स्कूल" स्कूलों का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...
प्रधानाध्यापक ने मुख्यमंत्री से मांगा सोलर पैनल
एक सरकारी स्कूल के प्रधानाध्यापक की स्कूल के प्रति दिवानगी कुछ ऐसी है कि उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी को पत्र लिखकर मांग लिया सोलर पैनल |
एक स्कूल ऐसा भी
उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जनपद के जमालपुर विकास खण्ड अन्तर्गत डोमरी ग्रामसभा में स्थित सरकारी स्कूल प्राथमिक विद्यालय डोमरी के प्रधानाध्यापक प्रभाकर सिंह पटेल ने गर्मी में सूख रहे पौधों व बिजली की स्थिति को देखकर
मुख्यमंत्री पोर्टल पर लिखा पत्र और मांगा समुचित क्षमता का सोलर पैनल |
आज जब लोग अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के बारे में सोच रहे हैं तब इस प्रधानाध्यापक ने एक नजीर पेश की है |
अब गेंद अधिकारियों के पाले में है ||
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
सम्बोधन में लिखा बच्चों और पौधों को सूखने से बचाने के लिए मांग लिया सोलर एनर्जी प्लांट
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