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शिक्षकों स्थिति और मुर्गे की कहानी

 शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल  शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं,  शिक्षक |  अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं।  परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें |  उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और  पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी |         सरकारी शिक्षकों का दायित्व  एक सरकारी शिक्षक को  , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण,  बी एलओ,  सफाई , एमडीएमए ,चुनाव  और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक  जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल  पैर और वजनदार शरीर  अर्...

कौन हैं गाजीपुर के बुनेला जहाँ शिवपाल रुके देर रात तक



कौन हैं गाजीपुर के बुनेला जहाँ शिवपाल रुके देर रात तक 

    शिवपाल यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति और समाजवाद के लिए बड़ा नाम है , नेता जी मुलायम सिंह यादव के बाद शिवपाल यादव के कंधो पर समाजवाद की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, शिवपाल यादव पूरे प्रदेश में भ्रमण कर के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा रहे हैं,  सबके सुख -दुःख में सम्मिलित हो रहे हैं | 
इसी क्रम में संत हृदय शिवपाल यादव  लखनऊ से चल कर उत्तर प्रदेश के पूर्वी छोर गाजीपुर जनपद में बाराचवर ब्लॉक  के गोविन्दपुर गांव (जहूराबाद विधानसभा ) पहुंचे जहाँ समाजवादी कार्यकर्ता बुनेला यादव के ज्येष्ठ पुत्र का तिलकोत्सव था |
सभी कार्यकर्ता तथा श्री यादव का पूरा परिवार शिवपाल यादव को बीच पा कर अभिभूत था |
शिवपाल यादव ने एक कार्यकर्ता की भावनाओं की कद्र करते हुए उनके अल्प निमंत्रण पर मांगलिक कार्यक्रम में  सम्मिलित हो कर यह साबित कर दिया  कि समाजवादी पार्टी में  नेता जी की परम्परा  अभी जिन्दा है  |
       शिवपाल यादव कार्यक्रम में सम्मिलित हुए देर रात तक  बैठे रहे और चिंरजीवी राजेश यादव पुत्र बुनेला यादव को आशीष प्रदान कर पूर्व राजस्व मंत्री अम्बिका चौधरी के साथ ठहराव स्थान हेतु सड़क मार्ग से प्रस्थान किए |
     अब चर्चा का बाजार गरम है कि कौन  हैं  बुनेला और  क्यों पहुंचे शिवपाल यादव |

दांए से विधायक मन्नू अंसारी, शिवपाल यादव, अम्बिका चौधरी ,राजेश, उर्मिलेश  ,, 
             


           बांए से क्मश:राजेश, उर्मिलेश 

बुनेला कौन 

    गाजीपुर जनपद के गोविन्दपुर गांव में किसान स्व०राजदेव चौधरी और श्रीमती टेना देवी के तीन पुत्रों में  सबसे छोटे पुत्र बुनेला हैं | जो अपने नाम के अनुरुप ही अपने बचपन से बुनेला और अग्निधर्मी रहे |शिक्षा-दीक्षा मिशनरी स्कूल हार्टमन इण्टर कालेज हार्टमनपुर से प्राप्त करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए  टी०डी० कॉलेज बलिया  पहुंच गये  | 
वहां हिन्दी, समाजशास्त्र और दर्शन शास्त्र विषयों के साथ  स्नातक की पढाई शुरु किए परन्तु  बार -बार महाविद्यालय के तंत्र (system )से टकराने और  तत्कालीन सरकार की गलत नीतियों के  विरोध में  मुखर रहने के कारण साथियों के सह पर छात्र हित का काम करते -करते छात्र राजनीति में  रुचि बढ़ और  सन् 1989-90 में  श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के छात्र संघ के महामंत्री चुने गये  |
     अब इस दर्शन शास्त्री बुनेला महामंत्री टी०डी० कॉलेज  बलिया की रुचि डा०राममनोहर लोहिया में बढ़ी ,ये लोहिया को पढ़े और  उस समय लोहिया के चेले तथा तत्कालीन राजनीति के  दैदीप्यमान सूरज धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव  के प्रभाव ने महामंत्री बुनेला को आकर्षित किया और  बुनेला राजनीति के चाणक्य अम्बिका चौधरी के राजनैतिक मार्गदर्शन में  लोहिया के समाजवाद का झण्डा बुलंद करते हुए  कब समाजवादी हो गये इन्हे  पता ही नहीं चला  | 

