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शिक्षकों स्थिति और मुर्गे की कहानी

 शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल  शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं,  शिक्षक |  अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं।  परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें |  उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और  पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी |         सरकारी शिक्षकों का दायित्व  एक सरकारी शिक्षक को  , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण,  बी एलओ,  सफाई , एमडीएमए ,चुनाव  और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक  जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल  पैर और वजनदार शरीर  अर्...

हवा में महल

 हवा में  महल ( किस्से अकबर-बीरबल के ) एक बार  बादशाह अकबर ने बीरबल से कहा- अकबर -  बीरबल ! बीरबल -  जी जहापनाह | अकबर -  हवा में  महल बनवाओ | बीरबल -  हुजूर कहां सम्भव  है | अकबर -  खबरदार  शाही फरमान की अवहेलना करने पर सर कलम कर दिया  जाएगा |     इतना सुनने के बाद   बीरबल ने मन में  सोचा कि अगर मैं  न मानू तो नाहक मारा जाऊंगा  तो बीरबल ने ,बादशाह हुकूमत की बात स्वीकार करते हुए  कहा -  बीरबल -  हुजूर खर्च  तो बहुत  आएगा  और  महल आसमान में  बनेगा | अकबर -  हां आसमान में बनाओ ,खर्च जितना आए खजाने से मुहैया कराया जाए | बीरबल ने खजाने से धन प्राप्त करते हुए ,पक्षी -पालक को बुलाया और  निर्देशित किया कि प्रशिक्षण हेतु  एक हजार तोते लाए जाए ,उनके  प्रशिक्षण और  देख-रख  में यह धन खर्च किया  जाए  और  उन्हें  ऐसा  प्रशिक्षित किया जाए  कि बादशाह सलामत जैसा व्यक्ति  देखते ही सभी तोते एक सुर में  कहना ...

बेटी का घर कौन सा

पीहू की शादी देवेश से हुई देवेश एक मल्टीनेशनल कम्पनी में साफ्टवेयर इंजीनियर था, परिवार का इकलौता बेटा, इसकी दो बिन ब्याही बहनें, माँ और बाबूजी इतने सदस्यों का परिवार था   देवेश का जो अब पीहू का भी होने जा रहा था!          और भी पढ़े - मेरी गलतफहमी पीहर से जब पहली विदाई होकर पीहू ससुराल आई, गृहप्रवेश के समय ही सासू माँ ने कहा पीहू अब ये तुम्हारा ही घर है, संभालो अपना घर, पीहू खुश हुई और सासू माँ को गले लगाते हुए बोली आप कितनी अच्छी हो माँ, ये कहने में उसकी आवाज में उत्साह साफ नजर आया, पर तुरंत सासू माँ ने टोका धीरे बोल बहू अभी मेहमान है ं घर में, फिर मुहदिखायी की रस्म के साथ विभिन्न रस्मों को पूरा करने के बाद सासू माँ ने पीहू से कहा देखो बहू यह तुम्हारा कमरा, यह कहते हुए माँ ने पीहू का पल्लू ठीक करते हुए कहा यह सिर पर रहना चाहिए सरकना नहीं चाहिए ये हमारे घर का रिवाज है, और हाँ देखो बहू सुबह सात बजे बाबूजी को गरम पानी, साढे़ सात बजे चाय और साढ़े आठ बजे नाश्ता चाहिए, पौने नौ बजे देवेश को आफिस जाना होता है उसको नास्ता और टीफिन चाहिए, फिर दो बजे भोजन ...