शिक्षक और परिवर्तन की मिशाल शिक्षक को परिवर्तन के लिए जाना जाता है। समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन तथा सुधारों के प्रतीक हैं, शिक्षक | अब उन शिक्षकों को एक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी है , जिनकी सेवा 6 अथवा 8 वर्ष है , हां उन्हें पास करना भी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र निर्माण की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। परन्तु क्या ऐसी परीक्षा जिसमें पिता और पुत्र एक साथ बैठ कर परीक्षा दें | उसके लिए अतिरिक्त समय , तैयारी और पुनः समायोजित तैयारी की जरुरत होगी | सरकारी शिक्षकों का दायित्व एक सरकारी शिक्षक को , बाल गणना , जनगणना , मकान गणना , बाढ़ नियंत्रण, बी एलओ, सफाई , एमडीएमए ,चुनाव और भी बहुत कुछ तब जा कर मूल दायित्व बच्चों को गढ़ कर नागरिक बनाना | मुर्गे की कहानी और शिक्षक जो समस्याएं आती हैं उनकी पटकथा और पृष्ठभूमि होती है। अनायास एक दिन में समस्याएं नहीं आ जाती. .. एक लोक कथा याद आ गई. . एक शानदार मुर्गा था कलंगीदार मस्तक , चमकीले पंख , चमकदार आंखे , मांसल पैर और वजनदार शरीर अर्...
रेल का निजीकरण अनुचित
जी हाँ, 109 ट्रेनों का मतलब अपने डाउन मिलाकर 218 ट्रेनों का संचालन नीजी हाथों में सौंप दिया गया! एक तीन से अनेक निशाने साधे गए, पहला संचालन की योजना अमल में लाने और संचालित कराने वालों को नीजी कम्पनियां मोटी रकम देंगी जो विभिन्न सत्ताधारी हस्तियों के पास पहुंचेगा ये त्वरित लाभ!
दूसरा सरकारी रिक्रूटमेंट नहीं करना है बला टली तबेले की बला गधे के सिर!
तीसरा रिक्रूटमेंट में आरक्षण चुपके से समाप्त अभिजात्य वर्ग खुश!
जबकि ऐसा है नहीं सरकारी नौकरियों में आज भी अभिजात्य वर्ग का वर्चस्व अधिक है मुगालते में रहने की जरूरत नही है!
चौथा सरकार की जिम्मेदारी समाप्त!
अब नीजी कम्पनियों द्वारा मनमानी सुविधाएं और मनमानी वसूली!
अभी हाल ही में वन्दे भारत तथा तेजस जैसी नीजी ट्रेनें चलायी गयीं ये ट्रेनें जिस रुट पर जाती महत्वपूर्ण से महत्वपूर्ण सरकारी ट्रेनों को खड़ा करके इनको पास कराया जाता बस यह दर्शाने के लिए की नीजी ट्रेनें सही पटरी पर है, इन नीजी ट्रेनों में सफर महंगा भी है इसके यात्री हवाई जहाज़ से भी सफर कर सकते हैं! साथियों ये एक साजिश है रेलवे लाईन सरकारी परिचालन स्टाफ़ सरकारी और दौड़ रही है प्राइवेट ट्रेन इसमें बहुत बड़ा खेल हो रहा है! धीरे- धीरे सब प्राईवेट हो जाएगा!
शिक्षा सुविधाओं का निजीकरण, स्वास्थ्य सुविधाओं का नीजिकरण क्या सरकार निजी शिक्षण और स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों की मनमानी पर अंकुश लगा पाती है, नहीं!
तो भारत के सबसे बड़े आय के स्रोत और समरस की परिवहन व्यवस्था को नीजी हाथों में सम्पूर्ण रुप से सौंपने की साजिश की जा रही है, सतर्क होकर विरोध कीजिए! नहीं तो, शाइनिंग इण्डिया, मेक इन इंडिया, से लिमिटेड इण्डिया के तरफ कदम बढ़ा चुकी है सरकार! धन्यवाद
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