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स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

विद्यालय का स्वर्ण जयंती समारोह यादगार बना

 माध्यमिक विद्यालय बाघी की स्वर्ण जयंती 




विद्यालय अनगढ़ बालक को गढ़ कर इंसान बनाने की वह नायाब जगह होता है जहां राष्ट्र निर्माण हो रहा होता है , 
ऐसी ही एक प्रयोगशाला है गाजीपुर , लघु माध्यमिक विद्यालय बाघी जिसने देखें है ,इस राष्ट्र के 50 बसंत और  अपनी भूमिका अदा की है राष्ट्र निर्माण में  |

पचासवीं वर्षगाँठ का महोत्सव 

धूमधाम से मनाया गया सरस्वती लघु माध्यमिक विद्यालय बाघी की पचासवीं वर्षगाँठ का महोत्सव 
गाज़ीपुर :सरस्वती लघु माध्यमिक विद्यालय बाघेश्वरी बाघी गाज़ीपुर का पचासवा वर्षगाठ धूमधाम से मनाया गया इस अवसर पर बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया इस महोत्सव  के मुख्य अतिथि त्रिवेणी दास जी महराज ने कहा की यह विद्यालय क्षेत्र का गौरव है ,  विशिष्ट अतिथि श्री हरिद्वार सिंह यादव ने कहा की यह विद्यालय समाज के  लोगो को शिक्षा की मुख्य धारा मे जोड़ने का माध्यम  है , वक्ताओं की कड़ी में  तहसीलदार श्री महादेव सिंह यादव ने कहा की इस विद्यालय से निकले हज़ारो छात्र आज विभिन्न जगह सेवा दे रहे हैं जो इस विद्यालय के लिए गौरव का विषय हैं अध्यक्षता कर रहे विद्यालय के संस्थापक व प्रबंधन श्री मार्कण्डेय सिंह यादव ने कहा की मेरे द्वारा इस विद्यालय को खोलने का उद्देश्य समाज के वँचित गरीब लोगो को शिक्षा देना हैँ   इस दौरान क्षेत्र के गरीब महिलाओ को एक हज़ार रूपये नगद राशि के साथ साड़ी व छाता वितरित किया व विद्यालय के सम्मानित रिटायर्ड शिक्षक गण को अंगवस्त्र व गीता भेट करके अतिथियो का स्वागत किया गया कार्यक्रम संचालन अधिवक्ता विजयशंकर यादव ने किया गया धन्यवाद ज्ञापन  यशवंत यादव ने किया इस अवसर पर सर्व श्री राजेश यादव ,श्री निर्मल यादव, श्री रामनगीना यादव,   श्री सिंहासन यादव,श्री संजय यादव, समेत सैकड़ो लोग उपस्थित रहे|




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इसे साहस कहूँ या     उस समय हम लोग विज्ञान स्नातक (B.sc.) के प्रथम वर्ष में थे, बड़ा उत्साह था ! लगता था कि हम भी अब बड़े हो गए हैं ! हमारा महाविद्यालय जिला मुख्यालय पर था और जिला मुख्यालय हमारे घर से 45 किलोमीटर दूर!  जिन्दगी में दूसरी बार ट्रेन से सफर करने का अवसर मिला था और स्वतंत्र रूप से पहली बार  | पढने में मजा इस बात का था कि हम विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी थे, तुलना में कला वर्ग के विद्यार्थियों से श्रेष्ठ माने जाते थे, इस बात का हमें गर्व रहता था! शेष हमारे सभी मित्र कला वर्ग के थे ,हम उन सब में श्रेष्ठ माने जाते थे परन्तु हमारी दिनचर्या और हरकतें उन से जुदा न थीं! ट्रेन में सफर का सपना भी पूरा हो रहा था, इस बात का खुमार तो कई दिनों तक चढ़ा रहा! उसमें सबसे बुरी बात परन्तु उन दिनों गर्व की बात थी बिना टिकट सफर करना   | रोज का काम था सुबह नौ बजे घर से निकलना तीन किलोमीटर दूर अवस्थित रेलवे स्टेशन से 09.25 की ट्रेन पौने दस बजे तक पकड़ना और लगभग 10.45 बजे तक जिला मुख्यालय रेलवे स्टेशन पहुँच जाना पुनः वहाँ से पैदल चार किलोमीटर महाविद्यालय पहुंचना! मतल...

उ कहाँ गइल

!!उ कहाँ गइल!!  रारा रैया कहाँ गइल,  हउ देशी गैया कहाँ गइल,  चकवा - चकइया कहाँ गइल,         ओका - बोका कहाँ गइल,        उ तीन तड़ोका कहाँ गइल चिक्का  , खोखो कहाँ गइल,   हउ गुल्ली डण्डा कहाँ गइल,  उ नरकट- कण्डा कहाँ गइल,           गुच्ची- गच्चा कहाँ गइल,           छुपा - छुपाई कहाँ गइल,   मइया- माई  कहाँ गइल,  धुधुका , गुल्लक कहाँ गइल,  मिलल, भेंटाइल  कहाँ गइल,       कान्ह - भेड़इया कहाँ गइल,       ओल्हापाती कहाँ गइल,  घुघुआ माना कहाँ  गइल,  उ चंदा मामा कहाँ  गइल,      पटरी क चुमउवल कहाँ गइल,      दुधिया क बोलउल कहाँ गइल,   गदहा चढ़वइया कहाँ गइल,   उ घोड़ कुदइया कहाँ गइल!!                  Copy@viranjy

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