स्कूल" स्कूलों का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...
डीजे पर डांस को लेकर चली गोली,दो घायल, गढ़ी झूठी कहानी
मुहम्मदाबाद। लालूपुर गांव में सोमवार की रात करीब एक बजे बारात में डीजे पर डांस की मांग को लेकर दबंग युवकों ने तमंचे से ताबड़तोड़ दो गोली दागी। उसमें प्रख्यात गायक कमल माझी का बेटा मोनू(२०) घायल हो गया जबकि दूसरी गोली दबंग युवकों में एक गोल्डी(२३) को लगी। दोनों को वाराणसी रेफर किया गया है। घटना के बाद गोली चलाने वाले युवकों ने खुद को बचाने के लिए झूठी कहानी बनाई और घायल साथी के विरोधी के बेटों को फंसाने की साजिश की लेकिन पुलिस उन्हें हिरासत में ले ली। लालूपुर गांव के अमरेश चौधरी की बहन की शादी थी। गहमर थाने के बारा गांव से बारात आयी थी। बारात में दूल्हे के मामा भरौली(बलिया) के रहने वाले कमल माझी अपना कार्यक्रम प्रस्तुत कर रहे थे। उसी बीच दबंग युवक गोल बना कर पहुंचे और दबाव बनाने लगे कि डीजे पर डांस का कार्यक्रम होगा। कमल माझी ने उन्हें समझाया कि गायकी के बाद उनकी भी फरमाइश पूरी होगी लेकिन दबंग युवक कुछ सुनने को तैयार नहीं हुए और कमल माझी पर गोली दागे। गोली उनकी बगल में बैठे मोनू को लगी। उसके बाद युवकों ने दूसरी गोली चलाई लेकिन वह उन्हीं के साथी गोल्डी को जा लगी। फिर तो बारात में अफरा-तफरी मच गई। ज्यादातर बाराती और श्रोता वहां से खिसक लिए। मोनू को जिला अस्पताल भेजा गया। उधर घायल गोल्डी को भी लेकर उसके साथी जिला अस्पताल गए। फिर अपने बचाव में वह शहर कोतवाली जाकर बताए कि कठवामोड़ के पास गोल्डी को उसके ही गांव शेरपुर खुर्द के रहने वाले विरोधी स्व.ललन राय के बेटों ने गोली मारी है। उनकी कहानी पर पुलिस को शक हुआ। पूछताछ शुरू हुई। विरोधाभाषी बयानों के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। उनमें आशीष राय तथा अवधेश राय भांवरकोल थाने के शेरपुर कलॉ और विमलेश यादव तथा घायल गोल्डी का भाई दिगंबर राय उर्फ लाली शेरपुर खुर्द का रहने वाला है। सुबह शहर कोतवाली पुलिस ने इन सभी को मुहम्मदाबाद पुलिस को सौंप दिया। पुलिस कप्तान सोमेन बर्मा ने कहा कि मामले की छानबीन हो रही है। दोषियों को कतई बख्शा नहीं जाएगा। इसी क्रम में गाजीपुर आजकल डॉट कॉम ने गायक कमल माझी से फोन पर संपर्क किया। उन्होंने बताया कि उनके बेटे का इलाजा वाराणसी में बीएचयू ट्रामा सेंटर में चल रहा है। उसे लगे छर्रे निकाले गए हैं।
…पर कौन है गोल्डी
गोल्डी का नाम तब चर्चा में आया था जब शेरपुर खुर्द गांव के ललन राय की हत्या हुई थी। गांव की पोखरी में मछली मारने के विवाद में यह हत्या 20 दिसंबर 2015 को हुई थी। उसमें बताया गया था कि हत्या करने वालों में गोल्डी तथा उसके भाई थे लेकिन ललन राय के परिवार ने गोल्डी के पिता संजय राय तथा दो भाई बड़क और दिगंबर राय लाली को नामजद किया। तीनों जेल में गए। बाद में उसके पिता तथा भाई लाली को जमानत मिल गई जबकि बड़क आज भी जिला जेल में कैद है। उस घटना के बाद गोल्डी और मनबढ़ हो गया। उसने गवाही तोड़ने के लिए ललन राय के परिवार पर बेजा दबाव डालना शुरू किया। बात बनते नहीं देख उसने प्लान बनाया और अपने पिता तथा भाई को जमानत तोड़वा कर दोबारा जेल भेज दिया। उसके बाद ललन राय के परिवार पर और दबाव बनाने लगा। फिर 17 नवंबर 2016 को ललन राय के घर धमक गया। उसने घर का दरवाजा खोलवाया। दरवाजा खुलते ही बेहिचक ललन राय की पत्नी माधुरी राय पर गोली चला दिया। संयोग रहा कि गोली माधुरी राय की अंगुलियों में लगी। उसमें गोल्डी जेल गया और जेल से निकलने के बाद गोल्डी और उसका भाई लाली तथा उनके साथी ललन राय पर दबाव बनाने का काम जारी रखे। यहां तक कि ललन राय के नलकूप का इंजन तक उठा ले गए। खेत पर भी कब्जा जमा लिए। ललन राय का परिवार आज भी उनके खौफ में है। दरवाजे के बजाय ललन राय के बेटे घर में सोते हैं। लुक-छिप कर बाहर निकलते हैं। गोल्डी और उसके भाई पूरा गैंग बना लिए हैं और इस गैंग का क्षेत्र में टेरर बन गया है। क्षेत्रीय व्यापारियों, दुकानदारों से रंगदारी भी वसूलते हैं। गैंग को जेल में बैठ कर बड़क राय ऑपरेट करता है।
उफ्फ ये बाराती
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