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स्कूलों का मर्जर वंचितों से शिक्षा की आखिरी उम्मीद छिनने की कवायद

   स्कूल"  स्कूलों  का मर्जर : वंचितों से छीनी जा रही है शिक्षा की आखिरी उम्मीद — एक सामाजिक, शैक्षिक और नैतिक समीक्षा  "शिक्षा एक शस्त्र है जिससे आप दुनिया को बदल सकते हैं" — नेल्सन मंडेला। लेकिन क्या हो जब वह शस्त्र वंचितों के हाथ से छीन लिया जाए? उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) की नीति न केवल शिक्षा का ढांचा बदल रही है, बल्कि उन बच्चों की उम्मीदों को भी कुचल रही है जिनके पास स्कूल ही एकमात्र रोशनी की किरण था। 1. मर्जर की वजहें – प्रशासनिक या जनविरोधी? amazon क्लिक करे और खरीदें सरकार यह कहती है कि बच्चों की कम संख्या वाले विद्यालयों का विलय करना व्यावसायिक और प्रशासनिक दृष्टि से उचित है। पर यह सवाल अनुत्तरित है कि – क्या विद्यालय में छात्र कम इसलिए हैं क्योंकि बच्चों की संख्या कम है, या इसलिए क्योंकि व्यवस्थाएं और भरोसा दोनों टूट चुके हैं? शिक्षक अनुपात, अधूरी भर्तियाँ, स्कूलों की बदहाली और गैर-शैक्षणिक कार्यों में शिक्षकों की नियुक्ति — क्या यह स्वयं सरकार की नीति की विफलता नहीं है? 2. गांवों के बच्चों के लिए स्कूल ...

