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Showing posts with the label Diwali Special

डा० भीमराव अंबेडकर और वर्तमान

 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज  बाबा साहब  समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...

रक्षा बंधन किसके रक्षा का पर्व

 रक्षाबंधन किसके रक्षा का पर्व    'रक्षा बंधन ' एक ऐसा पर्व जिसमें बहन भाई की रक्षा हेतु एक मांगलिक संकल्प सूत्र बांधती है और स्वयं की रक्षा हेतु वचन लेती है , यह रक्षा बंधन भारतीय संस्कृति और सभ्यता का वह पावन व चिरस्थाई पर्व है जिसमें बांधने की इच्छा बहन रखती है और भाई बरबस तैयार रहता है | कोई ऐसी मानसिक स्थिति नहीं हो सकती जिसमें कोई बंधन में रहना चाहे,  परन्तु रक्षा बन्धन ऐसा पर्व जिसमें भाई बंधता है |  बहन जो स्वयं शक्ति (दुर्गा, लक्ष्मी )का स्वरुप है वह अपने सारी सुरक्षा(सिक्योरिटी) पर अविश्वास करते हुए अपने भाई  से रक्षा की कामना रखती है , भाई के स्वास्थ्य और मंगल के रक्षा की कामना करती है क्योंकि भाई के स्वास्थ्य और दीर्घायु से माता -पिता के स्वास्थ्य व सुरक्षा के हेतु स्वयं सिद्ध हो जाते हैं  , ये कार्य बहन सिद्ध करती है रक्षा बन्धन से | प्रसंग वश प्रासंगिक  एक प्रसंग है रामायण का - त्रैलोक्य जननी माँ सीता अशोक वाटिका में बैठी होती हैं और अपने स्वामी, जगत स्वामी प्रभु राम का स्मरण करती रहती हैं उसी समय रावण का आगमन होता है, रावण तो रोज आत...

आज कलम फिर से जय बोल

 आज कलम फिर से जय बोल आजादी किसे कहें -   एहसासों की आजादी का नाम शायरी हैं, भावनाओं की मुक्ति का नाम कविता है और यह तो उत्सव ही आजादी का हैं| यह तो जश्न ही स्वतंत्रता का है 1947 की आजादी केवल 150 बरस की आजादी के कशमकश और जद्दो-जहद का परिणाम नहीं है यह हमारी बहुत लंबी प्रतीक्षा के बाद का वह पल है जब इस पुण्य भूमि  भारत में ऋषियों की तपस्वियों की महनीय लोगों के इस देश ने यह अनुभव किया कि उनका पुरुषार्थ अब स्वतंत्र है ,जब देश की माताओं  ने अनुभव किया कि उनकी सोच की चुनर /आंचलअब स्वतंत्र है | जब इस देश की बेटियों ने अनुभव किया ....बज़ाज के लफ्जों में कि 'तेरे माथे का यह अंचल बहुत ही खूब है लेकिन तो इस अंचल को जो परचम बना लेती तो अच्छा था' ,  इस देश के बच्चों ने इस देश के खुदीराम बोसो ने इस देश की बेटियों ने इस देश की माताओं  ने सब ने मिलकर एक साथ कोशिश की और 15 अगस्त 1947 को जब सूरज निकला तो इस देश की तरफ मुस्कुरा कर देख रहा था और  अपने नौनिहालों से अपने बच्चों से कह रहा था कि , आजादी मुबारक हो आजादी आई तो कविता अपने आप को आजादी के साथ अनुनादित करने ...

बीएचयू का चिकित्सक आमरण अनशन पर

  B BHU के विश्वख्यात चिकित्सक प्रोफेसर   Dr Omshankar आमरण अनशन पर -   डा०ओमशंकर हृदय रोग व विभाग अध्यक्ष (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ) ज ब वाराणसी ,काशी या बनारस की बात आती है तो बाबा विश्वनाथ , मां गंगा का पतित पावन तट और  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) एक साथ  हृदय में  अंकित हो जाते हैं  | वैसे तो वाराणसी, बनारस और  काशी पर्याय जैसे प्रयुक्त होते थे परन्तु कुछ समय पूर्व से अगर आप को बनारस जाना है तो पूर्व के मंडुआडीह जाना होगा ,काशी भी एक रेलस्थानक (Railway station ) है | परन्तु आज हम बात करेंगे  काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की जहां हृदय रोग विभागाध्यक्ष डा० ओमशंकर आमजन के हित के लिए खुद का जीवन दाव पर लगाकर 11 मई 2024 से  आमरण अनशन पर हैं |  हालाकि वह अभी भी अपने मरीजों को अनशन स्थल से ही देख रहे हैं |अब  ओपीडी का संचालन कमरा न०19 से कर रहे हैं  | चिकित्सक प्रोफेसर डा० ओमशंकर के आरोप- डा०ओमशंकर हृदय रोग विभागाध्यक्ष हैं और  ख्यातिलब्ध चिकित्सक इनको राष्ट्रीय ,अन्तर्राष्ट्रीय  स्तर के सेवा  सम्म...

