स्कूल" स्कूलों का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...
सरकार के निरंकुश और निजीकरण के रवैये के खिलाफ उत्तर प्रदेश के समस्त विद्युत कर्मचारी पांच अक्टूबर से जाएंगे हड़ताल पर, विद्युत कर्मचारी संघ के नेतृत्व ने अपनी जायज मांगो को लेकर सरकार को लिखित ज्ञापन सौंपा कर निराकार चाहा, लेकिन सरकार अपने तानाशाही रवैये से मानने को तैयार नहीं है,
जिसके कारण संघ ने सांकेतिक विरोध का मशाल जूलूस निकाला तथा सरकार को लिखित हड़ताल की चेतावनी दी, पांच अक्टूबर को प्रदेश के सभी विद्युत कर्मचारी, उत्पादन, वितरण, संग्रह इत्यादि के सभी कार्यों से विरत रहेंगे,
इस चेतावनी से सहमी सरकार ने अन्दर खाने तैयारी शुरू कर दी है, पुलिस, पीएसी, लेखपाल, तथा निजी विद्युत कम्पनी के कर्मचारियों को लिखित जिम्मेदारी दे रखी है, तथा इधर उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संघ तथा सदस्यों को धमकाना शुरू किया है, जिससे वे हड़ताल पर न जाएं, जबकि सच्चाई यह है कि इन कर्र्चारियों के अभाव में विद्युत विभाग चलना सम्भव नहीं है...
Comments
Post a Comment