बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
भोजपुरी शब्द संसार
भोजपुरी अपने आप में समृद्ध साहित्य और विभेदित शब्द चयन की विधा समेटे हुए है , अन्य भाषाओं की तुलना में भोजपुरी का शब्द संसार प्रयोग की दृष्टि से विशाल और व्यापक है , हर शब्द का अलग भाव और बोलते समय विभेदित भावभंगिमा भी होती है , जिसका प्रयोग चिकित्सा क्षेत्र में शब्द समझ रखने वाले चिकित्सक से साझा कर रोग निदान में कर सकते हैं।
जैसे अंग्रेजी के Pain (दर्द )की भोजपुरी व्याख्या और शब्द प्रयोग |
अंग्रेजी के पेन (pain) दर्द का भोजपुरी शब्द विभेद -
शरीर में कही पीड़ा हो तो अंग्रेजी में उसे पेन (pain )कह कर हम उसे व्यक्त करते हैं, परन्तु भोजपुरी भाषी लोगों की हर पीड़ा का अलग भाव प्रदर्शन है ...
जैसे ...
दरद बा
बथत बा
बेधत बा
छेदत बा
गड़त बा
चुभत बा
टभकत बा
तलफत बा
भभात बा
छर छरात बा
परपरात बा
झिन झिनात बा
अंगरत बा
चनकत बा
बनबनात बा
इन शब्दों का प्रयोग अलग -अलग प्रकार की पीड़ा के लिए होता है |
यह भोजपुरी की समृद्ध परम्परा के लिए शब्द प्रयोग है ||
Ha
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