कौन है कानपुर का गैंगस्टर विकास दुबे

कौन है कानपुर का गैंगस्टर विकास दुबे


कानपुर के 8 पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने वाला विकास दुबे कौन है?विकास दुबे कानपुर में दहशत का पर्याय है। उसका आतंक ऐसा है कि गांव में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद भी कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। सब यह कह रहे हैं कि रात में क्या हुआ, घटना कैसे घटी उन्हें पता नहीं, जानिए विकास दुबे है कौन: कानपुर। कानपुर देहात स्थित चौबेपुर थाना एरिया के बिकरू गांव में पुलिस की टीम कल 2 जुलाई की मध्य रात्रि गैंगस्टर विकास दुबे को गिरफ्तार करने पहुंची थी, मगर उसने अपने गुंडों के साथ पुलिस टीम को घेरकर हमला बोल दिया। हमलावरों ने पुलिस टीम पर अंधाधुंध गोलियों की बौछार की। इस हमले में एक सीओ, एसओ समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गयी और फायरिंग में 6 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। विकास दुबे पर 60 से अधिक मामले हैं और व कानपुर जिला पंचायत का सदस्य रहा है। फिलहाल पुलिस के करीब 100 जवान विकास दुबे के घर की घेराबंदी कर ऑपरेशन चला रहे हैं। बसपा शासन के समय में विकास दुबे को अपराध के साथ राजनीति में भी आगे बढने का मौका मिला। इसी समय वह जिला पंचायत सदस्य बना। वह बसपा से जुड़ा हुआ था। उनकी पत्नी भी निर्दलीय जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थ राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री काल में विकास दुबे ने की थी राज्यमंत्री की हत्या, गवाह न मिलने पर हुआ था बरी विकास दुबे के छोटे भाई अविनाश दुबे की हत्या बावरिया गिरोह ने की थी। भाई की हत्या व परिवार के अंदर के विवाद से वह कुछ समय के लिए कमजोर पड़ गया था, लेकिन इस बीच उसे अपने साले राजू खुल्लर का सहारा मिला। राजू खुल्लर का भी आपराधिक इतिहास रहा है। कल दो जुलाई की देर रात कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों को अपने गुंडों के साथ मौत के घाट उतारने वाला विकास दुबे दो दशक पहले भी चर्चा में आया था। थाने में घुस कर नेता की हत्या करने वाला शूटर करीब दो दशक पहले गैंगस्टर विकास दुबे ने कानपुर देहात के शिवली थाने के अंदर दिनदहाड़े दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोश शुक्ला की गोली मारकर बेरहमी से हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड में हालांकि वह कोर्ट से बरी हो चुका है। विकास दुबे पर करीब दो दर्जन से अधिक संगीन धाराओं में मुकदमे कई थानों में दर्ज हैं। यूपी में बीजेपी सरकार के आने के बाद विकास पर 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था, जिसके बाद विकास को यूपी एसटीएफ  की टीम ने सर्च करना शुरू किया! विकास दुबे का जीवन फिल्मी खलनायक वाले किरदार से कम नहीं है। थाने में घुसकर राज्यमंत्री की हत्या का आरोपित होने के बावजूद भी उसका कुछ नहीं हुआ। बताया जाता है कि इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिसवाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी। कोई साक्ष्य कोर्ट में नहीं दिया गया, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया। विकास दुबे द्वारा संतोष शुक्ला की थाने में घुस कर हत्या किए जाने से पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था, लेकिन पुलिस से लेकर कानून तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। विकास पर 60 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं। उसका आपराधिक इतिहास रहा है। राजनीति में पैठ वाला अपराधी कहा जाता है कि ​हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की हर राजनीतिक दल में कड़ी पैठ रही है। वह अपने किले जैसे घर में बैठकर बड़ी-बड़ी वारदातें करवा देता था। 2002 में बसपा की मायावती सरकार में उसकी तूती बोलती थी। उसके ऊपर जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त का आरोप है। उसने गैरकानूनी तरीके से करोड़ों रुपये की संपत्तियां बनाई हैं।  यूपी के सत्ताधारियों ने माफिया विकास दुबे को नहीं दिया होता संरक्षण तो आज 8 पुलिसवालों को नहीं देनी पड़ती श्रद्धांजलि !बताया जाता है कि बिठूर में ही उसके स्कूल और कॉलेज हैं। वह एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है। वह पत्नी समेत जिला पंचायत सदस्य जैसी सक्रिय राजनीति में रसूखदार बनता चला गया। कल दो जुलाई को सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र, एसओ शिवराजपुर महेश यादव समेत एक सब इंस्पेक्टर और 5 सिपाहियों को मुठभेड़ में मार डालने की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। हाल के सालों में पुलिस पर हुए हमलों में यह सबसे बड़ी घटना बताई जा रही है। विकास दुबे बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला है। उसने अपने घर को किले की तहत बना रखा है। विकास दुबे की ठसक ऐसी रही है कि जिला पंचाय सदस्य के रूप में वह जिन योजनाओं का शिलान्यास करता उसमें उसका नाम मोटे अक्षर में ऊपर लिखा होता था और जिला पंचायत अध्यक्ष का नाम छोटे अक्षरों में उसके नाम के नीचे लिखा होता था। उत्तर प्रदेश राजनाथ सिंह के मुख्यमंत्री काल में विकास दुबे ने की थी राज्यमंत्री की हत्या, गवाह न मिलने पर हुआ  बरी! 19 साल पहले जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे, तो 2001 में विकास दुबे ने राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला की हत्या की थी। इसके बाद उसने राजनीति में एंट्री ली। नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था। विकास कई बार गिरफ्तार भी हुआ... जनज्वार। उत्तरप्रदेश में कानपुर देहात के बिठूर थाना क्षेत्र में गुरुवार रात एक बजे दबिश देने गई पुलिस टीम पर फायरिंग करने वाला हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे पर 60 आपराधिक मामले दर्ज हैं। 19 साल पहले जब राजनाथ सिंह यूपी के मुख्यमंत्री थे, तो 2001 में विकास दुबे ने राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संतोष शुक्ला की हत्या की थी। इसके बाद उसने राजनीति में एंट्री ली। नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था। विकास कई बार गिरफ्तार भी हुआ। 2017 में लखनऊ में एसटीएफ ने कृष्णा नगर से उसे दबोचा गया था। हिस्ट्रीशीटर विकास   कानपुर देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र के विकरू गांव का रहने वाला है। उसने कई युवाओं की फौज तैयार कर रखी है। इसी के साथ वह कानपुर नगर से लेकर कानपुर देहात तक लूट, डकैती, मर्डर जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देता रहा है। साल 2000 में विकास ने शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी थी। जिसमें उसे उम्र कैद भी हुई थी। विकास दुबे ने अपने अपराधों के दम पर पंचायत और निकाय चुनावों में कई नेताओं के लिए काम किया और उसके संबंध प्रदेश की सभी प्रमुख पार्टियों से हो गए। 2003 में शिवली थाने के अंदर घुस कर इंस्पेक्टर रूम में बैठे तत्कालीन श्रम संविदा बोर्ड के चैयरमेन, राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त भाजपा नेता संतोष शुक्ल को गोलियों से भून दिया था। उसका इतना खौफ था कि, कोई गवाह सामने नहीं आया। जिसके कारण वह केस से बरी हो गया। इसकी एक शादी शास्त्री नगर सेंट्रल पार्क के पास रहने वाले राजू खुल्लर की बहन से हुई थी। ब्राह्मण शिरोमणि पंडित विकास दुबे के नाम से फेसबुक पेज बना रखा था। कहा जाता है कि साल 2002 में जब प्रदेश में बसपा की सरकार थी तो इसका सिक्का बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में चलता था। साल 2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला किया था। तब अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों को नामजद किया था। साल 2000 में रामबाबू यादव की हत्या की जेल में साजिश रचने का आरोपी था। साल 2004 में व्यवसायी दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास आरोपी है। विकास ने राजनेताओं के सरंक्षण से राजनीति में एंट्री की और जेल में रहने के दौरान शिवराजपुर से नगर पंचयात का चुनाव जीत गया गया था।जानकारी के अनुसार, इस समय विकास दुबे के खिलाफ 60 मामले यूपी के कई जिलों में चल रहे हैं। पुलिस ने इसकी गिरफ्तारी पर 25 हजार का इनाम रखा हुआ था। हत्या व हत्या के प्रयास के मामले पर पुलिस इसकी तलाश कर रही थी। विकास दुबे पुलिस से बचने के लिए लखनऊ स्थित अपने कृष्णा नगर के घर पर छिपा हुआ था। शासन ने कुख्यात हिस्ट्रीशीटर को पकड़ने के लिए लखनऊ एसटीएफ को लगाया था। कुछ समय पहले ही एसटीएफ ने उसे कृष्णा नगर से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। अब एक बार फिर जेल से निकलने के बाद बड़ी घटना को अंजाम दिया है।

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