गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर Ravindra nath taigor
कवि गुरु कहूँ कि गुरूदेव कहूँ अथवा लेखक कहूँ या राष्ट्रगान के रचयिता कहूँ, जी हाँ अब तो आप लोग समझ गये होंगे की मैं गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर(Ravindra nath taigor) की बात कर रहा हूँ जिनकी रचनाएँ दो राष्ट्रों (जनगणमन - भारत, अमार सोनार बांग्ला - बांग्लादेश) का राष्ट्रगान National anthem होने का गौरव पाती हैं | उनकी लेखनी की लौ (गीतांजलि)Gitanjali को 1913 में साहित्य के नोबेल पुरस्कार ( Nobel Prizes) से सम्मानित किया गया |
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर का गाजीपुर प्रवास Ravindra nath taigor Ghazipur
रवीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विवश हो गये गाजीपुर (Ghazipur)आने के लिए पर क्या गाजीपुर ने उन्हें उचित स्थान दिया ?
समय 1888 उम्र लगभग 37 वर्ष नाम रविन्द्रनाथ टैगोर लेखनी पहचान , अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ चल दिये गाजीपुर | कारण था गाजीपुर की भौगोलिक स्थिति, प्राकृतिक आकर्षण और सम्बन्धी गगन चन्द्र राय का गाजीपुर निवास |
रविन्द्रनाथ टैगोर ( Ravindra nath taigor ) अपने भारत भ्रमण के क्रम में आकर्षित हो गये गाजीपुर के गुलाब के बागीचे से खींच लाई गुलाब व गाजीपुर की मिट्टी की सोंधी महक | डॉ० विवेकी राय ( Dr Viveki rai)लिखते हैं कि , रविन्द्रनाथ टैगोर अपनी नवविवाहिता पत्नी के साथ विवाह के बाद अपने प्रवास हेतु गाजीपुर जैसे गुलाब के बागीचे का चयन किया |
वहाँ हावड़ा से ट्रेन में सवार हुए और ट्रेन के अनुभव से रुबरु होते हुए पहुँच गए गाजीपुर के दिलदार नगर रेलवे स्टेशन | वहाँ से ट्रेन बदल कर ताड़ी घाट रेलवे स्टेशन पहुंचे (अब विकास पुरुष मनोज सिन्हा Manoj shinha(रेल राज्य मंत्री) के विशेष प्रयास से ताड़ी घाट रेलवे स्टेशन को गाजीपुर शहर रेलवे स्टेशन से जोड़ दिया गया, गंगा नदी पर रेलसहसड़क पुल बनाकर) वहाँ से गंगा नदी में नाव द्वारा स्टीमर घाट और फिर वहाँ से सपत्नीक घोड़ा गाड़ी से गोरा बाजार ( Gorabazar ) | जहाँ उनके रिश्तेदार गगन चन्द्र राय का निवास था | गगन चन्द्र राय अफीम फैक्ट्री में अधिकारी के पद पर कार्यरत् थे | अफीम फैक्ट्री जो भारत की इकलौती Government Opeiom and alkaloids Factory "सरकारी अफीम एवं क्षारोद कारखाना" ( ओपियम फैक्ट्री) के रूप में प्रतिष्ठित थी |
गगन चन्द्र राय जी बंगाल के ही थे परन्तु अफीम फैक्ट्री में अधिकारी पद पर आसीन होने के कारण उन्हें गाजीपुर ही रहना पड़ा था |
गाजीपुर में आवास का प्रबंध ghazipur Gorabazar
गगन चन्द्र राय जी गोरा बाजार में आवास बनाकर रहते थे | आवास का आशय बड़ा सा परिसर खपरैल की छत , मोटी और ईंट की दीवार वाला आलीशान बंगला | जहाँ से मां गंगा का उन्मुक्त मैदान कुछ ही मील पर दिखाई देता था बीच में खाली पडी़ जमीन को देखकर गुरुदेव ने कहा था कि अगर यह बंगाल की जमीन होती तो जंगल उग आया होता | सड़क के उत्तर तरफ गगन चन्द्र राय जी का बंगला और दक्षिण तरफ मशहूर गणितज्ञ डा गनेशी दत्त Dr Ganeshi datta जी का आलीशान बंगला था | बाकी गंगा तक उन्मुक्त आकाश, निर्जन था | अब तो रिवर बैंक कलोनी ने गंगा के किनारे अतिक्रमण कर रखा है ||
मैं सन् दो हजार सात में उस बंगले को देखा तब उस बंगले की स्थित अब कुछ ठीक नहीं थी | खण्डहर से पता चलता है कि हवेली कितनी बुलंद थी | गगन चन्द्र राय जी का बंगला कालांतर में " घोषाल साहब " ( Ghoshaal ) के बंगले के नाम से अंकित हुआ | अब तो नगरीकरण के दौर में पत्थर की इमारतें बनती गयीं और पहुँच गयी घोषाल साहब के बंगले के गिरेबान तक | उस परिसर की जमीन भी विक्रय होना शुरू हो गई है |
रवीन्द्रपुरी Ravindra puri
परिसर के पश्चिम तरफ उन्मुक्त फैली नजूल ( सरकारी) की जमीन है | क्षमा चाहूंगा अब वो जमीन है नहीं थी हो गई | राजस्व विभाग और जिला प्रशासन की मिलीभगत से अवैध निर्माण करके वैध ठहराने की प्रक्रिया जोरो पर है | इतना प्रपंच इसलिए कहना पड़ा क्योंकि युवा हृदय सम्राट स्वामी विवेकानंद और गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर के गाजीपुर प्रवास की यादों को संरक्षित करने हेतु लगभग 10 × 8 फीट का स्मारक स्थान संरक्षित किया गया और आज वह भी उपेक्षित है | सम्पूर्ण सरकारी भूमि खाली थी | परन्तु अतिक्रमण जो कराना था | इसलिए एक शानदार स्मारक नहीं बन पाया |
हाँ एक काम अच्छा हुआ एक मुहल्ले का नाम रविन्द्रपुरी कर दिया गया और सौभाग्य से स्नातकोत्तर महाविद्यालय गाजीपुर ( PG College Ghazipur )उसी मोहल्ले में स्थित है |
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गाजीपुर के गुलाब का कांटा लार्ड कार्नवालिस का मकबरा
गाजीपुर प्रवास में गुरुदेव की रचनाएँ -
गुरुदेव लगभग सात माह तक गाजीपुर प्रवास किए जिसमें अपनी एक रचना मानसी ( maanasi ) जो एक काव्य संग्रह है तथा नौका डूबी ( Naukadubi ) जो एक उपन्यास है इसके अधिकांश पात्र गाजीपुर और उत्तर प्रदेश के ही हैं |
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