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डड़कटवा के विरासत

 डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम  से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में  लगभग हर घर में  पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन  , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में  फंसल  रहेला  , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के  डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन  पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले |       कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी  मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...

हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य डा० झबलू पहुंचे अपने पैतृक गांव

 डॉ० झबलू राम का अपने पैतृक क्षेत्र पहुंचने पर हुआ स्वागत

डॉ० झबलू को भारत सरकार द्वारा हिन्दी भाषा सलाहकार समिति का सदस्य नामित किए जाने के उपरांत पहली बार अपने पैतृक गांव करकटपुर गाजीपुर पहुंचे थे | एक विशेष प्रोटोकॉल के तहत उनका रुट निर्धारित था | थाना प्रभारी करीमुद्दीनपुर मय फोर्स उपस्थित रहे | क्षेत्र के लोग भरौली, विशम्भरपुर, दुबिहांमोड़ पर फूल मलाओं
 से डा० झबलू का स्वागत किए पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर थी |


डॉ झबलू राम(Dr. Jhablu Ram ) को गृह मंत्रालय,भारत सरकार,राजभाषा विभाग, एवं दूर संचार विभाग,संचार मंत्रालय भारत सरकार के द्वारा हिन्दी सलाहकार समिति का सदस्य नामित किया गया है।ये मूल रूप से ग्राम- करकटपुर,पोस्ट-भरौली कलां,थाना-करीमुद्दीनपुर, जिला-गाजीपुर (उ.प्र.)के रहने वाले है।इनकी   प्रारम्भिक शिक्षा हार्टमन ईण्टर कालेज हार्टमनपुर   गाजीपुर से व 10 वीं 12 वीं  की पढ़ाई जनता जनार्दन इण्टर कॉलेज, गांधी नगर, गाजीपुर से हुई उसके बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी से बैचलर , मास्टर डिग्री (2008),UGC नेट, एवं शोध कार्य (हिन्दी दलित आत्मकथाओं का समाजशास्त्रीय अध्ययन)विषय पर प्रो बिपिन कुमार के निर्देशन में  हिन्दी विभाग, BHU से की है।इनको हिन्दी के क्षेत्र में तीन राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।लगभग दो दर्जन शोध पत्र देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुका है।लगभग 13 अंतरराष्ट्रीय सेमिनार , लगभग35 राष्ट्रीय सेमिनार एवं 9 राष्ट्रीय कार्यशाला में अपना पत्र प्रस्तुत कर चुके है।
      

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उ कहाँ गइल

!!उ कहाँ गइल!!  रारा रैया कहाँ गइल,  हउ देशी गैया कहाँ गइल,  चकवा - चकइया कहाँ गइल,         ओका - बोका कहाँ गइल,        उ तीन तड़ोका कहाँ गइल चिक्का  , खोखो कहाँ गइल,   हउ गुल्ली डण्डा कहाँ गइल,  उ नरकट- कण्डा कहाँ गइल,           गुच्ची- गच्चा कहाँ गइल,           छुपा - छुपाई कहाँ गइल,   मइया- माई  कहाँ गइल,  धुधुका , गुल्लक कहाँ गइल,  मिलल, भेंटाइल  कहाँ गइल,       कान्ह - भेड़इया कहाँ गइल,       ओल्हापाती कहाँ गइल,  घुघुआ माना कहाँ  गइल,  उ चंदा मामा कहाँ  गइल,      पटरी क चुमउवल कहाँ गइल,      दुधिया क बोलउल कहाँ गइल,   गदहा चढ़वइया कहाँ गइल,   उ घोड़ कुदइया कहाँ गइल!!                  Copy@viranjy

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