थप्पड़ से मैं धन्य हो गया
गर्मी का मौसम था रात का नौ बज रहा था सड़क पर वाहन फर्राटे भर रहे थे ,कुछ निजी वाहन ,कुछ सवारी ढोने वाले वाहन उसी में बुजारथ ड्राइवर (मुसहर - यह वनवासी जाति है) अपनी गाड़ी में सवारी भर कर गाजीपुर टैक्सी स्टैंड से दुल्लहपुर (लगभग 40 किलोमीटर )तक के लिए निकला था |
यह प्रतिदिन का काम था परन्तु आज सवारी देर से मिलने के कारण अंधेरा हो गया |अब दिक्कत ये थी की गाड़ी की बत्ती भी खराब हो गई थी | बुजारथ ड्राइवर बिना लाईट की सवारी गाड़ी लिये बहुत प्रसन्नता और थोड़ी सी बाधा के साथ आपने गन्तव्य की तरफ बढ़ रहा था | प्रसन्नता इस बात की थी कि सवारी गाड़ी और गाड़ीवान की औकात से अधिक थी टैक्सी स्टैंड पर लगन (वैवाहिक कार्यक्रम ) का समय होने के कारण वाहन कम थे जिसका फायदा बुजारथ ड्राइवर को मिला सबको घर जाने की जल्दी थी इसलिए सवारी ऐसे बैठाइ गयी अथवा यूं कहूं ठूसी गयी की तिल रखने की जगह न बची थी ,गाड़ी के ऊपर तक सवारी और दाहिने -बांए तो लटक ही रही थी , बाधा इस बात की थी की बत्ती खराब थी ,परन्तु रास्ता परिचित होने के कारण और आते जाते वाहनों की लाईट काम आसान कर रही थी |
Image from internet
थप्पड़ -
अब गाड़ी धीमी रफ्तार में चल रही थी तभी पीछे से तेज प्रकाश और तेज रफ्तार वाली गाड़ी चली आ रही थी जिसकी लाईट के सहारे बुजारथ ड्राइवर अपनी गाड़ी तेज चलाने लगा और पीछे वाली गाड़ी को आगे आने के लिए जगह नहीं दे रहा ऐसा सिलसिला लगभग 10 किलोमीटर तक चला | तबतक पीछे वाली गाड़ी ओवरटेक करके आगे आ गई और बुजारथ ड्राइवर की गाड़ी रोक कर किनारे करने का इशारा हुआ और उसमें से उतरे पुलिस अधीक्षक, गाजीपुर और बुजारथ से बिना पूछे ताबडतोड तीन थप्पड़ और बुजारथ को हिदायत की गाड़ी सबेरे लेकर जाना, बत्ती बनवा लेना और आज तो सवारी बैठा लिए हो इसे उनके गंतव्य तक पहुंचा दो लेकिन क्षमता से अधिक सवारी अब मत बैठाना |
थप्पड़ की महिमा -
अगली सुबह बुजारथ को एसपी साहब द्वारा थपरियाने (पीटने) की खबर आग की तरह फैल रही थी | सब जगह बुजारथ को एसपी साहब द्वारा पीटने की ही चर्चा जोर पर थी |
वैसे तो गाड़ी और गाड़ीवान के पीटने की बात आम थी ,परन्तु एसपी साहब द्वारा पीटने की बात आम नहीं विशेष थी |
बुजारथ सबेरे जैसे ही टैक्सी स्टैंड गाजीपुर पहुंचे तभी टीका महाराज (टैक्सी स्टैंड के रखरखाव वाले ) पूछे का बुजारथ कल फंस गए, जोर का थप्पड़ था ,तभी बुजारथ बोल पड़े " अहा महराज उ थप्पड़ ना आशीर्वाद रहे ,जैसे ही एसपी साहब हमके थप्पड़ मरुवन हमके लगुवे आशीर्वाद मिल गईल ,जब दूसरे गाल पर थप्पड़ लगल त लगुवे की ओह एक बेर अउर साहब हमके छू देतन ,एतने में तीसरा आशीर्वाद जैइसन थप्पड़ हमरे गाल पर ,हम कहवीं की भगवान क हाथ हमरी गाल पर ,हम त बस हाथ जोर के खड़ा रहुवीं "
टीका महाराज पूछे "एइसन काहे लगल रे बुजारथ "
तब बुजारथ का जबाब जाति व्यवस्था की सच्चाई बयां कर रहा था....
"महाराज मुसहर के सिपाही आ होमगार्ड न मारेला की सीओ ,एसपी छुएला ? साहब की छुअला से हम तर गइनीं "
सभी लोग बुजारथ ड्राइवर की इस पीड़ा युक्त खुशी देख स्तब्ध थे....
Comments
Post a Comment