डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
कथित मर्दों के बीच मर्दानी, बंधुआ सांसदों के बीच एक सांसद ऐसी भी
पंजाब से चुन कर आयी लोक सभा सदस्य माननीया हरसिमरत सिंह कौर ने चौधरी चरण सिंह के बाद पहली बार किसान हित में इतना बड़ा फैसला लिया, किसान विरोधी बिल के पास होने पर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री कैबिनेट स्तर से इस्तीफा दे कर एक मिसाल कायम की, आज भारत के कोने -कोने से किसान इनके इस साहसी फैसले का स्वागत कर रहा है,आज जब ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान और वार्ड सदस्य के पद को बचाने के लिए लोग एड़ी -चोटी का जोर लगा दे रहे हैं, उस दौर में संसद में बैठे उन नामर्दो जिन्होंने इस किसान विरोधी बिल का प्रतिरोध करने का साहस न कर सके और मर्दानी ने इस्तीफा मुह पर दे मारा,
अब लोग कुतर्क कर रहे हैं कि राजनीति हो रही है, तो जितने लोग सदन में बैठे थे वे राजनीति नहीं सत्संग कर रहे थे,
और अगर किसान हित में राजनीति कर रही हैं, तो राजनीति ही सही, कुछ लोगों ने दलीलें दी की ये बिल कांग्रेस के समय का है, तो आप को कांग्रेस के बिल पास करने के लिए सरकार में लाया गया था? तब तो वही ठीक थे, अरे भाई आप को बढिया करने के लिए लाया गया था न की कांग्रेस वाली.. बाकी तो आप देख ही रहे हैं..
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