बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
अंचार और पराठा
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एक वह भी समय था स्कूल की घंटी दूर तक सुनाई देती थी , दौड़ कर स्कूल पहुंचना और थोड़ा सा विलम्ब होने पर गेट बंद होना ,अब दोनों तरफ मुसीबत स्कूल में पिटाई और घर लौटे तो कुटाई | अब वह दौर नहीं रहा अब तो दरवाजे पर पीले रंग की मार्कोपोलो स्कूल बस खड़ी हो जाती है और मम्मी बस्ता लेकर सहायक परिचालक (खलासी)को थमाती हैं बच्चा स्कूल पहुंचता है |
लंच बॉक्स
हमारे समय तक फाइवर (प्लास्टिक )और स्टील के लंच बॉक्स (टिफिन ) चलन में आ गये थे | मेरी फटी कमीज यह भी पढें
मध्यावकाश के समय टिफिन खुलते ही अंचार की खुश्बू पूरे वातावरण में घुलने लगती और जहां तक पहुंचती लोगों के मुंह में पानी आ जाता जो अपने टिफिन में सब्जी भी लाया होता उसका मिजाज अंचार के लिए मचल उठता |
लंच का मेन्यु
लंच के मेन्यु निर्धारण में कोई दिक्कत न थी सामान्यता पराठे और आम अथवा मिर्चे के अचार हुआ करते थे मध्याह्न भोजन के लिए और आम के अंचार की गुठली को तृप्ति के अंतिम छोर तक चूसने वाले किरदार भी हमारे समय में पाए जाते थे |
एक ही मेन्यु लगभग रोज अंचार और पराठा खाकर जो आनन्द की प्राप्ति होती वह दस व्यंजनों में भी शायद न हो और सभी तंदरुस्त - तगड़े , बीमारी नाम की कोई चीज नहीं ,अब के बच्चों को तो स्कूल से डाइट चार्ट मिल रहा है और मेन्यु निर्धारित हो रही है | मम्मी को रात में माथा खपाना होता है कि बच्चे की टिफिन में सुबह क्या स्पेशल देना है |
#यादें_बचपन
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