शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं, शिक्षक | अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें | उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी | सरकारी शिक्षकों का दायित्व एक सरकारी शिक्षक को , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण, बी एलओ, सफाई , एमडीएमए ,चुनाव और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल पैर और वजनदार शरीर अर्...
दिन के बद्दर रात निबद्दर , बहे पुरवाई झब्बर -झब्बर, कहे घाघ कुछ होनी होई, कुआँ के पानी धोबिन धोई || विज्ञान की दुनिया में हम बहुत आगे निकल आए, पलक झपकते ही सारी सूचनाएं हमारी मुट्ठी में बन्द जादुई यन्त्र जिसे मोबाइल (भ्रमण भाषक) कहते हैं उसी से अंगुली फेरते ही प्राप्त हो जाती हैं | हैलो गूगल आज का तापमान अथवा आज का मौसम (🌍☀⛅☁💧⚡❄ )तो उसमें नीचे लिख कर आएगा इतना बजकर इतना मिनट पर तापमान , बादल ☁का प्रतिशत, बारिश की सम्भावना व हवा का रुख | अब हम सतर्क हो जाते हैं कि अमुक कृषि कार्य अथवा दैनिक कार्य का समय उस तकनीकी भविष्य वाणी के अनुरूप कर लेते हैं | कभी पूर्ण सत्य कभी पूर्ण असत्य तो कभी आंशु सत्य / असत्य होती है वह भविष्य वाणी | परन्तु सोचिए जब विज्ञान इतना आगे नहीं था | घड़ी नहीं थी तब लोग धूप की तीव्रता व छाया के ठहराव को देखकर यह बता सकते थे कि अब शाम होने में कितना समय है | और सारे काम निर्धारित तत्कालीन सारणी के अनुसार ही होते | उस समय के मौसम ज्योतिषी अथवा मौसम विज्ञानी थे | महाकवि घाघ -- महाकवि घाघ किसान थे और समूची भारतीय कृषि मौसम आधारित थी | ...