर में हर नागरिक का धर्म होना चाहिए। इसके अलावा प्रशांत भूषण लगातार कहते रहे कि उनके ट्वीट्स अच्छी नीयत से किए गए थे और उस सुप्रीम कोर्ट के प्रति पूरी निष्ठा रखते हुए थे जिसकी उन्होंने तीन दशक से सेवा की है। सब जानते हैं कि भारी दबाव के बावजूद प्रशांत भूषण ...

प्रशांत भूषण को 1 रुपये जुर्माना, न जमा करने पर तीन माह की कैद

सुप्रीम कोर्ट ने मशहूर वकिल व सामाजिक कार्यकर्ता,मानवाधिकार कार्यकर्ता  प्रशांत भूषण के न्यायपालिका के बारे दो ट्वीट पर 14 अगस्त को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया था! इसके बाद कोर्ट ने भूषणा को माफी मांगने का भी सुझाव दिया था। हालांकि, प्रशांत भूषण ने इसे ये कहते हुए इनकार कर दिया था कि अगर वे माफी मांगते हैं तो ये उनकी अंतरात्मा की अवमानना होगी। भूषण ने साथ ही ये मांग की थी कि उनकी दोषसिद्धि को निरस्त किया जाना चाहिए और कोर्ट की ओर से 'स्टेट्समैन जैसा संदेश' दिया जाना चाहिए। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने प्रशांत भूषण को पिछले सोमवार तक माफी मांगने का समय दिया था। इस बेंच में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस   अरुण मिमिश्र थे  !  कोर्ट ने इससे पहले प्रशांत भूषण को बिना किसी शर्त के माफी मांगने का विकल्प देते हुए कहा था, 'आप ने सौ अच्छे काम किये होंगे लेकिन ये आपको 10 क्राइम करने के लाइसेंस नहीं देता।' वहीं, पिछली सुनवाई में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को सलाह दी थी कि प्रशांत भूषण को चेतावनी देकर छोड़ देना चाहिए। वहीं, भू...

प्रधानमंत्री ने की 68 वीं बार मन की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 68 वीं बार मन की बात के माध्यम से देश को संबोधित किया,  श्री मोदी ने मन की बात के 68  वें संस्करण में बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला..  उन्होंने ने जनता को संबोधित करते हुए कहा..  अपने जिले से, अपने क्षेत्र में, आज़ादी के आन्दोलन के समय क्या हुआ, कैसे हुआ, कौन शहीद हुआ, कौन कितने समय तक देश के लिए ज़ेल में रहा। " आज, देश में, हर जगह कुछ न कुछ innovation हो रहे हैं। शिक्षक और छात्र मिलकर कुछ नया कर रहे हैं। मुझे भरोसा है जिस तरह देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिये एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है, हमारे शिक्षक इसका भी लाभ छात्रों तक पहुचाने में अहम भूमिका निभायेंगे।" - पीएम नरेन्द्र मोदी।  > कुछ दिनों बाद, पांच सितम्बर को हम शिक्षक दिवस मनायेगें। हम सब जब अपने जीवन की सफलताओं को अपनी जीवन यात्रा को देखते है तो हमें अपने किसी न किसी शिक्षक की याद अवश्य आती है।  कुछ दिन पहले ही आपने शायद TV पर एक बड़ा भावुक करने वाला दृश्य देखा होगा, जिसमें, बीड पुलिस अपने साथी Dog रॉकी को पूरे सम्मान के साथ आख़िरी ...

