बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर और वर्तमान भारतीय समाज बाबा साहब समाज में सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों के सबसे बड़े पुरोधा माने जाते हैं। उनका जीवन संघर्ष व दलितों के अधिकारों के लिए समर्पण और भारतीय संविधान में उनके योगदान ने उन्हें सामाजिक क्रांति का सिम्बल बना दिया है। वर्तमान भारतीय राजनीति में उनका नाम अक्सर उद्धृत किया जाता है, परन्तु क्या आज की राजनीति उनके विचारों के अनुरूप चल रही है? क्या जातिवाद अब भी भारतीय समाज की जड़ में है? आइए इस पर एक स्वस्थ विमर्श करें. .. 1. बाबा साहब अम्बेडकर के विचार और उनका महत्त्व जाति व्यवस्था पर उनका दृष्टिकोण 'एनिहिलेशन ऑफ कास्ट' का विश्लेषण भारतीय संविधान में सामाजिक समानता का समावेश आरक्षण नीति की अवधारणा 2. वर्तमान भारतीय राजनीति में अम्बेडकर के विचारों की प्रासंगिकता राजनीतिक दलों द्वारा अम्बेडकर का प्रतीकात्मक प्रयोग सामाजिक न्याय बनाम चुनावी राजनीति आरक्षण की राजनीति और उसका दुरुपयोग दलित नेतृत्व का उदय और उसकी सीमाएँ 3. जातिवाद: आज भी जीवित और प्रबल आधुनिक भारत में जातिवाद के नए रूप शिक्षा, नौकरियों और न्याय व्यवस्था ...
चिल्लाने लगा "मैं हूँ विकास दुबे कानपुर वाला
आज सुबह सात बजकर पैंतालीस मिनट पर उत्तर प्रदेश का सबसे चर्चित और सबसे ज्यादा इनाम राशि घोषित किया गया आतंकी विकास दुबे पुलिस की आंख में धुल झोंकता पहुँच गया महाकाल की शरण में, और उसने लगभग साठ सीसीटीवी कैमरे और बहुसंख्य सुरक्षाकर्मियों के बीच दर्शन करने पहुँच गया और दो सौ पचास रुपये की रसीद कटाकर आमजन की तरह लाईन में लग गया दर्शन के लिए तब तक गिरफ्तार कर लिया गया!
इसकी सूचना मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी श्री आदित्यनाथ को दी तथा मध्यप्रदेश पुलिस की बड़ी कामयाबी बताई,
अब सूचना पाते ही उत्तर प्रदेश पुलिस उसको रिमांड पर लेने उज्जैन रवाना हो गई!
अब प्रश्न यह उठता है कि पुलिस की इतनी निगरानी के बीच यह उज्जैन कैसे पहुँच गया,?
वहाँ पहुंचने पर पुलिस ने गिरफ्तार किया अथवा वह योजना के तहत गिरफ्तार हुआ?
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