बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
१हस्ताक्षर अभियान की तस्वीर
डा०ओमशंकर की मशाल भगवाधारी के हाथ
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU ) के हृदय रोग विभागाध्यक्ष डा० ओमशंकर स्वास्थ्य और शिक्षा के अधिकार (#Right2health & #Right2Education ) BHU को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए 11 मई से आमरण अनशन पर बैठे हैं | आज 14वां दिन है परन्तु बीएचयू प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंगा |
उनके समर्थन में अयोध्या से आए एक भगवाधारी बाबा जी सबके कौतूहल का विषय बने हुए हैं |
डॉ० शंकर के समर्थन में एक मशाल जूलूस कल सांयकालीन सत्र में निकला बाबा पूरी जिम्मेदारी के साथ एक 60 वर्षीय युवा की भूमिका में कभी क्रांति मसाल लेकर अगली पंक्ति में तो कभी , अभिभावक की भूमिका में विनय के भाव से सबको कतारबद्ध करते तो कभी पीछे छूट गये लोगों को दौड़ कर समेटते पहुंच गये कुलपति आवास के सामने | छात्र उत्तेजित थे, नारे गगन भेद रहे थे , सड़क भीड़ से अटी पड़ी थी तभी एक सुरक्षाकर्मी ने संयोग अथवा दुर्योग से महात्मा जी के तरफ इशारा करते हुए हम से ही पूछ लिया कि ये कौन हैं |
हमने उनकी जिज्ञासाओं का शमन करने हेतु कहा कि ये वस्त्र ,आचार और व्यवहार से महात्मा हैं | तो वे पूछ बैठे कि इन्हे क्या जरुरत है ऐसे उग्र आंदोलन में सम्मिलित होने की इन्हें क्या जरुरत पड़ गयी |
मैने कहा आप के जानकारी के लिए बता दूं की भारत संत ,महात्मा, ऋषियों की समृद्ध परम्परा की धरा है , जिसमें लोककल्याण की संकल्पना को पोषण ,पल्वन मिलता है | आजादी का आन्दोलन हो या महत्वपूर्ण समाजसुधार हों सभी में ऋषियों ,महात्माओं की महति भूमिका रही है |
और आगे का वक्तव्य बाबा जी वाला ही चिपका दिया क्योंकि मैं भी प्रथम दिन से सभी मूवमेंट्स में सक्रिय प्रतिभागी हूं , और बाबा जी को ध्यान से सुन रहा हूं|
बाबा सुखराम दास जी का कहना है कि " डॉ० ओमशंकर जी का अनशन मानव मात्र के कल्याण के लिए ही है और एक संत का सम्पूर्ण जीवन का लक्ष्य ही लोककल्याण हेतु समर्पित है | चिकित्सक धरती का भगवान है इसलिए हम इहलौकिक भगवान डॉ ओमशंकर के अनशन, आन्दोलन, मुहिम में साथ हूं |
अब वो जिज्ञासु शांत हो गये |
BHU के चिकित्सक आमरण अनशन पर -क्लिक करे
तब हमारी आस्था बाबा जी और आन्दोलन दोनों में बढ़ गई |
भूखे शंकर का संकल्प (BHU) -क्लिक करे
4-महात्मा जी शंकराचार्य जी के प्रतिनिधि के साथ
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