डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
बदलते दौर में बदले फर्जी शिक्षकों के तरीके(खुलासा)
सरकार भी दबाव मेंआ गयी और सरकारी तौर पर जांच की औपचारिकता शुरू कर दी!
ये फर्जी इस समय नहीं शुरू हुआ है जनाब बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा बहुत पहले से चलता आ रहा है वो बात अलग है कि समय के सापेक्ष मांग के अनुरूप यह बदलता गया !
बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का कारण
बेसिक शिक्षा विभाग मूलतः परिषद नियन्त्रण अधीन विभाग है जिसका अभिलेख विवरण संग्रह मात्र सम्बंधित जिले तक ही सीमित रह जाता है, अतः फर्जीवाड़े में सुगमता होती है!
आइए विस्तार से समझाता हूं, फर्जीवाड़े के बदलते स्वरूप को l
फर्जीवाड़े के बदलते स्वरूप
१-बेसिक शिक्षा विभाग परिषद के अधीन होने के कारण सर्वप्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष की अनुसंशा पर किसी को भी अध्यापक नियुक्त कर लिया जाता था, चाहे वह अर्हता पूरी करता हो अथवा नहीं चाहे वह योग्यताधारी हो अथवा नहीं,
ये फर्जीवाड़े का एक प्रकार था l
अब समय और समझ बदले जिससे फर्जीवाड़े का तरीका भी बदला
२- लोग धीरे- धीरे जागरुक हुए अब बात आई योग्यता और अर्हता हथियाने की तो जैसा की हमने उपरोक्त विवरण में साफ-साफ कहा है कि परिषदीय होने के कारण इसका रिकार्ड केवल जनपद स्तर पर ही रहता हैl
इसलिए एक योग्यता प्रदायि प्रमाण पत्र पर विभिन्न जनपदों में अलग -अलग लोगों ने नियुक्ति प्राप्त की जैसे अनामिका शुक्ला l
अब आलम तो यह है कि इन फर्जियों की वजह से मूल व्यक्ति ही सांसत में है कि कैसे सिद्ध करे की मैं ओरिजिनल हूं, साहब लोगों की कृपा से ये धंधा भी खूब फला-फूला पुराने शिक्षकों में तीस प्रतिशत लोग अभी भी मजे में है!ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं ३-यह कठिन परन्तु सबसे सरल तरीका था नियुक्ति प्राप्ति का चूंकि विभाग परिषदीय होने से रिकार्ड बस जिले पर होता है, अतः राजनैतिक संरक्षण में बिना नियुक्ति के एक जनपद से स्थानांतरण प्रपत्र तैयार कराकर दूसरे जनपद में जाकर योगदान कर नियमित बन जाना परन्तु कठिन होने के कारण यह देर तक न चला ऐसे लोगों का प्रभावी योगदान लगभग दस प्रतिशत हैl
४-अब तरीका आया बिना विद्यालय/विश्वविद्यालय गए उन संस्थानों के परीक्षा विभाग डिग्री अनुभाग से मिलकर फर्जी डिग्री बनवाने और नियुक्ति पाने का इस तरह के प्रकरण में फर्जी डिग्री लगाकर नियुक्ति सरलता से पायी जा सकती थी क्योंकि तत्काल जांच का कोई तरीका नहीं था, और जब विभाग वेरिफिकेशन के लिए विश्वविद्यालय कागजात भेजता तो साथ में सम्बंधित नियुक्ति प्राप्त कर्ता भी पहुंचता बाबूओं को उचित किमत चुकता कर पक्ष में रिपोर्ट प्रेषित करता, फिर आराम से सेवा निवृत्ति तक चैन की वंशी बजाताl इस प्रकार के शिक्षकों का प्रतिशत लगभग बीस है l
५-अब धीरे- धीरे कम्प्यूटर युग आया रिकॉर्ड साझा होने लगे तब यह वर्तमान दौर है, डिग्री ओरिजिनल परन्तु नकल व जुगाड़ के बल पर अव्वल श्रेणी,
नकल के प्रकार
-पेपर आउट करााानन
-मेधावी साल्वर बैठाना
-जांच में अंक बढ़ना
उपरोक्त प्रक्रियाओं का मिलाजुला रुप हम और आप देख रहे हैंl
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