बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
मेरी फटी कमीज़ और स्कूल मुझे ठीक- ठीक याद है कि जब मैं पढ़ने जाने लगा तो गणवेश की बाध्यता थी | अनिवार्य था गणवेश और समय की पाबंदी प्राथमिकता में थी | हमारा स्कूल हमारे घर से कुल ढाई किलोमीटर दूरी पर था | हमारा स्कूल आना - जाना पैदल होता था, पर सूकून था हमारे साथ हम उम्र चार - पांच लड़के और जाते थे हम सबसे छोटे थे | छोटे होने का लाभ था सभी लोग मेरी प्रतीक्षा करते और दुलारते भी और नुकसान ये था कि सभी लोगों का कहना मानना होता था | रास्ता लघु चुना गया था गाँव के खेत से तिरछे पगडंडियों और खेत के मेड़ो से होते हुए लगभग पैतालीस मिनट में स्कूल पहुँच जाते थे हम लोग | शुरू- शुरू में रोना आता था लेकिन धीरे - धीरे सब सामान्य हो गया | परन्तु जिस दिन किसी कारणवश अकेले आना - जाना होता तो लम्बा वाला रास्ता पकड़ कर आना होता जो घूम कर सड़क - सड़क गाँव पहुंचता | कारण यह था कि खेत वाला रास्ता निर्जन था और उसमें एक डरावना नाला जिसके दोनों किनारों पर सरपत का झुरमुट लगा था | वह ज्यादा डरावना इसलिए भी हो जाता क्योंकि उससे जुड़ी डरावनी दास्ताँ हमने दंतकथाओं में सु...