बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
सरकार के निरंकुश और निजीकरण के रवैये के खिलाफ उत्तर प्रदेश के समस्त विद्युत कर्मचारी पांच अक्टूबर से जाएंगे हड़ताल पर, विद्युत कर्मचारी संघ के नेतृत्व ने अपनी जायज मांगो को लेकर सरकार को लिखित ज्ञापन सौंपा कर निराकार चाहा, लेकिन सरकार अपने तानाशाही रवैये से मानने को तैयार नहीं है,
जिसके कारण संघ ने सांकेतिक विरोध का मशाल जूलूस निकाला तथा सरकार को लिखित हड़ताल की चेतावनी दी, पांच अक्टूबर को प्रदेश के सभी विद्युत कर्मचारी, उत्पादन, वितरण, संग्रह इत्यादि के सभी कार्यों से विरत रहेंगे,
इस चेतावनी से सहमी सरकार ने अन्दर खाने तैयारी शुरू कर दी है, पुलिस, पीएसी, लेखपाल, तथा निजी विद्युत कम्पनी के कर्मचारियों को लिखित जिम्मेदारी दे रखी है, तथा इधर उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संघ तथा सदस्यों को धमकाना शुरू किया है, जिससे वे हड़ताल पर न जाएं, जबकि सच्चाई यह है कि इन कर्र्चारियों के अभाव में विद्युत विभाग चलना सम्भव नहीं है...
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