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Showing posts with the label आप की बात आप से..

शिक्षकों स्थिति और मुर्गे की कहानी

 शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल  शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं,  शिक्षक |  अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं।  परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें |  उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और  पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी |         सरकारी शिक्षकों का दायित्व  एक सरकारी शिक्षक को  , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण,  बी एलओ,  सफाई , एमडीएमए ,चुनाव  और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक  जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल  पैर और वजनदार शरीर  अर्...

विद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह यादगार बना

 माध्यमिक विद्यालय बाघी की स्वर्ण जयंती  विद्यालय अनगढ़ बालक को गढ़ कर इंसान बनाने की वह नायाब जगह होता है जहां राष्ट्र निर्माण हो रहा होता है ,  ऐसी ही एक प्रयोगशाला है गाजीपुर , लघु माध्यमिक विद्यालय बाघी जिसने देखें है ,इस राष्ट्र के 50 बसंत और  अपनी भूमिका अदा की है राष्ट्र निर्माण में  | पचासवीं वर्षगाँठ का महोत्सव  धूमधाम से मनाया गया सरस्वती लघु माध्यमिक विद्यालय बाघी की पचासवीं वर्षगाँठ का महोत्सव  गाज़ीपुर :सरस्वती लघु माध्यमिक विद्यालय बाघेश्वरी बाघी गाज़ीपुर का पचासवा वर्षगाठ धूमधाम से मनाया गया इस अवसर पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया इस महोत्सव  के मुख्य अतिथि त्रिवेणी दास जी महराज ने कहा की यह विद्यालय क्षेत्र का गौरव है ,  विशिष्ट अतिथि श्री हरिद्वार सिंह यादव ने कहा की यह विद्यालय समाज के  लोगो को शिक्षा की मुख्य धारा मे जोड़ने का माध्यम  है , वक्ताओं की कड़ी में  तहसीलदार श्री महादेव सिंह यादव ने कहा की इस विद्यालय से निकले हज़ारो छात्र आज विभिन्न जगह सेवा दे रहे हैं जो इस विद्या...

लालच कहूं सनक कहूं या लगन

 लालच कहूं सनक कहूं या लगन  प्रकृति ने जो हमें उपहार निश्शुल्क दिये हैं, उन पर भी मानवों  ने थोड़ी सी फेरबदल के साथ शुल्क लगाए और  हम इतराने लगे  की ये हमारा है ,हमने इसे संरक्षित किया है  |        उन्ही में से मैं भी हूं  ,थोड़ा सा लालची भी हूं  ,मैने कुछ पर्यावरण संरक्षण के सनक और कुछ लालच में  फलदार वृक्षों की संतति रोप दी | अपनी मेहनत से अर्जित किये कुछ पैसों को खर्च करके ,उस फलदार संतति में  ,आम ,अमरुद ,मौसमी, नीबू ,चकोदरा ,बेल (श्रीफल ),जामुन , लीची के  कोमल पौधे थे |   कृतज्ञता                  धीरे - धीरे समय बीतता गया और  वह फलदार संतति  सयानी हो गई  | पता ही नहीं  चला और  वे पौधे  अपनी कम आयु में  ही मेरे प्रति कृतज्ञता  जताने लगे  बाहें फैलाकर  अपने -अपने  मौसम में  फल लुटाने लगे , जो देखते हैं  वो कहते हैं  , इस पर थोड़ा  फल कम है लेकिन उन्हें मैं  कैसे समझाऊं इस पर फ...

हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य डा० झबलू पहुंचे अपने पैतृक गांव

