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स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

EDUTAINMENT (एजुटेन्मेण्ट) एक शिक्षण सम्प्रत्यय

EDUTAINMENT (एजुटेन्मेण्ट) एक शिक्षण सम्प्रत्यय

Edutainment  जैसा की शब्द के उच्चारण से ही समझ में आ रहा है कि यह शब्द दो शब्दों का सामासिक रूप है, 
Education+ Intertainment, 
 अर्थात शिक्षा + मनोरंजन, इसका आशय हुआ की बच्चों को उनकी नीरस स्कूली दुनिया से, सरस सीखने की गतिविधियों के साथ वाले स्कूल में पहुंचाना, 
 यह मनोरंजन कक्षा- कक्ष में भी हो सकता है और कक्षा- कक्ष से बाहर भी जैसे कक्षा में दृश्य -श्रव्य सामग्री का प्रयोग, पहेलियाँ, गतिविधियां, इनडोर खेल, सीखने -सीखाने से सम्बन्धित फिल्में इत्यादि 
         कक्षा -कक्ष से बाहर के बहुत से खेल कबड्डी, खोखो, फुटबॉल, बालीबाल, क्रिकेट, योग तथा और भी बहुत से स्थानीय खेल, बागवानी इत्यादि से बच्चों का मनोरंजन तथा अधिगम साथ -साथ हो जाता है, 
           इस सम्प्रत्यय से सीखने की गति बढ़ जाती है तथा छात्र उपस्थिति तथा ठहराव पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है, 
धन्यवाद 
अपनी प्रतिक्रिया बाक्स में भजे ं     
 विरंजय

Comments

  1. शिक्षा में नवाचार

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  2. Aisa hi hone chahiye. Vastav me vigyan ke har kshetra me prayog hote rahte hai lekin jis kshetra me prayog adhik kiye jane chahiye the usko andekha kiya gaya. Yahi se ek kshatra ke man me vigyan ki addhashila padti hai. Padhai ko bilkul niras bana diya gaya. Phalasvaroop padhai bojh lagne lagi. Sikshako ka uddeshya sikhana nahin ratana ho gaya.

    ReplyDelete

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