डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
हाथरस में गैंग रेप एक ह्रदय विदारक
हाथरस की बेटी कहूँ या भारत की बेटी कहूँ, आरोपित भी तो भारत के ही हैं, गैंग रेप, जीभ काटना, रीढ़ की हड्डी तो भारत की टूटी है और छलनी हो रहा है, कलेजा हर बेटी वाले का, इसे किसी, दलित, पिछड़ा , गरीब या अमीर की आबरू कहूँ,
अब तो वो दम तोड़ दी, अब मोमबत्तियां लेकर निकलो, धरना दो लानत भेजो सरकारों को... पत्रकारों जमकर छापो अपने आकाओं, बापों के कहे शब्दों को.. जो आज किसी मीडिया ने नहीं दिखाया. क्योंकि उनके लिए सबसे बड़ी खबर है ही नहीं...
अस्मिता बेचो अपनी बहन - बेटियों की...
देखो और प्रतीक्षा करो अपने बारी की...
वहाँ मिलता है मेरा अपना ही बदन जख्मी,
जहाँ तीर से घायल कोई हिरन देखा,
अजीब है दुनिया की दास्ताँ,
सभी पे चलते समय एक सा कफ़न देखा,
जुबां है और ,बयां और ,उसका मतलब और,
अजीब आज की दुनिया का व्याकरन देखा,
लुटेरे- डाकू भी अपने पे नाज करने लगे,
उन्होंने आज जो "योगी" का आचरन देखा,,..
#hathrasgangrap
#बेटी_बचाओ
Comments
Post a Comment