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स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

किसान की आय दोगुनी हुई या दु:ख

 

किसान की आय दोगुनी करती सरकारें-

किसान की हालत  आज भी वैसी की वैसी ही है, वह किससे किससे लड़े उस प्राकृतिक आपदा से कि सिस्टम जनित विपदा से | धान की नर्सरी डालते समय सूखा, कोरोना के कारण धान रोपाई में मजदूरों का अभाव फिर सरकार की कृपा बरसी उर्वरक महंगे, फिर इन्द्र देव की अति कृपा से अति वृष्टि और उसमें सहयोग कर दिया सरकार  

सरकारी विकास-



  सरकार के   विकासशील रवैये ने बिना सिर -पैर के चक रोड   जिसमें से पानी निकास की कोई व्यवस्था न बची, फिर नाला साफ कराने वाले ठीकेदार  कागज में नाला साफ कराकर माल का बन्दर बांट किए कुछ साहब का हिस्सा और कुछ उस लुच्चे ठीकेदार का अब भुगते किसान उसके खेत से अब तक पानी न निकल सका | अब बात आई धान की फसल उम्दा चमाचम  लटकी सुनहरी बालियां   और खेत में घुटने तक लगा पानी किसान के कलेजे को छलनी कर रहा है | अब किसान बदहवासी में भागकर मजदूर के पास जाता तो मजदूर कैसे कटेगी फसल पानी अधिक है, काटेंगे तो पर आधा ले लेंगे, मजदूर का कहना भी गलत नहीं है, वह पानी में घुस कर काट तो लेगा पर रखेगा कहाँ , उसको बाहर लाने के लिए अतिरिक्त श्रम की जरूरत होगी जिसकी लागत बढेगी | अब किसान भागकर तकनीकी के दरबार में गया | लोगों ने बताया कि बगल के गाँव में एक हारवेस्टींग मशीन आई है जो पानी में घुस कर भी फसल काट  देगी किसान को लगा कि अब समस्या हल होती दिख रही है, परन्तु अगले ही क्षण उसका मुंह गिर गया जब मशीन मालिक ने कह कि चार हजार रुपये बिगहा लगेंगे वो भी पांच दिन बाद आप की बारी आएगी | किसान मजबूरी में अग्रिम राशि जमा कर अपना नम्बर पांचवे दिन सुरक्षित कराकर वापस आया | पांचवे दिन ट्रैक्टर ट्राली लेकर खेत पर डंटा  है अगल - बगल के भी किसान जमे हैं कि हमारा भी कट जाएगा | तब तक पता चला कि मशीन जहाँ काट रही थी वहीं रात हो गई अब यहाँ का धान कल कटेगा | अब मजबूर किसान ट्रैक्टर लेकर घर पहुंचा | कल फिर उसी तरह ट्रैक्टर के साथ सारी व्यवस्था ले कर खेत पहुचा, हारवेस्टींग मशीन आई और धान कटा, ट्राली में भरकर घर पहुंचाया गया, फिर उसे अच्छी तरह फैला कर सुखाया जाने लगा, इसी बीच   न्यूनतम  समर्थन मूल्य पर धान बेचने हेतु निर्धारित बेबसाइट पर पंजीकरण भी करा लिया |  रोज फैलाना, रोज बटोरना करते -करते धान तो सूख गया |  तब तक बारिश हो गई और धान की एकत्रित राशि पानी से भीं बरबाद होने लगी | फिर धूप होने पर थोड़ा - थोड़ा करके सुखाया गया |
अब किसान पहुँच गया नजदीकी क्रय केन्द्र पर पंजीकरण रसीद के साथ | तब वहाँ केन्द्र प्रभारी ने ज्ञात कराया कि अभी आप का धान क्रय नहीं किया जा सकता क्योंकि आप ने आप ने धान विक्रय हेतु निर्धारित चरण में से एक चरण पूर्ण नहीं किया गया | टोकन प्राप्त करने की प्रक्रिया |अत: आप उसे पूर्ण कराइये
फिर किसान इस साइबर कैफे उस साइबर कैफे भागता रहा सुबह दस बजे साइट खुलती और एक मिनट में यहाँ किसान की आईडी भी ओपन नहीं होती ओपन होती तो पता चलता हर केन्द्र पर क्रय की पूरी क्षमता भर आवंटन पूर्ण कहीं 10 कुन्तल तो कहीं दो कुन्तल बचा है |

एक साधू देखा दूना करता -

लगातार एक सप्ताह टोकन के लिए ईधर- उधर दौड़ने के पश्चात किसान को होती है ज्ञान की प्राप्ति और बिचौलियों का सहारा लेकर धान दलालों की शर्तों पर बेच कर ठण्डी सांस लेता है | 
अगली रबी की फसल हेतु खेत तैयार नहीं है, अभी गीला है और  समय जनवरी का अन्त अत: किसान किसान अब खाली होकर चैन की वंशी बजाता और सरकारी

इश्तेहार देख कर सरकार की बातें व्यंग्य  लगती | पर क्या करें पूर्व की सरकारों ने भी ठगा, अब ये नये तरीके से दोगुना कर दे आय |
       एक साधू देखा दूना करता..

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