डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
उलझती जा रही आतंकी विकास दुबे की गुत्थी
दस पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतारने वाला विकास दुबे आखिर कैसे फरार हो गया?क्या अभी भी किसी बड़े सफेदपोश का घनघोर संरक्षण प्राप्त है उसे,?
क्या वह उत्तर प्रदेश सरकार के पावर से अधिक पावरफुल है?
क्या माननीय मुख्यमंत्री जी अपना वोट मागते समय जनता से किया वादा भूल गए कि अपराधी या तो जेल के अंदर या प्रदेश से बाहर होंगे?
अरे नहीं मुख्यमंत्री जी को तो याद है, तभी तो आतंकी विकास दुबे दस पुलिस वालों (आठ मौका ए वारदात पर, दो अस्पताल में) की हत्या करने वाला सकुशल प्रदेश से बाहर चला जाता है और पूरा पुलिस प्रशासन ढूंढ रहा है!
पूर्ववर्ती सरकार में एक कद्दावर मंत्री जनाब आज़म खां की भैंस गुम होती है और दो दिन के भीतर खोज ली जाती है!
वर्तमान भाजपा के नेता माननीय रामशंकर कठेरिया का कुत्ता भूलता है और दोनों के भीतर ही पुलिस उसे ढूंढ निकालती है!
आखिर कौन सी मजबूरी है जो विकास को ढूंढने में आड़े आ रही है!
औरैया के पास मिली लावारिस ईकोस्पोर्ट कार यूपी 32 जीएल 9559 जो अमित तिवारी के नाम से पंजीकृत है, उसपर संघ परिवार लिखा होना ,उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव की एम्बेसडर कार का उसके घर मिलना इसका कनेक्शन ऊपर तक जोड़ रहा है!
उत्तर प्रदेश सरकार उसके घर और वाहनों का ध्वस्तीकरण करके जनता को फौरी संतुष्टि देना चाह रही है, जबकि ऐसा है नहीं!
उत्तरप्रदेश में जंगल राज कायम है, माननीय मुख्यमंत्री जी का मौन अखर रहा है,
जबतक विकास पकडा नहीं जाता और उसे फांसी नहीं होती तबतक जांबाज पुलिसकर्मियों की शहादत व्यर्थ है---
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