बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
विश्व के मानवीय इतिहास की सबसे शर्मनाक घटना
13 अप्रैल 1919 पंजाब का जालियां वाला बाग हत्याकांड | इस नृशंस हत्या का नेतृत्व कर रहा था | अंग्रेज जनरल डायर | इस हत्याकांड में शहीद होने वाले भारतीयों में सिक्खों और हिन्दुओ की संख्या अधिक थी |अवसर था रौलेट एक्ट का विरोध |
हत्याकांड का कारण
भारतीयों पर होते अत्याचार व बर्बर कानूनों के बढ़ते दबाव से भारतीयों का धैर्य जबाब दे चुका था | अब सभी भारतीय एकजुट होकर जगह - जगह विरोध कर रहे थे |
समय था 13 अप्रैल 1919 का, उस समय सम्पूर्ण देश में रौलेट एक्ट का विरोध चरम पर था |
परन्तु इसे दुर्भाग्य ही कहा जाए तो ठीक होगा | रविवार का दिन था पंजाब की एक बेहद ही खूबसूरत जगह जालियां वाला बाग में बैसाखी का मेला लगा था | सभी स्थानीय भारतीय उस मेले में सम्मिलित हुए | जालियां वाला बाग चहारदीवारी से घिरा एक शानदार बाग था, जो लगभग 26000 स्क्वायर फिट में फैला है | उस बाग में एक ही प्रवेश और निकास द्वार था | भारतीयों के रौलेट एक्ट के विरोध को देखकर अंग्रेजी शासन की चूलें हिल गई थी | इसलिए उस उत्सव में एक साथ बड़ी संख्या में सम्मिलित भारतीयों के उपर जनरल डायर ने गोली चलवा दी | वहाँ की भौतिक स्थिति बाग में मेला का होना और बाग में एक ही प्रवेश और निकास द्वार होने ने उस बर्बर कार्वाही को बर्रबरतम बना दिया | बाग की मिट्टी खून से सराबोर हो गई, लाशों के ऊपर लाशें पड़ी | शायद यह विश्व का सबसे नृशंस और अमानवीय हत्याकांड था | इसके लिए मानवता अंग्रेजों को माफ नहीं करेगी |
जालियां वाला बाग
आज के सामय में जब हम जालियां वाला बाग को देखेंगे तो आज भी वहाँ सुन्दर सा बाग है | हम तो उसकी सुन्दरता देख रहे होते हैं पर हम यह नहीं भूलते कि यह शहिदों के पावन लहू से सींचा गया है | हाँ उस बाग की पवित्र मिट्टी को आज भी भारतीय पर्यटक माथे पे लगाना नहीं भूलते |
शहीदों के लहू को कोटि- कोटि नमन्
Jaliya wala bagh
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