Skip to main content

डा० भीमराव अंबेडकर और वर्तमान

 बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज  बाबा साहब  समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में खूब चला धनबल वीजेपी का दबदबा

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में खूब चला धनबल वीजेपी का दबदबा



आइये जाने कौन बैठा प्रथम नागरिक की कुर्सी पर... 

प्रदेश के 75 जिलों में जिन 22 जिलों में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं, उनमें 21 भाजपा के जिला पंचायत अध्यक्ष हैं। इटावा में समाजवादी पार्टी ने अपना गढ़ बचाने में सफलता प्राप्त की है। 29 जून को नाम वापसी की अवधि गुजरते ही सभी के चुने जाने की घोषणा कर दी गई। निर्विरोध चुने गए अध्यक्षों में जहां 21 भाजपा के हैं वहीं एक मात्र इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी ही सपा के हाथ लगी है।

1- मैनपुरी: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र मैनपुरी में भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता। यहां पर भाजपा की अर्चना भदौरिया जिला पंचायत अध्यक्ष बनी हैं।

2- रायबरेली: कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में भाजपा प्रत्याशी रंजना चौधरी ने जीत दर्ज की है। रंजना ने 30 मत पाकर कांग्रेस की आरती सिंह को हराया है। कांग्रेस प्रत्याशी आरती सिंह को 22 मत मिले हैं।

3- रामपुर : रामपुर में आजम खान का किला भी ध्वस्त हो गया है। यहां भाजपा के ख्यालीराम लोधी जिला पंचायत अध्यक्ष बने। लोध ने को 19 वोट मिले, जबकि सपा प्रत्याशी नसरीन जहां को 13 वोट मिले। यहां पर नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने प्रशासन पर चुनाव में धांधली कराने का आरोप लगाते हुए आंबेडकर पार्क के सामने सपाइयों के साथ धरना शुरू किया।

4- लखनऊ : लखनऊ में भाजपा की आरती जिला पंचायत अध्यक्ष बनी हैं। आरती रावत ने मतदान के बाद यहां पर समाजवादी पार्टी की विजयलक्ष्मी को तीन वोट से हराया। आरती को 14 और विजय लक्ष्मी को 11 वोट मिले। यहां पर जिला पंचायत के कुल 25 वोट थे। समाजवादी पार्टी ने चुनाव में गड़बड़ी का आरोप लगाया है।

5- अम्बेडकरनगर : भाजपा के श्याम सुंदर उर्फ साधू वर्मा ने बसपा के बड़े गढ़ अम्बेडकरनगर में 30 वोट हासिल कर जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का गौरव पाया। उनके प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी के अजित यादव को दस वोट मिले। एक वोट खारिज किया गया। यहां पर कुल 41 जिला पंचायत सदस्य हैं।

6- गाजीपुर : गाजीपुर में नामांकन के दिन भाजपा में शामिल होने वाली सपना सिंह ने 27 मत से चुनाव जीता। यहां से जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं सपना सिंह ने समाजवादी पार्टी की कुसुमलता को शिकस्त दी। कुसुमलता को 20 वोट मिले हैं।

7- मीरजापुर : भारतीय जनता पार्टी के राजू कन्नौजिया ने तमाम आरोपों के बीच 40 मत के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष बनने का गौरव पाया। उनके खिलाफ मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी आशा देवी को सिर्फ चार वोट ही मिले।

राजू कन्नौजिया ग्राम पंचायत गोमती, जमालपुर मीरजापुर के निवासी हैं|


8- मुरादाबाद: प्रदेश के पंचायत राज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह के क्षेत्र मुरादाबाद में भाजपा की डा. शैफाली सिंह ने बाजी मारी। अमरोहा में भाजपा से ललित तंवर पहले ही निॢवरोध निर्वाचित हो चुके हैं।

9- उन्नाव : अंतिम समय पर टिकट मिलने के बाद भी काफी मेहनत करने वाली शकुन सिंह उन्नाव से जिला पंचायत अध्यक्ष बनी हैं। उन्होंने भाजपा के बाजी अरुण को नौ वोट से हराया है। शकुन ने शनिवार को 28 वोट पाकर अध्यक्ष पद हासिल किया। वहीं, अरुण को 19 वोट प्राप्त हुए। एक वोट सपा की मालती रावत को मिला जबकि तीन वोट अनाधिकृत हो गए।

