डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
सरकार के निरंकुश और निजीकरण के रवैये के खिलाफ उत्तर प्रदेश के समस्त विद्युत कर्मचारी पांच अक्टूबर से जाएंगे हड़ताल पर, विद्युत कर्मचारी संघ के नेतृत्व ने अपनी जायज मांगो को लेकर सरकार को लिखित ज्ञापन सौंपा कर निराकार चाहा, लेकिन सरकार अपने तानाशाही रवैये से मानने को तैयार नहीं है,
जिसके कारण संघ ने सांकेतिक विरोध का मशाल जूलूस निकाला तथा सरकार को लिखित हड़ताल की चेतावनी दी, पांच अक्टूबर को प्रदेश के सभी विद्युत कर्मचारी, उत्पादन, वितरण, संग्रह इत्यादि के सभी कार्यों से विरत रहेंगे,
इस चेतावनी से सहमी सरकार ने अन्दर खाने तैयारी शुरू कर दी है, पुलिस, पीएसी, लेखपाल, तथा निजी विद्युत कम्पनी के कर्मचारियों को लिखित जिम्मेदारी दे रखी है, तथा इधर उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संघ तथा सदस्यों को धमकाना शुरू किया है, जिससे वे हड़ताल पर न जाएं, जबकि सच्चाई यह है कि इन कर्र्चारियों के अभाव में विद्युत विभाग चलना सम्भव नहीं है...
Comments
Post a Comment