बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
दिन के बद्दर रात निबद्दर , बहे पुरवाई झब्बर -झब्बर, कहे घाघ कुछ होनी होई, कुआँ के पानी धोबिन धोई || विज्ञान की दुनिया में हम बहुत आगे निकल आए, पलक झपकते ही सारी सूचनाएं हमारी मुट्ठी में बन्द जादुई यन्त्र जिसे मोबाइल (भ्रमण भाषक) कहते हैं उसी से अंगुली फेरते ही प्राप्त हो जाती हैं | हैलो गूगल आज का तापमान अथवा आज का मौसम (🌍☀⛅☁💧⚡❄ )तो उसमें नीचे लिख कर आएगा इतना बजकर इतना मिनट पर तापमान , बादल ☁का प्रतिशत, बारिश की सम्भावना व हवा का रुख | अब हम सतर्क हो जाते हैं कि अमुक कृषि कार्य अथवा दैनिक कार्य का समय उस तकनीकी भविष्य वाणी के अनुरूप कर लेते हैं | कभी पूर्ण सत्य कभी पूर्ण असत्य तो कभी आंशु सत्य / असत्य होती है वह भविष्य वाणी | परन्तु सोचिए जब विज्ञान इतना आगे नहीं था | घड़ी नहीं थी तब लोग धूप की तीव्रता व छाया के ठहराव को देखकर यह बता सकते थे कि अब शाम होने में कितना समय है | और सारे काम निर्धारित तत्कालीन सारणी के अनुसार ही होते | उस समय के मौसम ज्योतिषी अथवा मौसम विज्ञानी थे | महाकवि घाघ -- महाकवि घाघ किसान थे और समूची भारतीय कृषि मौसम आधारित थी | ...