Skip to main content

Posts

Showing posts with the label आप की आप से

स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

अब मैं अपराध मुक्त हूँ

 अब मैं अपराध मुक्त हूँ समय पूर्वाह्न इग्यारह बजे का था, मैं छपरा -औड़िहार  मेमू( 05135) ट्रेन से गाजीपुर स्टेशन पहुंचा था | धूप सुखाड़ के तीखेपन से सुर्ख हुए जा रही थी, और अपने कार्य से यात्रा कर रहे लोग अपने गन्तव्य  के नजदीकी रेलवे स्टेशन गाजीपुर शहर (Ghazipur City)पहुंच कर  उतरे और सभी लोग अपने गन्तव्य पहुंचने के लिए स्टेशन के बाहर खड़े प्रतीक्षा कर रहे आटो रिक्शा व ई -रिक्शा   वालों के तरफ बढ़े और बैठने लगे | आटो रिक्शा की सवारी  हर आटो-ई- रिक्शा वाला आवाज लगा रहा था और सवारियों को आकर्षित कर रहा था, रौजा - रौजा, मिश्र बाजार - मिश्र  बाजार , भूतहिया टांड तभी एक आटो रिक्शा वाला  चलते हुए  इशारे से आंखें की भौंहे ऊपर चढाने के साथ उचक कर सिर ऊपर  करते हुए मुझसे पूछा कहाँ, मैं ने झटके से कहा गोराबाजार ( रविन्द्रपुरी के नाम से जाना जाता है, परन्तु चलन में गोराबाजार ही है)  आटो में सवारी मेरे अनुसार अब भर चुकी थी परन्तु वो आटो चालक सीट पर बांए तरफ खिसकते हुए एक सवारी की जगह बना लिया और पूरी भाव भंगिमा के साथ संकेत करते हुए कहा ब...

चल अकेला योगेन्द्र अन्नदाता के तारनहार..

किसान बिल जो  किसान विरोधी है ,उसको वापस लेने के लिए सम्पूर्ण देश में आन्दोलन किए जा रहे हैं, उन आन्दोलनों का नेतृत्व किसान कर रहे हैं, कुछ जगह नेता कुछ जगह सामाजिक कार्यकर्ता अब बात यह है कि यह आन्दोलन जायज तो है परन्तु किसान अपने हक को अभी तक जान नहीं पाया है, और जो जान गया है अपने स्तर से छटपटा रहा है, लेकिन सत्ता पक्ष  अपने स्तर गुमराह करने करने की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहता! जिसके कारण  किसान आन्दोलन की क्रांति फुटकर में अर्थात छिटपुट हो रही है जो अपनी प्रकृति तथा सत्ता पक्ष की दमनकारी नीति व बिल की सट्टेबाजी जिद और विपक्ष की कमजोरी रणनीति के कारण दम तोड़ती नज़र आ रही है,  सबसे सशक्त आवाज पंजाब और हरियाणा किसानों की है, उसमें सामाजिक कार्यकर्ता व मूवमेंट तथा सिद्धांत आधारित राजनैतिक दल के संस्थापक माननीय योगेन्द्र यादव जी सबसे मुखर हैं, और प्रतिदिन सोशल साइट्स के सभी संस्करणों पर आकर किसानों को जागरूक करना तथा प्रतिदिन सभाओं में शरीक़ होना बेहद संघर्ष पूर्ण है!  आज उनको हरियाणा पुलिस ने हिरासत में ले लिया जब वे किसानों के साथ हरियाणा  के...

हिन्दी पत्रकारिता का प्रथम दिनमान(एक महानायक एसपी सिंह )

 पत्रकारिता का प्रथम दिनमान (महानायक एसपी सिंह)  भारत की हवाओं में अंग्रेजों के अहंकार के चूर-चूर होने की खनक,देश के बलिवेदी पर आहुति दिये वीरों की लहू की सुर्ख चमक  तथा वातावरण में स्वाधीनता की अंगड़ाई एक साथ गुफ्तगू कर रही थी, पूरा देश  आजादी के जश्न में डूब-तर रहा था! तभी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के एक छोटे से गाँव #पातेपुर में, जगन्नाथ सिंह जी के घर भी मिठाईयाँ बट रही थी, बटें क्यों नहीं ? दोहरी खुशी जो थी, एक तो  बहुप्रतिक्षित सर्वव्यापी आजादी की और दूसरी जगन्नाथ सिंह जी के घर बेटे का जन्म हुआ था! सभी बहुत खुश थे, जगन्नाथ सिंह जी लम्बा कद, कसरती बदन, रोबीली  मूंछे और हनकदार व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे! उनकी तथा उनके भाई शीतल प्रसाद सिंह जी की पूरे क्षेत्र में तूती बोलती थी, गाँव तथा पूरे क्षेेेत्र में बड़़ा सम्मान था  !  परन्तु इनका व्यवसाय बंगाल के कलकत्ता में होने के कारण जगन्नाथ सिंह जी सपरिवार 1956 में कलकत्ता के गारोलिया चले गये परन्तु गाँव आना जाना नहीं छोड़े यहाँ का सब काम खेतीबाड़ी भाई शीतल प्रसाद सिंह के ...