10- अलीगढ़ : ताला नगरी अलीगढ़ से भाजपा प्रत्याशी श्रीमती विजय सिंह ने 30 वोट से जीत दर्ज की। उनको 38 वोट मिले, जबकि सपा-रालोद गठबंधन प्रत्याशी अर्चना यादव आठ वोट मिले। श्रीमती विजय सिंह पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे व एटा सांसद राजवीर सिंह राजू भैया की समधन हैं। अर्चना यादव बंदायू के पूर्व सांसद व अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव की बहन हैं।

11- बरेली: भाजपा की रश्मि पटेल को बरेली में टक्कर नहीं मिली। भाजपा की रश्मि पटेल ने 40 वोट पाकर जीत दर्ज की। उन्होंने समाजवादी पार्टी की विनीता गंगवार को हराया। विनीता को 19 वोट मिले। यहां पर सपा के 26 सदस्य थे, मगर वोट विनीता को 19 वोट मिले। एक मत निरस्त हुआ।

12- बदायूं : समाजवादी पार्टी के गढ़ बदायूं में भाजपा की वर्षा यादव ने सपा की सुनीता शाक्य को पांच वोट से हराया। भाजपा की वर्षा यादव को 28 और सपा की सुनीता शाक्य को 23 मत मिले।

13- सम्भल : भाजपा प्रत्याशी डा. अनामिका यादव सम्भल से जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गई है। समाजवादी पार्टी के पुरजोर विरोध व तनातनी के बीच हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी डा. अनामिका यादव ने विजय हासिल कर ली। उन्हेंं 22 वोट मिले जबकि सपा प्रत्याशी प्रिया उर्फ प्रीती यादव को 13 मत मिले।

14- चंदौली : समाजवादी पार्टी से सांसद रहे रामकिशुन यादव का शुक्रवार रात को जिला पंचायत सदस्यों के चरणों पर गिरने का भी चंदौली में असर नहीं हुआ। यहां पर भाजपा उम्मीदवार दीनानाथ शर्मा ने 30 वोट पाकर जीत दर्ज की। रामकिशुन के भतीजे सपा प्रत्याशी तेजनारायण यादव को मात्र पांच वोट मिले। यहां पर पिछले 24 वर्ष में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा की यह पहली जीत है।

15- महोबा: भाजपा के जेपी अनुरागी सिर्फ दस वोट पाने के बाद भी महोबा के जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। भाजपा के जेपी अनुरागी को दस और सपा के मृत्युंजय को चार वोट मिले है।

16- अमेठी: केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी का उनके संसदीय क्षेत्र अमेठी में जादू चल गया। यहां भाजपा के राजेश अग्रहरि उर्फ राजेश मसाला ने 36 सदस्यों वाली जिला पंचायत में 31 मत अपने खाते में डाले। समाजवादी पार्टी की शीलम सिंह को मात्र चार मतों से ही संतोष करना पड़ा। एक मत रद हो गया है।

17- औरैया : भाजपा के कमल दोहरे ने औरैया में कमल खिला दिया है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद में कमल दोहरे ने जीत दर्ज की। कमल दोहरे को 13 और सपा प्रत्याशी रवि त्यागी को नौ वोट मिले।

18- सीतापुर: भाजपा ने सीतापुर में भी कमाल दिखाया है। यहां जिला पंचायत चुनाव में भाजपा की श्रद्धा सागर गुप्ता जीतीं हैं। उनको 56 वोट मिले जबकि समाजवादी पार्टी की अनिता राजवंशी को 23 वोट प्र संतोष करना पड़ा।

19- सिद्धार्थनगर : भाजपा की शीतल सिंह ने यहां पर 35 वोट की बड़ी जीत दर्ज की है। भाजपा की शीतल सिंह को 40 और समाजवादी पार्टी की पूजा यादव को पांच वोट मिले हैं।

20- बिजनौर : भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी साकेनद्र सिंह ने बिजनौर में जिला पंचायत के चुनाव में बड़ी सफलता हासिल की। साकेन्द्र ने सपा समॢथत चरनजीत कौर को हराया। साकेन्द्र सिंह को 30 वोट मिले हैं।

