स्कूल" स्कूलों का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...
बदलते दौर में बदले फर्जी शिक्षकों के तरीके(खुलासा) 69000 शिक्षक भर्ती में हुई अनियमितता को लेकर विपक्ष, भर्ती से बाहर हो रहे अभ्यर्थी और स्वनामधन्य बुद्धिजीवियों की एक बेबुनियाद बहस सी छिड़ गयी! सरकार भी दबाव मेंआ गयी और सरकारी तौर पर जांच की औपचारिकता शुरू कर दी! ये फर्जी इस समय नहीं शुरू हुआ है जनाब बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा बहुत पहले से चलता आ रहा है वो बात अलग है कि समय के सापेक्ष मांग के अनुरूप यह बदलता गया ! बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का कारण बेसिक शिक्षा विभाग मूलतः परिषद नियन्त्रण अधीन विभाग है जिसका अभिलेख विवरण संग्रह मात्र सम्बंधित जिले तक ही सीमित रह जाता है, अतः फर्जीवाड़े में सुगमता होती है! आइए विस्तार से समझाता हूं, फर्जीवाड़े के बदलते स्वरूप को l फर्जीवाड़े के बदलते स्वरूप १-बेसिक शिक्षा विभाग परिषद के अधीन होने के कारण सर्वप्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष की अनुसंशा पर किसी को भी अध्यापक नियुक्त कर लिया जाता था, चाहे वह अर्हता पूरी करता हो अथवा नहीं चाहे वह योग्यताधारी हो अथवा नहीं, ये फर्जीवाड़े क...