BEO (खण्ड शिक्षा अधिकारी) परीक्षा की उत्तर कुंजी जारी किया आयोग ने

१६अगस्त को हुई परीक्षा की प्रमाणित उत्तर कुंजी आयोग ने जारी किया... , 

रक्षा बन्धन क्यों ? आइये जानें

येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल:। तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल ॥ भारत उत्सवों का देश है, यहाँ हर क्षण उत्सव है उसी उत्सव में से भाई - बहन के पवित्र रिश्ते का महापर्व है रक्षा बन्धन...   रक्षाबंधन दो शब्दों के मिलने से बनता है, जिसका शाब्दिक अर्थ है, रक्षा  से आशय  है सुरक्षा का भान होना किसी भी आपत्ति- विपत्ति में बचाव का भाव, तथा बन्धन से आशय है बाध्यता  तो रक्षाबंधन  भारत में कि सनातनी हिंदू रीति में बहन भाई को एक धागा वह कलावा, कच्चा धागा  बांधती है और रोली का तिलक लगाती है और भाई के यश -कीर्ति तथा दीर्घायु होने की कामना करती है, भाई भी उस बहन की रक्षा हेतु बाध्य होता है और  प्रतिबद्धता जताता है,  धीरे -धीरे इस पवित्र त्यौहार पर बाजार की काली छाया मड़राने लगी और कच्चे धागे ने रंगबिरंगे रेशमी धागों और  सोने- चाहे का रुप धर लिया और भाई भी अपने सामर्थ्य अनुरूप उपहार देने का प्रयास करने लगा  वह उपहार वस्त्र अथवा  बाजार में उपलब्ध उपहारों में से भी एक हो सकता है, जिससे यह उत्सव अपनी मौलिकता ही खो दिया...

वायरल तस्वीर में पारम्परिक वेशभूषा वाली महिला का सच

  आज महिला- पुरुष के पहनावे व पाश्चात्य संस्कृति के अनुकरण ने दीवाना, पागल या कायल बना दिया है,   इसी बीच कोई उच्च शिक्षा प्राप्त   भारतीय प्रशासनिक सेवा की सेवारत     राजस्थान की आईएएस अधिकारी मोनिका यादव का देसी लुुुक सोशल मीडिया पर बेहद चर्चा में है। सीकर मूल की आईएएस अधिकारी का उदयपुर संभाग से भी गहरा नाता है। उनके पति आईएएस सुशील यादव उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले में उपखंड अधिकारी पद पर सेवारत हैं और मोनिका यादव मातृत्व अवकाश पर हैं। मोनिका यादव का सम्बन्ध सीकर जिले की श्री माधोपुर तहसील के गांव के फूलहर सिंह यादव वरिष्ठ आरएस की बिटिया मोनिका भी आईएएस  बनीं परन्तु अपनी सांस्कृतिक परम्परा को नहीं, छोड़ीं  और आज भी शालीनता और सहजता से सादगी की प्रतिमूर्ति बनी हुई हैं, आज कोई स्त्री  आंगनबाड़ी में सेवा करने लग जाती है तो, वेतन से अधिक किमत की साड़ी पहनने लग जाती है, नखरे नाक पर, एकदूसरे को नीचा दिखाने में लगी रहती हैं, लेकिन मोनिका यादव को देखें वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की सबसे उच्च सेवा में हैं, और इस समय एक नौजात को ...

मानव सम्पदा पोर्टल पर डाक्यूमेंट्स अपलोड करने हेतु निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें और निर्देशों का पालन करें

👉मानव सम्पदा पोर्टल पे डॉक्युमेंट्स अपलोड किए जाने के संबंध में ■जिस डाक्यूमेंट्स में जारी करने की तिथि न दी गयी हो ,वहां आप blank छोड़ दें। ■यदि लॉगिन में पासवर्ड या यूजर नेम ERROR बता रहा है और आपको लगता है कि आपका पासवर्ड सही है तो एक बार प्ले स्टोर से M STHAPNA APP पर अपना मानव सम्पदा कोड और पासवर्ड डालकर चेक कर लें। फिर भी समस्या हो तो BRC पर कांटेक्ट करें। ■पैन कार्ड की जारी date पूछने के लिए 1961 पे कॉल करें।। ■ डाक्यूमेंट्स सबमिट करते समय कई बार *CSRF  मतलब - क्रॉस साइट रिक्वेस्ट फ़ारगेसी* लिख कर आ रहा है। इसका फिलहाल कोई स्थायी इलाज नही है।      *बार- बार रिफ्रेश करके अपलोड करें कुछ प्रयासों के बाद सबमिट हो जाएगा।* ■स्नातक के ऑप्शन में कोई एक विषय ही चुनना है।आप अपने अंतिम वर्ष के दो विषयों में से कोई एक विषय चुन लें। ●BTC वाले सर्टिफिकेट टाइप में सर्टिफिकेट कोर्स चुने फिर स्ट्रीम में BTC चुनें- *List of documents* 1.10th marksheet  2.10th certificate 3.12 th marksheet 4.12th certificate 5.Graduation final year marksheet 6.Graduation degree ...