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स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

चल अकेला योगेन्द्र अन्नदाता के तारनहार..

किसान बिल जो  किसान विरोधी है ,उसको वापस लेने के लिए सम्पूर्ण देश में आन्दोलन किए जा रहे हैं, उन आन्दोलनों का नेतृत्व किसान कर रहे हैं, कुछ जगह नेता कुछ जगह सामाजिक कार्यकर्ता अब बात यह है कि यह आन्दोलन जायज तो है परन्तु किसान अपने हक को अभी तक जान नहीं पाया है, और जो जान गया है अपने स्तर से छटपटा रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष  अपने स्तर गुमराह करने करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता! जिसके कारण  किसान आन्दोलन की क्रांति फुटकर में अर्थात छिटपुट हो रही है जो अपनी प्रकृति तथा सत्ता पक्ष की दमनकारी नीति व बिल की सट्टेबाजी जिद और विपक्ष की कमजोरी रणनीति के कारण दम तोड़ती नज़र आ रही है, 
सबसे सशक्त आवाज पंजाब और हरियाणा किसानों की है, उसमें सामाजिक कार्यकर्ता व मूवमेंट तथा सिद्धांत आधारित राजनैतिक दल के संस्थापक माननीय योगेन्द्र यादव जी सबसे मुखर हैं, और प्रतिदिन सोशल साइट्स के सभी संस्करणों पर आकर किसानों को जागरूक करना तथा प्रतिदिन सभाओं में शरीक़ होना बेहद संघर्ष पूर्ण है! 
आज उनको हरियाणा पुलिस ने हिरासत में ले लिया जब वे किसानों के साथ हरियाणा  के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को घेरने का प्रयास कर रहे थे! 
उनकी गिरफ्तारी अत्यंत शर्मनाक व निन्दनीय है! 
परन्तु  इस आन्दोलन को सफल करने के लिए सभी किसान संगठनों को एक साथ एक मंच पर आना होगा, क्योंकि  प्रखर समाजवादी चिंतक डा० राममनोहर लोहिया ने कहा था " क्रांति टुकड़ो से नही बल्कि सामूहिक एकता से ही किया जा सकता है".... 


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इसे साहस कहूँ या     उस समय हम लोग विज्ञान स्नातक (B.sc.) के प्रथम वर्ष में थे, बड़ा उत्साह था ! लगता था कि हम भी अब बड़े हो गए हैं ! हमारा महाविद्यालय जिला मुख्यालय पर था और जिला मुख्यालय हमारे घर से 45 किलोमीटर दूर!  जिन्दगी में दूसरी बार ट्रेन से सफर करने का अवसर मिला था और स्वतंत्र रूप से पहली बार  | पढने में मजा इस बात का था कि हम विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी थे, तुलना में कला वर्ग के विद्यार्थियों से श्रेष्ठ माने जाते थे, इस बात का हमें गर्व रहता था! शेष हमारे सभी मित्र कला वर्ग के थे ,हम उन सब में श्रेष्ठ माने जाते थे परन्तु हमारी दिनचर्या और हरकतें उन से जुदा न थीं! ट्रेन में सफर का सपना भी पूरा हो रहा था, इस बात का खुमार तो कई दिनों तक चढ़ा रहा! उसमें सबसे बुरी बात परन्तु उन दिनों गर्व की बात थी बिना टिकट सफर करना   | रोज का काम था सुबह नौ बजे घर से निकलना तीन किलोमीटर दूर अवस्थित रेलवे स्टेशन से 09.25 की ट्रेन पौने दस बजे तक पकड़ना और लगभग 10.45 बजे तक जिला मुख्यालय रेलवे स्टेशन पहुँच जाना पुनः वहाँ से पैदल चार किलोमीटर महाविद्यालय पहुंचना! मतल...

उ कहाँ गइल

!!उ कहाँ गइल!!  रारा रैया कहाँ गइल,  हउ देशी गैया कहाँ गइल,  चकवा - चकइया कहाँ गइल,         ओका - बोका कहाँ गइल,        उ तीन तड़ोका कहाँ गइल चिक्का  , खोखो कहाँ गइल,   हउ गुल्ली डण्डा कहाँ गइल,  उ नरकट- कण्डा कहाँ गइल,           गुच्ची- गच्चा कहाँ गइल,           छुपा - छुपाई कहाँ गइल,   मइया- माई  कहाँ गइल,  धुधुका , गुल्लक कहाँ गइल,  मिलल, भेंटाइल  कहाँ गइल,       कान्ह - भेड़इया कहाँ गइल,       ओल्हापाती कहाँ गइल,  घुघुआ माना कहाँ  गइल,  उ चंदा मामा कहाँ  गइल,      पटरी क चुमउवल कहाँ गइल,      दुधिया क बोलउल कहाँ गइल,   गदहा चढ़वइया कहाँ गइल,   उ घोड़ कुदइया कहाँ गइल!!                  Copy@viranjy

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