डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
मशहूर विचारक और लेखक चेतन भगत के विचार से हम पूरी तरह से सहमत हैं, आप हमें अवगत कराएं....
आज की युवा पीढ़ी फोन और स्मार्ट फोन की लत में ऐसी पड़ी की धंसती जा रही है, पब जी की तरह की गेम, सोशलमीडिया तथा फोन आधारित विभिन्न बैड मनोरंजन के साधन तथा स्वत: , अकारण, ऐसे ही,कुछ नहीं, बस यूँ ही जैसे शब्दों के साथ फोन पर भिड़े रहना लगभग 4 से पांच घंटे गंवाना क्या यह भारत निर्माण के लक्षण नहीं, इसलिए हमें चेतन भगत के विचारों से सहमत होना होगा....
आप अपने विचार से अवगत कराएं...
Kisi bhi bat ki ati nuksan karegi hi karegi
ReplyDeleteजी सत्य कहा आप ने
Delete1.5 से 2 जीबी डेटा इसीलिए दिया जा रहा है कि आप इन्हीं मुद्दों पर सोचें।
ReplyDeleteयही मुफ्त डेटा हानिकारक भी है.. ,
DeleteAgree
ReplyDeleteProud
DeleteSahamat h ham bhi
ReplyDeleteSir aap aise hi desh Pradesh aur samaj ke muddo ko likhate rahiye
ReplyDeleteजी आप ऐसे प्रोत्साहन प्रेषित करते हैं, इसलिए हम लिखते हैं...
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