शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं, शिक्षक | अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें | उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी | सरकारी शिक्षकों का दायित्व एक सरकारी शिक्षक को , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण, बी एलओ, सफाई , एमडीएमए ,चुनाव और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल पैर और वजनदार शरीर अर्...
किसान बिल जो किसान विरोधी है ,उसको वापस लेने के लिए सम्पूर्ण देश में आन्दोलन किए जा रहे हैं, उन आन्दोलनों का नेतृत्व किसान कर रहे हैं, कुछ जगह नेता कुछ जगह सामाजिक कार्यकर्ता अब बात यह है कि यह आन्दोलन जायज तो है परन्तु किसान अपने हक को अभी तक जान नहीं पाया है, और जो जान गया है अपने स्तर से छटपटा रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष अपने स्तर गुमराह करने करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता! जिसके कारण किसान आन्दोलन की क्रांति फुटकर में अर्थात छिटपुट हो रही है जो अपनी प्रकृति तथा सत्ता पक्ष की दमनकारी नीति व बिल की सट्टेबाजी जिद और विपक्ष की कमजोरी रणनीति के कारण दम तोड़ती नज़र आ रही है,
सबसे सशक्त आवाज पंजाब और हरियाणा किसानों की है, उसमें सामाजिक कार्यकर्ता व मूवमेंट तथा सिद्धांत आधारित राजनैतिक दल के संस्थापक माननीय योगेन्द्र यादव जी सबसे मुखर हैं, और प्रतिदिन सोशल साइट्स के सभी संस्करणों पर आकर किसानों को जागरूक करना तथा प्रतिदिन सभाओं में शरीक़ होना बेहद संघर्ष पूर्ण है!
आज उनको हरियाणा पुलिस ने हिरासत में ले लिया जब वे किसानों के साथ हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को घेरने का प्रयास कर रहे थे!
उनकी गिरफ्तारी अत्यंत शर्मनाक व निन्दनीय है!
परन्तु इस आन्दोलन को सफल करने के लिए सभी किसान संगठनों को एक साथ एक मंच पर आना होगा, क्योंकि प्रखर समाजवादी चिंतक डा० राममनोहर लोहिया ने कहा था " क्रांति टुकड़ो से नही बल्कि सामूहिक एकता से ही किया जा सकता है"....
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