शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं, शिक्षक | अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें | उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी | सरकारी शिक्षकों का दायित्व एक सरकारी शिक्षक को , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण, बी एलओ, सफाई , एमडीएमए ,चुनाव और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल पैर और वजनदार शरीर अर्...
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान राजनीति
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर समता के प्रतीक थे , बाबा साहब को भारत रत्न से नवाजा गया |बाबा साहब ने संविधान निर्माताओं की टीम में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया |बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की पत्नी रमा बाई का नाम भी सम्मान से लिया जाता है |
बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर अपने बचपन में बहुत ही यातनाओं से गुजरे, हर जगह अपमानित हुए, क्योंकि इनका जन्म एक महार परिवार में हुआ था | जिसे अछूत माना जाता था|परन्तु डा० भीमराव अम्बेडकर बाबा साहब ने उन विषम परिस्थितियों में घुटने नही टेके लड़ते रहे मजबूर, मजदूर, शोषित, अप वंचित, महिला पिछड़ा व दलित वर्ग के लिए |
अप वंचित वर्गों शिक्षा व समता के लिए बाबा साहब का जीवन समर्पित रहा |
बाबा साहब की देन है कि आज अप वंचित वर्ग विभिन्न संवैधानिक अधिकारों से लाभान्वित हो रहा है परंतु अभिजात्य वर्ग आज भी बाबा साहब के नाम से खुश नहीं रहता | परंतु जिन्होंने बाबा साहब के योगदान को समझा आज भी उन्हें
सम्मान देते और पूजा करते हैं | परंतु क्या बाबा साहब 14 अप्रैल को जयंती मनाने तक सीमित रहेंगे ?
राजनीति और बाबा साहब
वर्तमान राजनीति ने बाबा साहब के नाम को खूब बेचा, बाबा साहब के नाम पर शैक्षिक संस्थान खोले गए, मूर्तियां लगाई गई, चुनाव आने पर बाबा साहब के नाम को मंचों से चिल्ला - चिल्लाकर पुकारा गया | जिस राजनेता ने बाबा साहब को जितना पुकारा वह बाबा साहब के बताए रास्ते को उतना ही झूठ लाया बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने गरीब, मजलूम ,मजदूर, दलित, महिला या यूँ कहूँ अपवंचित वर्ग के उत्थान व उसके शिक्षा के लिए हमेशा चिंतित रहे |
आज की राजनीति में बाबा साहब अधिक प्रासंगिक हैं ,क्योंकि बाबा साहब का सपना था समाज में समानता लाने का | यह समता सामाजिक, शैक्षिक , आर्थिक व राजनैतिक रुप से समान होने की संकल्पना है |
लेकिन स्वतंत्रता के बाद कुछ दिन तो सब सही ढंग से चला अर्थात सरकारों ने प्रयास किया |
परन्तु बाद की सरकरों ने बाबा साहब के सपनों पर कुठाराघात किया |
बाबा साहब द्वारा प्रदत्त वरदान आरक्षण को मनरेगा से तुलना कर डाला तथा उसे समाप्त करने की साजिश करने लगे |
सदन में बहस करते हुए डा० मनोज झा (MP)ने कहा कि बाबा साहब ने जो सपना देखा सरकार ने उसे अमल न करते हुए | बाबा साहब के नाम पर राजनीति की उन्हें मूर्तियों और तस्वीर पर माला तक सीमित कर दिया, उन पर फिल्में बनाई गई | परन्तु उनके सन्देश और सपने से दूर - दूर तक का वास्ता नहीं रखा गया |
जब तक समाज में शैक्षिक, सामाजिक , राजनैतिक व आर्थिक समता न आए तब तक बाबा साहब की जयंती मनाने का कोई मतलब नहीं है |
सुनिए डा० मनोज झा को....
Baba Sahab ko Koti Koti Naman
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