स्कूल" स्कूलों का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...
अंचार और पराठा
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एक वह भी समय था स्कूल की घंटी दूर तक सुनाई देती थी , दौड़ कर स्कूल पहुंचना और थोड़ा सा विलम्ब होने पर गेट बंद होना ,अब दोनों तरफ मुसीबत स्कूल में पिटाई और घर लौटे तो कुटाई | अब वह दौर नहीं रहा अब तो दरवाजे पर पीले रंग की मार्कोपोलो स्कूल बस खड़ी हो जाती है और मम्मी बस्ता लेकर सहायक परिचालक (खलासी)को थमाती हैं बच्चा स्कूल पहुंचता है |
लंच बॉक्स
हमारे समय तक फाइवर (प्लास्टिक )और स्टील के लंच बॉक्स (टिफिन ) चलन में आ गये थे | मेरी फटी कमीज यह भी पढें
मध्यावकाश के समय टिफिन खुलते ही अंचार की खुश्बू पूरे वातावरण में घुलने लगती और जहां तक पहुंचती लोगों के मुंह में पानी आ जाता जो अपने टिफिन में सब्जी भी लाया होता उसका मिजाज अंचार के लिए मचल उठता |
लंच का मेन्यु
लंच के मेन्यु निर्धारण में कोई दिक्कत न थी सामान्यता पराठे और आम अथवा मिर्चे के अचार हुआ करते थे मध्याह्न भोजन के लिए और आम के अंचार की गुठली को तृप्ति के अंतिम छोर तक चूसने वाले किरदार भी हमारे समय में पाए जाते थे |
एक ही मेन्यु लगभग रोज अंचार और पराठा खाकर जो आनन्द की प्राप्ति होती वह दस व्यंजनों में भी शायद न हो और सभी तंदरुस्त - तगड़े , बीमारी नाम की कोई चीज नहीं ,अब के बच्चों को तो स्कूल से डाइट चार्ट मिल रहा है और मेन्यु निर्धारित हो रही है | मम्मी को रात में माथा खपाना होता है कि बच्चे की टिफिन में सुबह क्या स्पेशल देना है |
#यादें_बचपन
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