 सक्रिय राजनैतिक पारी का आगाज 

बुनेला यादव महामंत्री  अब छात्र राजनीति से आगे बढ़ कर समाजवाद का झण्डा ऊंचा  करने लगे समाज में  समता और गैर बराबरी तथा सामंती अत्याचार के खिलाफ बिगुल फूंकते और  न्याय दिलाते हुए  आगे बढ़ने लगे ,तभी 1995 में  त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा हुई और  बुनेला यादव  गाजीपुर जनपद से बाराचवर ब्लॉक के तत्कालीन परिसिमन अनुरुप एक प्रभाग से जिला पंचायत सदस्य प्रत्याशी बनने का मन बना लिए जहाँ से बाहुबली प्रद्युम्न राय भी चुनावी ताल ठोंक रहे थे ,उस चुनाव में  किसी का साहस नहीं था कि बाहुबल और धन बल के आगे चुनाव लड़े |प्रद्युम्न राय का निर्विरोध निर्वाचन सुनिश्चित था | परन्तु ईमानदार छवि , जुझारू नेता और युवा समाजवादी, अग्निधर्मी बेटा ,भाई को अपना नेतृत्व सौंपने के लिए क्षेत्रीय जनता बेताब थी ,चुनाव नतीजा घोषित होने पर पता चला बुनेला भारी मतों से विजयी हुए | एक के बाद एक लागातार तीन पंचवर्षीय अर्थात  पंद्रह वर्ष तक बुनेला यादव ने जिले की सदन में  क्षेत्र  का प्रतिनिधित्व ईमानदारी से किया  | अगले चुनाव में सीट आरक्षित हो गई  जिससे ये चुनाव लड़ने से वंचित हुए | उसके अगले चुनाव में  धन बल के आगे कुछ मतों से चुनाव हार गये  |क्योंकि बुनेला संघर्ष और  ईमानदारी का नाम है आज भी उनके पास  एक स्प्लेंडर मोटर साइकिल के अलावा कोई और कोई भौकाल नहीं है | जबकि आज तो एक ग्रामप्रधान का भी भौकाल बहुत चुस्त है,स्कार्पियो और सफारी जैसी गाड़ियां हैं उसके पास  | परन्तु बुनेला तीन पंचवर्षीय सदस्य रहे अभी भी वही सादगी ,सरल तथा सुगम स्वभाव है बुनेला का | जो सादगी ,ईमानदारी और  संघर्ष पसंद हो वह सच्चा समाजवादी बुनेला  है |

शिवपाल यादव (राष्ट्रीय महासचिव समाजवादी पार्टी )क्यों आए 

समाजवाद के ध्वज वाहक शिवपाल यादव बुनेला यादव की  नेता जी से नजदीकी कर्मठता और  समाजवाद के प्रति बेदाग छवि होने के कारण उनके ज्येष्ठ पुत्र राजेश यादव (साफ्टवेयर इंजीनियर ) के तिलकोत्सव में सम्मिलित होने पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी जी के साथ  दौड़े चले आए |
शिवपाल यादव ने यह साबित किया कि सच्चे कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी हर कदम खड़ी है और  बुनेला के कद इतना  जनपद में किसी का कद नहीं है। 
                       इस अवसर पर जनपद के तथा पड़ोसी जनपद के सभी समाजवादी उपस्थित रहे  |मुहम्मदाबाद विधायक मन्नू अंसारी दोपहर से रात तक डंटे रहे , जिलाध्यक्ष बलिया राजमंगल विभिन्न रस्मों के साक्षी बने , पूर्व विधायक और लोकसभा प्रत्याशी सनातन पाण्डेय भी आशीर्वाद देने पहुंचे ||






    



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  1. समाजवादी जिंदा बाद

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