डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
हाथरस में हुई घटना पर भारतीय जनता पार्टी के बलिया बैरिया से विधायक सुरेन्द्र सिंह ने एक पत्रकार वार्ता में कहा "देखिए पत्रकार जी मैं एम एल ए के साथ - साथ शिक्षक भी हूँ ,मुझे जो करना है मैं करुंगा, सरकार को जो करना है सरकार करेगी, लेकिन माता - पिता को भी चाहिए कि अपनी जवान बेटियों को सुसंस्कारित करें "
इस विधायक जैसे लोग लगभग हर पार्टी में मिल जाएंगे और इनके मन में यह चलता रहता है कि माता -पिता ने बेटियों को संस्कारित नहीं किया इस लिए बलात्कार जैसी घटनाएं होती हैं, और इन सनकी नेताओं के बयानों को जस्टिफाई करने उतरे हैं, उनके अंधभक्त चिंटू अथवा चंडाल चौकड़ी और वे भूल जाते हैं कि हमारे घर भी बहन -बेटियां हैं, किसी पार्टी का कोई भी नेता अगर ऐसा नीच बयान दे तो हमें उसका विरोध करना चाहिए, संस्कार की कमी समाज की सोच और सरकार में तथा सरकार के बाहर बैठकर अपनी बहन- बेटियों के बारी की प्रतीक्षा कर रहे जस्टिफाई करने वाले चण्डालचौकड़ियों, चमचो- चिंटूओं के विचारों में है विधायक जी, भगवा चोला पहनकर बयान बाजी मत कीजिये ....
#hathras
वाह विधायक जी
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