डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में लगभग हर घर में पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में फंसल रहेला , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले | कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...
सरकारी स्कूलों में कायाकल्प अभियान के तहत आधारभूत संरचना की सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण शिक्षा विभाग व पंचायतीराज विभाग मिलकर कर रहे हैं, जिसमें चौदहवें वित्त का धन खर्च कर के स्कूलों की स्टोन लगी फर्श , परिसर में इंटरलॉकिंग, आधुनिक सुविधा युक्त शौचालय (बालक, बालिका अलग- अलग) यूरेनल, हैंडवाश ईकाई, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, सबमरसिबल पम्प, पानी टण्की, दीवारों का रंग रोगन, दीवारों पर आवश्यक चित्रकारी, प्रेरक प्रसंग विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की सुविधाएं, किचन शेड, कक्षा- कक्ष व परिसर में बिजली की व्यवस्था सहित विभिन्न सुविधाओं से युक्त करने का जिम्मा प्रधान जी को है,! कुछ जगह यह काम बहुत ही सही ढंग से हो भी रहा है लेकिन अधिकांश जहाँ इसमें लूट-खसोट ही मची है, निर्माण गुणवत्ता विहीन और मानक विहीन हो रहे हैं, कायाकल्प के नाम पर खुला भ्रष्टाचार हो रहा है! जिसकी जांच होने पर गुरु जी पर एफआईआर दर्ज हो रहा है, कहना ठीक है कि "खेत खाए गदहा मारल जाए जोलहा" ! इस पर विचार होना चाहिए की गुरु जी जेल क्यों जाएं---
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