21- हाथरस : हाथरस में कद्दावर नेता रामवीर उपाध्याय का जादू चल गया है। यहां से उनकी पूर्व सांसद पत्नी सीमा उपाध्याय ने जीत दर्ज की है। सीमा उपाध्याय को 24 में से 13 वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी व रालोद प्रत्याशी शशि चौधरी को 11 वोट मिले।

22- हरदोई: हरदोई में नरेश अग्रवाल का जादू चला है। जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव की मतगणना में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार प्रेमावती ने समाजवादी पार्टी की मुन्नी देवी गौतम को 59 मत से हराया। 72 सदस्यों वाली जिला पंचायत में 71 मत पड़े। भाजपा की प्रेमावती को 65 मत और सपा की मुन्नी देवी गौतम को छह वोट मिले।

23- कानपुर शहर: कानपुर शहर में पूर्व कैबिनेट मंत्री कमला रानी वरुण की बेटी भाजपा प्रत्याशी स्वप्निल वरुण ने 20 वोट से जीत दर्ज की है। भाजपा की स्वप्निल को 25 मिले। समाजवादी पार्टी के राजू दिवाकर को पांच मत मिले और 2 वोट अवैध हो गए।

24- कानपुर देहात: कानपुर देहात में भाजपा की नीरज रानी जिला पंचायत अध्यक्ष बनी हैं। भाजपा समॢथत निर्दलीय प्रत्याशी नीरज रानी ने सपा प्रत्याशी रामसिंह यादव को हराया। नीरज रानी को 32 में से 26 व रामसिंह यादव को पांच वोट मिले। यहां पर एक जिला पंचायत सदस्य ने मतदान नहीं किया। विजयी नीरज रानी सांसद देवेंद्र सिंह भोले के भाई राजेंद्र सिंह की पत्नी हैं। लगातार दो बार से सपा का जिला पंचायत पर कब्जा था लेकिन इस बार सपा को यह सीट गंवानी पड़ी है।

25- शामली: भाजपा की प्रत्याशी को शामली में जीत दर्ज करने के लिए कड़ा संघर्ष करना। उनको कुल कुल दस वोट मिला जबकि रालोद-सपा गठबंधन प्रत्याशी अंजलि को नौ वोट मिली। अंजलि सिर्फ एक वोट से जिला पंचायत अध्यक्ष बनने से चूक गईं। मधु गुर्जर के जीत के बाद कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा व अन्य नेताओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर बधाई दी।

26- मुजफ्फरनगर : भाजपा ने मुजफ्फरनगर में बम्पर वोट से जीत दर्ज की। भाजपा के डा. वीरपाल निर्वाल को 30 मिले। वहीं विपक्ष के सत्येंद्र बालियान जो केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के तेहरे भाई हैं, उनको सिर्फ चार वोट मिले। नौ जिला पंचायत सदस्यों ने मत प्रयोग ही नहीं किया। वोटिंग के दौरान ही सत्येंद्र बालियान ने भाजपा पर चुनाव धांधली के आरोप लगाया था। इसके अलावा यहां भाकियू रालोद के कार्यकर्ताओं ने बैरिकैडिंग तोडऩे का प्रयास किया था।

27- अयोध्या: अयोध्या में भाजपा की प्रत्याशी रोली सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष बनी । रोली सिंह को 30 वोट मिला, जबकि सपा को केवल 10 वोट। सपा के सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की । सपा सदस्यों ने भाजपा को वोट दिया।

28- बाराबंकी: बाराबंकी जिला पंचायत में पहली बार कमल खिला। राजरानी रावत अध्यक्ष बनीं । निंदूरा चतुर्थ से जिला पंचायत सदस्य राजरानी रावत को 48 और सपा की नेहा आनंद को आठ मत मिले। एक मत अवैध घोषित हुआ। सपा के सदस्यों ने की क्रास वोटिंग, सपा के 15 सदस्य चुने गए थे।

29- लखीमपुर: लखीमपुर में भाजपा प्रत्याशी ओमप्रकाश भार्गव को को कुल 38 वोट मिले। सपा प्रत्याशी को 31 वोट मिले। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी ओमप्रकाश भार्गव को विजेता होने के बाद डीएम डॉ अरविंद कुमार चौरसिया ने प्रमाण पत्र द‍िया।

