बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
कथित मर्दों के बीच मर्दानी, बंधुआ सांसदों के बीच एक सांसद ऐसी भी
पंजाब से चुन कर आयी लोक सभा सदस्य माननीया हरसिमरत सिंह कौर ने चौधरी चरण सिंह के बाद पहली बार किसान हित में इतना बड़ा फैसला लिया, किसान विरोधी बिल के पास होने पर खाद्य प्रसंस्करण मंत्री कैबिनेट स्तर से इस्तीफा दे कर एक मिसाल कायम की, आज भारत के कोने -कोने से किसान इनके इस साहसी फैसले का स्वागत कर रहा है,आज जब ब्लॉक प्रमुख, ग्राम प्रधान और वार्ड सदस्य के पद को बचाने के लिए लोग एड़ी -चोटी का जोर लगा दे रहे हैं, उस दौर में संसद में बैठे उन नामर्दो जिन्होंने इस किसान विरोधी बिल का प्रतिरोध करने का साहस न कर सके और मर्दानी ने इस्तीफा मुह पर दे मारा,
अब लोग कुतर्क कर रहे हैं कि राजनीति हो रही है, तो जितने लोग सदन में बैठे थे वे राजनीति नहीं सत्संग कर रहे थे,
और अगर किसान हित में राजनीति कर रही हैं, तो राजनीति ही सही, कुछ लोगों ने दलीलें दी की ये बिल कांग्रेस के समय का है, तो आप को कांग्रेस के बिल पास करने के लिए सरकार में लाया गया था? तब तो वही ठीक थे, अरे भाई आप को बढिया करने के लिए लाया गया था न की कांग्रेस वाली.. बाकी तो आप देख ही रहे हैं..
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