डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
आज महिला- पुरुष के पहनावे व पाश्चात्य संस्कृति के अनुकरण ने दीवाना, पागल या कायल बना दिया है, इसी बीच कोई उच्च शिक्षा प्राप्त भारतीय प्रशासनिक सेवा की सेवारत राजस्थान की आईएएस अधिकारी मोनिका यादव का देसी लुुुक सोशल मीडिया पर बेहद चर्चा में है। सीकर मूल की आईएएस अधिकारी का उदयपुर संभाग से भी गहरा नाता है। उनके पति आईएएस सुशील यादव उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले में उपखंड अधिकारी पद पर सेवारत हैं और मोनिका यादव मातृत्व अवकाश पर हैं।
मोनिका यादव का सम्बन्ध सीकर जिले की श्री माधोपुर तहसील के गांव के फूलहर सिंह यादव वरिष्ठ आरएस की बिटिया मोनिका भी आईएएस बनीं परन्तु अपनी सांस्कृतिक परम्परा को नहीं, छोड़ीं और आज भी शालीनता और सहजता से सादगी की प्रतिमूर्ति बनी हुई हैं, आज कोई स्त्री आंगनबाड़ी में सेवा करने लग जाती है तो, वेतन से अधिक किमत की साड़ी पहनने लग जाती है, नखरे नाक पर, एकदूसरे को नीचा दिखाने में लगी रहती हैं, लेकिन मोनिका यादव को देखें वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की सबसे उच्च सेवा में हैं, और इस समय एक नौजात को जन्म दी है ं और मातृत्व अवकाश पर है ं , उनकी तस्वीर वायरल हो रही है....
फल वाले वृक्ष ही झुके रहते है। सूखे पेड़ अकड़ कर खड़े रहते है।
ReplyDeleteजी सही कहा आपने, धन्यवाद🙏
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