30- आजमगढ़ : समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ में उनकी नाक बच गई। यहां पर पूर्व मंत्री व सदर विधायक दुर्गा प्रसाद यादव के पुत्र पूर्व ब्लाक प्रमुख विजय यादव ने 84 में से 79 मत पाकर जीत दर्ज की। उनके प्रतिद्वंद्वी भाजपा के संजय निषाद को मात्र पांच मत मिले।

31- बलिया : बसपा के समर्थन से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने वाले पूर्व मंत्री अम्बिका चौधरी के बेटे ने बलिया से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में जीत दर्ज की। आनंद चौधरी ने 33 पाकर दो मंत्रियों वाले जिले में भाजपा प्रत्याशी को हराया। भाजपा प्रत्याशी सुप्रिया चौधरी को 24 वोट ही मिले।

32- बागपत : भाजपा में जाने के बाद फिर राष्ट्रीय लोकदल में वापसी करने वाली ममता किशोर ने बागपत में भाजपा की प्रत्याशी को सात वोट से हरा दिया। ममता किशोर को 12 और भाजपा की बबली देवी को सात वोट मिले। यहां एक वोट निरस्त हो गया। नामांकन वापसी के घमासान के बाद यह सीट सबसे अधिक संवेदनशील मानी जा रही थी।

33- प्रतापगढ़ : कुंडा से लगातार 25 वर्ष से निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह ने प्रतापगढ़ में अपना जलवा दिखा दिया। उनकी पार्टी जनसत्ता दल को कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष का समर्थन था। उनकी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक की प्रत्याशी माधुरी पटेल ने 40 मत पाकर जीत दर्ज की। जिला पंचायत अध्यक्ष की महिला आरक्षित सीट के लिए कुल 57 मत पडऩे थे, इसमें से 51 मत पड़े। जनसत्ता दल लोकतांत्रिक प्रत्याशी माधुरी पटेल को 40 मत मिले। सपा प्रत्याशी अमरावती देवी को छह और भाजपा प्रत्याशी क्षमा सिंह को तीन मत मिले। इसके अलावा दो मत अवैध घोषित कर दिए गए।

53 जिलों में कुल 116 उम्मीदवार

जिला पंचायत अध्यक्ष की 53 जिलों में कुल 116 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें 46 जिलों में दो-दो उम्मीदवार होने के कारण इनके बीच सीधा मुकाबला था। इनमें भी अधिकांश में भाजपा व समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी आमने-सामने थे। चार सीटों पर त्रिकोणीय चुनाव था जबकि तीन सीटें ऐसी थीं जिनमें चार-चार उम्मीदवार चुनाव मैदान डटे थे। चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी तथा समाजवादी पार्टी के बीच चल रही रस्साकशी अपने चरम पर पहुंची थी।

इन जिलों में चुनाव

मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, हापुड़, बिजनौर, रामपुर, संभल, बरेली, बदायूं, अलीगढ़, हाथरस, एटा, कासगंज, मथुरा, फीरोजाबाद, मैनपुरी, कानपुर नगर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, औरैया, कानपुर नगर, कानपुर देहात, जालौन, महोबा, हमीरपुर, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रयागराज, प्रतापगढ़, रायबरेली, उन्नाव, हरदोई, लखनऊ, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, अमेठी, बाराबंकी, सुलतानपुर, अंबेडकर नगर, अयोध्या, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, आजमगढ़, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर, भदोही, मीरजापुर व सोनभद्र।

18 जिलों में पहले ही एक-एक नामांकन

राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि पीलीभीत, शाहजहांपुर, सहारनपुर व बहराइच के एक-एक प्रत्याशी द्वारा नाम वापस लेने से इन जिलों में एक- एक प्रत्याशी थे। इन चारों जिलों के अध्यक्ष निॢवरोध चुन लिए गए हैं। 18 जिलों में पहले ही एक-एक नामांकन हुआ था। ऐसे में नाम वापसी की समय सीमा बीतने के बाद सभी संबंधित जिलों के अध्यक्ष भी निॢवरोध निर्वाचित घोषित थे। इनमें मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, बुलंदशहर, अमरोहा, मुरादाबाद, आगरा, इटावा, ललितपुर, झांसी, बांदा, चित्रकूट, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, गोरखपुर, मऊ व वाराणसी थे।

 

