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शिक्षकों स्थिति और मुर्गे की कहानी

 शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल  शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं,  शिक्षक |  अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं।  परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें |  उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और  पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी |         सरकारी शिक्षकों का दायित्व  एक सरकारी शिक्षक को  , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण,  बी एलओ,  सफाई , एमडीएमए ,चुनाव  और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक  जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल  पैर और वजनदार शरीर  अर्...

गुनी नाचे थुन्ही पर फुहरी बड़ेरी पर

लुप्त होती भोजपुरी कहावतें 

आज जब परिनिष्ठित भाषा और  अंग्रेजी के बढते चलन से जरुत है ,आंचलिक और  पारम्परिक शब्दों तथा मंजी कहावतों और मुहावरों के साथ भोजपुरी गाने तथा गीतों  को संतक्षित करने की उसी परम्परा और  चलन को जिंदा रखने हेतु हमारी टीम शुरू कर रही है, पारम्परिक कहावतों को जीवित रखने हेतु एक श्रृंखला एक कहावत रोज ...

आज की कहावत है----

         तस्वीर माध्यम इण्टरनेट सभार

"गुनी नाचे थुन्ही पर ,फुहरी बड़ेरी और" ---

कहावत का शाब्दिक  अर्थ है-

               गुनी अर्थात  गुणवान की नाच थुन्ही (छप्पर या मड़ई या छान्ही के किनारे (ओरियानी) के तरफ लगने वाला छोटा बांस या लकड़ी का सहारा देने वाला टुकड़ा   )पर होती है, जबकि  फुहरी अर्थात गुणहीन का करतब या नाच बड़ेरी (छप्पर के बीच में सबसे ऊपर लगने वाली बांस अथवा लकड़ी की बल्ली )

यहां क्लिक करें

भावार्थ -

        गुणवान अपने गुणों का दिखावा नहीं करता जबकि गुणहीन अपने ओछे करतब और व्यवहार का कूद - कूद कर करता है |
    इसे भी पढ़   -      उ कहां गईल 

वाक्य प्रयोग -

            राघो तनिक काम ढंग से कईल करा आ मनोहर से तुलना न करा तोहार हाल त ई बा की "गुनी नाचे थुन्ही प आ फुहरी बड़ेरी प "


 

Comments

  1. अनूठी पहल परम्पराओं को जीवित रखने हेतु

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  2. सोना के अधिकाई भइल, सियार चलल टांगा गढा़वें।

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