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डड़कटवा के विरासत

 डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम  से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में  लगभग हर घर में  पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन  , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में  फंसल  रहेला  , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के  डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन  पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले |       कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी  मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...

कारगिल विजय के हीरो परमवीर योगेन्द्र

 कारगिल विजय के हीरो



 कारगिल युद्ध के रियल हीरो सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह, ने ही तो छुड़ाए थे पाकिस्तानियों के छक्के |


कारगिल युद्ध (Kargil war) के हीरो सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव  को उनकी सराहनीय सेवा और भारतीय सेना में योगदान के लिए 75 वें स्वतंत्रता दिवस (75th Independence day) की पूर्व संध्या पर कैप्टन रैंक की उपाधि से नवाजा गया  |


कौन हैं योगेन्द्र यादव 

कौन है कारगिल युद्ध  रियल हीरो  सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह, इस तरह छुड़ाए थे दुश्मनों के छक्के |

परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) से सम्मानित सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव 

 भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने  अपरिमित साहस और बहादुरी के साथ देश की सुरक्षा के लिए अहम योगदान दिया था। 

इस योगदान के लिए सूबेदार मेजर यादव को 19 साल की उम्र में ही देश के सबसे बड़े सैन्य सम्मान  परमवीर चक्र से नवाजा  गया । 

आइए आज जानते हैं , इस परमवीर जवान की कहानी के बारे में...

1999का कारगिल युद्ध --

1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव ने जो बहादुरी दिखाई, वह भारतीय सेना के इतिहास में स्वर्णिम  अक्षरों में लिखी गई है। 

४जुलाई 1999-

दरअस्ल, 4 जुलाई 1999 को 18 ग्रेनेडियर्स के सूबेदार  योगेन्द्र यादव ने द्रास इलाके में टाइगर हिल पर कब्‍जा कर लिया था। यह उस वक्‍त दुश्मनों पर बड़ा प्रहार था, दुश्मनों ने घुसपैठ कर वहां कब्‍जा जमा लिया था। टाइगर हिल के संग्राम के दौरान उन्हें पैर, छाती, कमर और हाथ में 15 बार मारा गया। यहां तक कि उनकी नाक पर भी गम्भीर चोट आई थी। कारगिल युद्ध में योगेंद्र सिंह यादव को 15 गोली लगी थीं, इसके अलावा उनके शरीर पर दो हैंड ग्रेनेड के घाव थे। लेकिन उनके हिम्मत  के आगे दुश्मनों को घुटने टेकना पड़ा। इस संग्राम के बाद वह एक वर्ष  तक चिकित्सालय  में भर्ती रहे। 

तीन महीने चला संग्राम

भारत -पाकिस्तान के बीच यह संघर्ष तीन माह तक चला , जिसके लिए ४ लोगों को परमवीर चक्र से सम्‍मानित किया गया था। इन्हीं रणबाकुरों  में  से एक सूबेदार-मेजर योगेंद्र सिंह यादव भी थे। उनके अलावा सूबेदार संजय कुमार, कैप्टन विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज पांडे को परमवीर चक्र से नवाजा  गया था। इस संग्राम में कैप्टन विक्रम बत्रा और लेफ्टिनेंट मनोज पांडे वीरगति को प्राप्त किये  थे। जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। जबकि, सूबेदार मेजर योगेंद्र सिंह यादव और सूबेदार संजय  कुमार(Sanjay kumar ) इस जंग में जख्मी हुए  और चिकित्सा के उपरांत स्वस्थ हो गये । 

सम्मान को सम्मान -

भारतीय  स्वतंत्रता दिवस पर, भारतीय सेना ने कुल 337 सेवारत गैर-कमीशन अधिकारियों को मानद कैप्टन रैंक से सम्मानित किया है, जबकि 1358 को मानद लेफ्टिनेंट रैंक से सम्मानित किया गया। 26 July Kargil Diwas 

 आज २६ जुलाई को कारगिल विजय दिवस पर भारत के वीर जवानों को कोटी कोटि -कोटि नमन |

Comments

  1. भारत के वीर सपूतों को कोटि कोटि नमन

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