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डड़कटवा के विरासत

 डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम  से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में  लगभग हर घर में  पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन  , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में  फंसल  रहेला  , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के  डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन  पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले |       कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी  मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
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स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

डा० भीमराव अंबेडकर और वर्तमान

 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज  बाबा साहब  समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...

सब को ईद मुबारक़

 तुम्हे ईद मुबारक़          खाक -ए वतन की यह अनूठी रीत कामयाब रहेगी , अमन - चैन , मुहब्बत की मिशाल नायाब रहेगी , काशी का नज़ारा , जम जम का वो पानी , आबाद थी , आबाद है,  आबाद कहानी , रहमत के तलबगा़र को उम्मीद मुबारक़ , मुझे चांद की दीद , तुम्हें  ईद मुबारक़ ||               सर्वाधिकार सुरक्षित                 विरंजय सिंह                 31मार्च 2025

पुरुष हूँ मैं

         पुरुष हूँ मैं  कैसे कहूं की हो कर भी नहीं होता हूं मैं, उसे तसल्ली भी देता हूँ,   वहाँ नहीं होकर भी वहीं होता हूं मैं,     आ खों मे दरिया दफ्न है मेरे भी , फफक कर भी नहीं रोता हूं मैं |  वो चैन की नींद सोते रहें ,इसी शौक से , मुझे पता है सो कर भी नहीं सोता हूँ मैं,  दिन भर , रात भर, जीवन भर चलता हूं , पर कैसे कहूं की थक गया हूँ मैं,  न जाने कितनों का हौसला हूँ मैं ||          सर्वाधिकार सुरक्षित                      विरंजय  २१ मार्च २०२५  मीरजापुर

औचक निरीक्षण या अनौपचारिक अथवा पर्यवेक्षण

  खण्ड शिक्षा अधिकारी ने जब दौरा किया  आज अचानक कहूं की औचक कहूं या अनौपचारिक (informal ) कहूं निरीक्षण (inspection ) हुआ हमारे विद्यालय का , नहीं निरीक्षण कहना न्यायसंगत न होगा | हमारे विद्यालय का आज पर्यवेक्षण (Supervision ) हुआ  | हमारे विद्यालय के मुख्य द्वार में ताला बंद करने की परम्परा नहीं  , विद्यालय में अनुशासन और  सजगता के कारण बच्चों का अनचाहा पलायन भी नहीं होता सो विद्यालय का द्वार सामाजिक अंतर्क्रिया हेतु हमेशा खुला रहता है  , आज एक बाईक विद्यालय परिसर  के ठीक मध्य में ठहर गई | * * विकास खण्ड जमालपुर के विद्वान  खण्ड शिक्षा अधिकारी  श्रीमान देवमणि पाण्डेय जी अपनी दैनन्दिनी मुझे हस्तगत करते हुए कक्षा-कक्ष  की ओर बढ़े और सीधे बच्चों से अन्तर्क्रिया (Interaction ) आरम्भ कर दिए  -  सर्वप्रथम दर्जा जानने के बाद,  कक्षा का  न्यूनतम अधिगम स्तर * * आकलन करने लगे , फिर  यादृच्छिक रुप से विद्यार्थी का न्यूनतम अधिगम स्तर आकलित करते और  फिर यथोचित पुनर्बलन प्रदान करते हुए , बच्चों के प्रदर्शन व उपस्थिति स...

को लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र में ऐसे बने लर्निंग कार्नर

 को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र में कैसे खर्च करें Learning  Corner - भारत सरकार (central government ) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल क्रियान्वयन हेतु जो कार्ययोजना प्रस्तुत की उसमें  पूर्व प्राथमिक शिक्षा पर विशेष बल दिया गया  और  देश के को -लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्र चिन्हीत कर उनमें लर्निंग  कॉर्नर स्थापना की स्वर्णिम योजना तैयार की गई | को-लोकेटेड आंगनबाड़ी (Co located  Pre PRIMARY ) देश में ऐसे पूर्व प्राथमिक शिक्षा के केंद्र चाहे उन्हें जिस नाम से पुकारा जाता हो , प्री -प्राईमरी, पूर्व प्राथमिक,  बालवाड़ी , आंगनबाड़ी  प्रथमिक विद्यालय से सम्बद्ध हों , प्री प्राइमरी (आंगनबाड़ी )व प्राथमिक विद्यालय एक ही परिसर में अवस्थित अथवा संचालित हो रहे हों | लर्निंग कार्नर - Learning Corner  बच्चों के अधिगम हेतु गतिविधि व बालविकास आधारित शिक्षण प्रविधि अपनाते हुए 4 लर्निंग कार्नर विकसित करने हैं, जो पूर्व प्राथमिक शिक्षा के आयु वर्ग के बालकों की मनोशारीरिक, संवेगात्मक ,संज्ञानात्मक सामाजिक व मांसपेशियों के सूक्ष्म विकास में  सहायक सामग्री धारि...