बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
बदलते दौर में बदले फर्जी शिक्षकों के तरीके(खुलासा) 69000 शिक्षक भर्ती में हुई अनियमितता को लेकर विपक्ष, भर्ती से बाहर हो रहे अभ्यर्थी और स्वनामधन्य बुद्धिजीवियों की एक बेबुनियाद बहस सी छिड़ गयी! सरकार भी दबाव मेंआ गयी और सरकारी तौर पर जांच की औपचारिकता शुरू कर दी! ये फर्जी इस समय नहीं शुरू हुआ है जनाब बेसिक शिक्षा विभाग में नियुक्तियों में फर्जीवाड़ा बहुत पहले से चलता आ रहा है वो बात अलग है कि समय के सापेक्ष मांग के अनुरूप यह बदलता गया ! बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का कारण बेसिक शिक्षा विभाग मूलतः परिषद नियन्त्रण अधीन विभाग है जिसका अभिलेख विवरण संग्रह मात्र सम्बंधित जिले तक ही सीमित रह जाता है, अतः फर्जीवाड़े में सुगमता होती है! आइए विस्तार से समझाता हूं, फर्जीवाड़े के बदलते स्वरूप को l फर्जीवाड़े के बदलते स्वरूप १-बेसिक शिक्षा विभाग परिषद के अधीन होने के कारण सर्वप्रथम जिला पंचायत अध्यक्ष की अनुसंशा पर किसी को भी अध्यापक नियुक्त कर लिया जाता था, चाहे वह अर्हता पूरी करता हो अथवा नहीं चाहे वह योग्यताधारी हो अथवा नहीं, ये फर्जीवाड़े क...