ज्योति बिछाते लोग

      ज्योति बिछाते लोग  ज्योति के पुंज की राह में  ,ज्योति बिछाते लोग , राह दिखाया जिसने जग को ,राह दिखाते लोग , राज तजा निज मान के खातिर, राज दिलाते लोग , लाया जिसने सबको जग में ,राम को लाते लोग,  कबिरा तू रहने दे अपनी ,सच दिखलाते लोग , कण-कण और रोम-रोम में रमता है ,राम न जाने लोग ||

ईश्वर पैठा दलीद्दर निकला

 लोक परम्पराओं का निर्वहन व विसंगति  क्या हुआ होगा पहली दिवाली पर जब त्रैलोक्य विजेता मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम पूरे जगत का दिल जीत कर अपनी अनुपम नगरी  अयोध्या पुनरागमन पर पलक बिछा कर  निर्निमेष दीपमाला प्रज्ज्वलित कर स्वागत किए होंगे | राघवेंद्र सरकार ने अपने चरण धरा पर रखते ही आचरण का ऐसा दैदीप्यमान हस्ताक्षर किया कि आज भी समूचा जगत उस मर्यादा रद्दा पर रद्दा रखते हुए  आचरण व संस्कार का कंगूरा खड़ा कर स्वयं को संस्कारी संस्कृति का सदस्य बताता है |      दीपावली के दिन माँ लक्ष्मी और गणेश पूजनोत्सव के साथ  दीपमाला की श्रृंखलाएं मानव मात्र के जीवन जिजिविषा को प्रतिबिम्बित करते हैं | ईश्वर पइस दलीद्दर निकला - पूरे भारतवर्ष में संस्कृतियों और परम्पराओं की विविधता मनोहारी तथा चिंतन पर विवश करती है।           दरिद्र (दलीद्दर )बहिर्गमन की परम्परा उन्ही परम्पराओं का हिस्सा है ,देश के कोने - कोने में इस परम्परा के मानने - मनाने के तौर तरीके अलग हो सकते हैं परन्तु उसका उद्देश्य एक है , अपने घर से  दु:ख और दरिद्र का ...

Diwali 2023 कब और कैसे मनाएं जानें शुभ मुहूर्त

दिपावली 2023 में कब है तथा क्या है शुभ मुहूर्त  (Diwali or Deepawali  Shubh Muhurat  Time and Date   In Hindi) दिवाली या दीपावली का    पर्व देश के वृहद  त्यौहारों में से एक है. जीवन को अंधकार पक्ष से प्रकाश पक्षीय में  जाने का संकेत देने वाला यह पर्व जितना  उमंग और हर्ष से मनाया जाता है, उतने ही हर्षोल्लास  से इसकी पूजन  विधि संपन्न की जाती है . पूरे  माह अथवा वर्ष भर  लोग दीपावली  की तैयारी करते हैं, जिसका  आरम्भ  साफ़ -सफाई से की जाती हैं, क्योंकि  दीपावली  के दिन धन की देवी माँ  लक्ष्मी पूजन  का महत्व होता है, और माँ लक्ष्मी  निवास वहीं करती हैं जहाँ स्वच्छ परिवेश  होता  है . किसी भी त्यौहार की लोकप्रियता उसके पौराणिक कथा साहित्य और बोध पर निर्भर करता है , ऐसे ही दीपावली पर बहुत सी पौराणिक तथा दंत कथाएं प्रचलित है,  हिन्दू संस्कृति में कोई भी शुभ कार्य बिना पांचांग और ग्रह -नक्षत्र की स्थिति जाने बगैर नहीं होता  ,इसलिए त्यौहारों के लिए भी शुभ मुहूर्त देखे ज...

दीपावली पर क्या कब कैसे खरीदें और क्या न खरीदें

दिपावली की खरीददारी भारतीय संस्कृति में दीपावली, दिवाली अथवा दीपोत्सव जो भी नाम लिया जाए एक साफ और चमक - दमक, नयेपन की छवि आखों सामने नाच जाती है |    हमारे त्यौहार ही जनमानस के लिए म्युनिसिपेलिटी और कड़क अनुशासक का काम करते हैं |दिपावली के आगाज मात्र से ही घर के कोने - कोने की सफाई शुरू कर दी जाती है |  कच्चे घरों की लिपाई- पुताई, पक्के घरों का रंग -रोगन, टूट- फूट की मरम्मत | इस दौर में कबाड़ी वालों का भी बोझ बढ़ जाता है |  दिवाली प्यारी आती है,  दिवाली न्यारी आती है,  घरों को पुतवाने को,  पुराना नया बनाने को,  दिवाली प्यारी आती है, दिवाली न्यारी आती है || अब बात आती है उस कबाड़ की जगह नये आवश्यक सामान की उसके लिए बड़ा सोच - समझ कर खरीददारी करनी चाहिए | लोग अपनी मेहनत की कमाई का हिस्सा  सही जगह निवेश करना चहते है ं |उसके लिए कुछ मान्यताएं तथा मिथक है ं | आध्यात्मिक मान्यताएं -   ऐसा माना जाता है कि दिपावली के एक दिन पूर्व धनतेरस को खरीददारी करना शुभ है  | कहा जाता है कि धनतेरस को खरीददारी करने से स्थिर लक्ष्मी का आगमन होत...