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डा० भीमराव अंबेडकर और वर्तमान

 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज  बाबा साहब  समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...

किसान की आय दोगुनी हुई या दु:ख

 

किसान की आय दोगुनी करती सरकारें-

किसान की हालत  आज भी वैसी की वैसी ही है, वह किससे किससे लड़े उस प्राकृतिक आपदा से कि सिस्टम जनित विपदा से | धान की नर्सरी डालते समय सूखा, कोरोना के कारण धान रोपाई में मजदूरों का अभाव फिर सरकार की कृपा बरसी उर्वरक महंगे, फिर इन्द्र देव की अति कृपा से अति वृष्टि और उसमें सहयोग कर दिया सरकार  

सरकारी विकास-



  सरकार के   विकासशील रवैये ने बिना सिर -पैर के चक रोड   जिसमें से पानी निकास की कोई व्यवस्था न बची, फिर नाला साफ कराने वाले ठीकेदार  कागज में नाला साफ कराकर माल का बन्दर बांट किए कुछ साहब का हिस्सा और कुछ उस लुच्चे ठीकेदार का अब भुगते किसान उसके खेत से अब तक पानी न निकल सका | अब बात आई धान की फसल उम्दा चमाचम  लटकी सुनहरी बालियां   और खेत में घुटने तक लगा पानी किसान के कलेजे को छलनी कर रहा है | अब किसान बदहवासी में भागकर मजदूर के पास जाता तो मजदूर कैसे कटेगी फसल पानी अधिक है, काटेंगे तो पर आधा ले लेंगे, मजदूर का कहना भी गलत नहीं है, वह पानी में घुस कर काट तो लेगा पर रखेगा कहाँ , उसको बाहर लाने के लिए अतिरिक्त श्रम की जरूरत होगी जिसकी लागत बढेगी | अब किसान भागकर तकनीकी के दरबार में गया | लोगों ने बताया कि बगल के गाँव में एक हारवेस्टींग मशीन आई है जो पानी में घुस कर भी फसल काट  देगी किसान को लगा कि अब समस्या हल होती दिख रही है, परन्तु अगले ही क्षण उसका मुंह गिर गया जब मशीन मालिक ने कह कि चार हजार रुपये बिगहा लगेंगे वो भी पांच दिन बाद आप की बारी आएगी | किसान मजबूरी में अग्रिम राशि जमा कर अपना नम्बर पांचवे दिन सुरक्षित कराकर वापस आया | पांचवे दिन ट्रैक्टर ट्राली लेकर खेत पर डंटा  है अगल - बगल के भी किसान जमे हैं कि हमारा भी कट जाएगा | तब तक पता चला कि मशीन जहाँ काट रही थी वहीं रात हो गई अब यहाँ का धान कल कटेगा | अब मजबूर किसान ट्रैक्टर लेकर घर पहुंचा | कल फिर उसी तरह ट्रैक्टर के साथ सारी व्यवस्था ले कर खेत पहुचा, हारवेस्टींग मशीन आई और धान कटा, ट्राली में भरकर घर पहुंचाया गया, फिर उसे अच्छी तरह फैला कर सुखाया जाने लगा, इसी बीच   न्यूनतम  समर्थन मूल्य पर धान बेचने हेतु निर्धारित बेबसाइट पर पंजीकरण भी करा लिया |  रोज फैलाना, रोज बटोरना करते -करते धान तो सूख गया |  तब तक बारिश हो गई और धान की एकत्रित राशि पानी से भीं बरबाद होने लगी | फिर धूप होने पर थोड़ा - थोड़ा करके सुखाया गया |
अब किसान पहुँच गया नजदीकी क्रय केन्द्र पर पंजीकरण रसीद के साथ | तब वहाँ केन्द्र प्रभारी ने ज्ञात कराया कि अभी आप का धान क्रय नहीं किया जा सकता क्योंकि आप ने आप ने धान विक्रय हेतु निर्धारित चरण में से एक चरण पूर्ण नहीं किया गया | टोकन प्राप्त करने की प्रक्रिया |अत: आप उसे पूर्ण कराइये
फिर किसान इस साइबर कैफे उस साइबर कैफे भागता रहा सुबह दस बजे साइट खुलती और एक मिनट में यहाँ किसान की आईडी भी ओपन नहीं होती ओपन होती तो पता चलता हर केन्द्र पर क्रय की पूरी क्षमता भर आवंटन पूर्ण कहीं 10 कुन्तल तो कहीं दो कुन्तल बचा है |

एक साधू देखा दूना करता -

लगातार एक सप्ताह टोकन के लिए ईधर- उधर दौड़ने के पश्चात किसान को होती है ज्ञान की प्राप्ति और बिचौलियों का सहारा लेकर धान दलालों की शर्तों पर बेच कर ठण्डी सांस लेता है | 
अगली रबी की फसल हेतु खेत तैयार नहीं है, अभी गीला है और  समय जनवरी का अन्त अत: किसान किसान अब खाली होकर चैन की वंशी बजाता और सरकारी

इश्तेहार देख कर सरकार की बातें व्यंग्य  लगती | पर क्या करें पूर्व की सरकारों ने भी ठगा, अब ये नये तरीके से दोगुना कर दे आय |
       एक साधू देखा दूना करता..

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