Comments

Popular posts from this blog

इसे साहस कहूँ या बद्तमीजी

इसे साहस कहूँ या     उस समय हम लोग विज्ञान स्नातक (B.sc.) के प्रथम वर्ष में थे, बड़ा उत्साह था ! लगता था कि हम भी अब बड़े हो गए हैं ! हमारा महाविद्यालय जिला मुख्यालय पर था और जिला मुख्यालय हमारे घर से 45 किलोमीटर दूर!  जिन्दगी में दूसरी बार ट्रेन से सफर करने का अवसर मिला था और स्वतंत्र रूप से पहली बार  | पढने में मजा इस बात का था कि हम विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी थे, तुलना में कला वर्ग के विद्यार्थियों से श्रेष्ठ माने जाते थे, इस बात का हमें गर्व रहता था! शेष हमारे सभी मित्र कला वर्ग के थे ,हम उन सब में श्रेष्ठ माने जाते थे परन्तु हमारी दिनचर्या और हरकतें उन से जुदा न थीं! ट्रेन में सफर का सपना भी पूरा हो रहा था, इस बात का खुमार तो कई दिनों तक चढ़ा रहा! उसमें सबसे बुरी बात परन्तु उन दिनों गर्व की बात थी बिना टिकट सफर करना   | रोज का काम था सुबह नौ बजे घर से निकलना तीन किलोमीटर दूर अवस्थित रेलवे स्टेशन से 09.25 की ट्रेन पौने दस बजे तक पकड़ना और लगभग 10.45 बजे तक जिला मुख्यालय रेलवे स्टेशन पहुँच जाना पुनः वहाँ से पैदल चार किलोमीटर महाविद्यालय पहुंचना! मतल...

उ कहाँ गइल

!!उ कहाँ गइल!!  रारा रैया कहाँ गइल,  हउ देशी गैया कहाँ गइल,  चकवा - चकइया कहाँ गइल,         ओका - बोका कहाँ गइल,        उ तीन तड़ोका कहाँ गइल चिक्का  , खोखो कहाँ गइल,   हउ गुल्ली डण्डा कहाँ गइल,  उ नरकट- कण्डा कहाँ गइल,           गुच्ची- गच्चा कहाँ गइल,           छुपा - छुपाई कहाँ गइल,   मइया- माई  कहाँ गइल,  धुधुका , गुल्लक कहाँ गइल,  मिलल, भेंटाइल  कहाँ गइल,       कान्ह - भेड़इया कहाँ गइल,       ओल्हापाती कहाँ गइल,  घुघुआ माना कहाँ  गइल,  उ चंदा मामा कहाँ  गइल,      पटरी क चुमउवल कहाँ गइल,      दुधिया क बोलउल कहाँ गइल,   गदहा चढ़वइया कहाँ गइल,   उ घोड़ कुदइया कहाँ गइल!!                  Copy@viranjy

काशी से स्वर्ग द्वार बनवासी भाग ३

                     का शी से स्वर्ग द्वार बनवासी तक भाग ३ अब हम लोग वहाँ की आबोहवा को अच्छी तरह समझने लगे थे नगरनार जंगल को विस्थापित कर स्वयं को पुष्पित - पल्लवित कर रहा था बड़ी - बड़ी चिमनियां साहब लोग के बंगले और आवास तथा उसमें सुसज्जित क्यारियों को बहुत सलीके से सजाया गया था परन्तु जो अप्रतीम छटा बिन बोइ ,बिन सज्जित जंगली झाड़ियों में दिखाई दे रही थी वो कहीं नहीं थी| साल और सागौन के बहुवर्षीय युवा, किशोर व बच्चे वृक्ष एक कतार में खड़े थे मानो अनुशासित हो सलामी की प्रतीक्षा में हों... इमली, पलाश, जंगली बेर , झरबेरी और भी बहुत अपरिचित वनस्पतियाँ स्वतंत्र, स्वच्छन्द मुदित - मुद्रा में खड़ी झूम रहीं थी | हमने उनका दरश - परश करते हुए अगली सुबह की यात्रा का प्रस्ताव मेजबान महोदय के सामने रखा | मेजबान महोदय ने प्रत्युत्तर में तपाक से एक सुना - सुना सा परन्तु अपरिचित नाम सुझाया मानो मुंह में लिए बैठे हों.. " गुप्तेश्वर धाम " | नाम से तो ईश्वर का घर जैसा नाम लगा हम लोगों ने पूछा कुल दूरी कितनी होगी हम लोगों के ठहराव स्थल से तो ...