बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
सुच्चा बनारसी
कुछ दिन बनारस क्या रहे ,खुद को बनारसी समझने लगे,
जहां तहां आत्म विश्वास से लबरेज , घूमने टहलने लगे ,
मंदिर ,घाट हो सड़क हर जगह बनारसी होने का दम्भ भरने लगे ,
न वो सरदार रहे न सरदारी ,पर जहां खुला देखे लंगोटा कस दंड मारने लगे ,
प्रणाम -नमस्ते औ राम -राम तज, अभिवादन श्रेष्ठ महादेव कहने लगे ,
गंगा में डुबकी लगाकर हर हर गंगे कह दूर तक तरने लगे ,
लस्सी ,मलाई ,ठंडई ,मलईयो छके और मुंह में पान धरने लगे ,
बोली -आचार , व्यवहार और आहर में बनारसी वरण करने लगे ,
महाश्मशान की भभूत और माथे पर तिलक का श्रृंगार करने लगा ,
हमारा बनारस और खुद को घनीभूत बनारसी समझने लगे,
पर एक दिन संयोग हुआ घनघोर बनारसी से , जल ढारने में वाद करने लगा ,
मैं भी खुद को बनारसी बता आगे बढ़ने लगा ,
उसने बात की और बात - बात में बात पकड़ने लगा , मैं बनावटी बनारसीपने से अकड़ने लगा ,
उसने मेरी सारी अकड़ निकाल दी और महादेव पर पहला अपना अधिकार कहने लगा ,
मुझे ज्ञान मिलने लगा ,बनारस का होना और बनारसी दोनो अलग लगने लगा ,
वो गुरु निकला ,मेरा तो बस गुरुर था ,
तन से बलशाली और मन से स्थिर था ,
वो बनारसी अहीर था ||
हर-हर महादेव 🙏
ReplyDeleteबनारसी बनने का गुरूर ही कुछ और है
ReplyDeleteबनारसी पान और बनार्स
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