 डॉ० झबलू राम का अपने पैतृक क्षेत्र पहुंचने पर हुआ स्वागत डॉ० झबलू को भारत सरकार द्वारा हिन्दी भाषा सलाहकार समिति का सदस्य नामित किए जाने के उपरांत पहली बार अपने पैतृक गांव करकटपुर गाजीपुर पहुंचे थे | एक विशेष प्रोटोकॉल के तहत उनका रुट निर्धारित था | थाना प्रभारी करीमुद्दीनपुर मय फोर्स उपस्थित रहे | क्षेत्र के लोग भरौली, विशम्भरपुर, दुबिहांमोड़ पर फूल मलाओं  से डा० झबलू का स्वागत किए पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर थी | डॉ झबलू राम(Dr. Jhablu Ram ) को गृह मंत्रालय,भारत सरकार,राजभाषा विभाग, एवं दूर संचार विभाग,संचार मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा हिन्दी सलाहकार समिति का सदस्य नामित किया गया है।ये मूल रूप से ग्राम- करकटपुर,पोस्ट-भरौली कलां,थाना-करीमुद्दीनपुर, जिला-गाजीपुर (उ.प्र.)के रहने वाले है।इनकी   प्रारम्भिक शिक्षा हार्टमन ईण्टर कालेज हार्टमनपुर   गाजीपुर से व 10 वीं 12 वीं  की पढ़ाई जनता जनार्दन इण्टर कॉलेज, गांधी नगर, गाजीपुर से हुई उसके बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से बैचलर , मास्टर डिग्री (2008),UGC नेट, एवं शोध कार्य (हिन्दी दलित आत्मकथाओं...

मेरे प्रयोग डमरू से सामना

                        #मेरे प्रयोग "डमरू" से सामना--   मैंने  उस बालक को पास बुलाकर उससे कुछ जानना चाहा तो अजीब सी हंसी के साथ ही_ही करके भाग गया ,बच्चों ने उसका परिचय कराया कि ये" डमरू" है सर!                 यह भी पढ़ें - उसके उन्नयन से प्रस्थान तक मैंने सोचा बालक है, और बच्चों का स्वभाव उर्जावान तो होना ही चाहिए, परन्तु  उसका व्यवहार सब बच्चों से अलग था  वह कांपी- किताब नहीं रखता, पर एक बहुत ही दुर्दशा को प्राप्त बैग रखता था, उसके झोला में गलती से अगर  कापी - किताब कुछ मिल जाती तो  वह दूसरे की होती, कक्षा कक्ष में अगर कोई रोने चिल्लाने की आवाज आती तो 75% मामलों पता चलता कि डमरू मार दिया, धक्का दे दिया,छिन लिया, फिर किसी के पहुंचने और निस्तारण करने पर मामला शान्त होता,कुछ दिन देखने के उपरांत मैंने उसमें रुचि लेना शुरू कर दिया मैं धीरे- धीरे उसके करीब जाना चाहता था, फिर मैंने उसका नाम पूछा तो उसने अपना नाम "रितेश " बताया  मैं...

कथित मर्दों के बीच मर्दानी, बंधुआ सांसदों के बीच एक सांसद ऐसी भी

कथित मर्दों के बीच मर्दानी, बंधुआ सांसदों के बीच एक सांसद ऐसी भी पंजाब से चुन कर आयी लोक सभा सदस्य माननीया हरसिमरत सिंह कौर ने चौधरी चरण सिंह के बाद पहली बार किसान हित में इतना बड़ा फैसला लिया, किसान विरोधी बिल के पास होने पर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री कैबिनेट स्तर से इस्तीफा दे कर एक मिसाल कायम की, आज भारत के कोने -कोने से किसान इनके इस साहसी फैसले का स्वागत कर रहा है,  आज जब ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान और वार्ड सदस्य के पद को बचाने के लिए लोग एड़ी -चोटी का जोर लगा दे रहे हैं, उस दौर में संसद में बैठे उन नामर्दो जिन्होंने इस किसान विरोधी बिल का प्रतिरोध करने का साहस न कर सके और मर्दानी ने इस्तीफा मुह पर दे मारा,  अब लोग कुतर्क कर रहे हैं कि राजनीति हो रही है, तो जितने लोग सदन में बैठे थे वे राजनीति नहीं सत्संग कर रहे थे,  और अगर किसान हित में राजनीति कर रही हैं, तो राजनीति ही सही, कुछ लोगों ने दलीलें दी की ये बिल कांग्रेस के समय का है, तो आप को कांग्रेस के बिल पास करने के लिए सरकार में लाया गया था? तब तो वही ठीक थे, अरे भाई आप को बढिया करने के लिए लाया गया था न क...